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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वटादिवर्गः। अथ प्लक्ष(पाकारि) नामगुणाः. प्लक्षो जटी पर्कटी च स्त्रियामपि च स स्मृतः॥११॥ प्लक्षः कषायः शिशिरो व्रणयोनिगदापहः । दाहपित्तकफास्त्रघ्नः शोथहा रक्तपित्तहत् ॥ १२ ॥ शिरीषो भण्डिलो भण्डी भण्डीरश्च कपीतनः। शुकपुष्पः शुकतरुप॑दुपुष्पः शुकप्रियः ॥ १३॥ शिरीषो मधुरोऽनुष्णस्तिक्तश्च तुवरो लघुः । दोषशोथविसर्पघ्नः कासव्रणविषापहः ॥ १४ ॥ टीका-प्लक्ष, जटी, पर्कटी, यह पाकरके नाम हैं ॥ ११ ॥ पाकर कसेला शीतल व्रण, योनिरोग, इनकों हरताहै और दाह, पित्त, कफ, रक्त, इनकों हरता शोथनाशक रक्त पित्त हरनेवाला है ॥ १२ ॥ शिरीष, भण्डिल, भण्डी, भण्डीर, कपीतन, शुकपुष्प, शुकतरु मृदुपुष्प, शुकप्रिय यह शिरीषके नाम हैं ॥१३॥ शिरस मधुर शीतल, तिक्त, कसेला, हलका होताहै, और दोष, शोथ, विसर्प, इनकों हरता तथा कास व्रण इनको हरताहै, विषकों हरता है ॥ १४ ॥ अथ क्षीरक्षादि पञ्चवल्कलयोर्लक्षणं गुणाश्च. न्यग्रोधोदुम्बराश्वत्थपारीषप्लक्षपादपाः । पञ्चैते क्षीरिणो वृक्षास्त्वेषां त्वक्पञ्चवल्कलम् ॥ १५॥ (केचित्तु पारीषस्थाने शिरीषं वेतसं परे वदन्तीति शेषः) क्षीरवृक्षा हिमा वा योनिरोगव्रणापहा । रूक्षा कषया मेदोना विसर्पामयनाशनी ॥ १६ ॥ शोथपित्तकफास्त्रघ्ना स्तन्या भग्नास्थियोजका। त्वक्पंचकं हिमं तिक्तं व्रणशोथविसर्पजित् ॥ १७॥ तेषां पत्रं हिमं ग्राहि कफवातास्त्रनुल्लघु । विष्टम्भाध्मानजित्तिक्तं कषायं लघु लेपनम् ॥ १८ ॥ टीका-पंचवल्कलोंका लक्षण और गुण कहतेहैं वड गूलर पीपल पारिष For Private and Personal Use Only
SR No.020370
Book TitleHarit Kyadi Nighant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRangilal Pandit, Jagannath Shastri
PublisherHariprasad Bhagirath Gaudvanshiya
Publication Year1892
Total Pages370
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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