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हगोड़ा - हठादेशी
हाजत ।
हगोड़ा, हग्गू - वि० बार-बार शौच जानेवाला । हचक - स्त्री० धक्का, झोंका, झटका ।
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हचकना - अ०क्रि० ऊपर-नीचे, आगे-पीछे हिलना- डोलना, झोंके से इधर-उधर होना । स० क्रि० झोंका देना, हिलाना डुलाना; (ला० ) जोर से मारना ।
इचका - पु० दे० 'इचक' |
हचकाना - स० कि० झोंकेसे हिलाना - डुलाना ।
हचकीला - वि० झोकेसे, तेजीसे हिलने-डोलनेवाला । हचकोला - पु० इचक, इचका ।
इचना * - अ० क्रि० किसी कामके करनेमें असमंजस होना; हाँ नहीं करना, हिचकना ।
हज - पु० मुसलमानोंका मक्केकी यात्रा करना । हज़म-पु० [अ०] पाचन-क्रिया; गवन, चोरी । मु० - कर जाना, - करना - पचाना; गबन कर लेना, माल मारना । - होना - पचना; गवनका प्रकट न होना ।
हज़रत - पु० [अ०] समीपता; दरबार; सम्मानसूचक संबोधन, जनाब, महोदय; (ला० ) मुहम्मद । वि० दुष्ट, खोटा; चालबाज; शरारत करनेवाला (व्यंग्य) । हजामत - स्त्री० [अ०] सिर मूँड़ना, क्षौर; सफाई; दुर्दशा ।
मु० - बनाना - सिर मूँड़ना; ठगना, लूटना । हज़ार - वि० [फा०] दस सौ; अनगिनत । पु० हजारकी संख्या | अ० कितना ही, हरचंद । -हा - वि० सहस्रों; बेहद अनगिनत |
हज़ारा - पु० [फा०] फौवारा; छिड़काव के काम आनेवाली एक बालटी जिसमें बहुतसे छेदोंवाला नल लगा रहता है; बहुत से पटलोंवाला फूल; एक आतिशबाजी । हज़ारी - वि० [फा०] हजारसे संबंध रखनेवाला । पु० हजार आदमियोंका सरदार; हजार आदमियोंकी पलटन | हजारौँ - वि० दे० 'हजारहा' । मु०-घड़े पानी पड़ जाना - बहुत लज्जित होना । - मे - बहुतों में; खुल्लमखुल्ला ।
हजूम - पु० [अ०] जमघट, भीड़भाड़; भीड़ करना । हजूर* - पु० दे० 'हुजूर' । हजूरी* -
* स्त्री०, पु०, वि० दे० 'हुज़ूरी' |
हजो- स्त्री० व्यंग्योक्ति; निंदा ।
हज्ज -पु० [अ०] संकल्प करना; नियत कालपर कावेके दर्शन और प्रदक्षिणा करना, हज; मक्केकी यात्रा ।
हज्जाम - पु० [अ०] हजामत बनानेवाला, नाई । हब्नामी - स्त्री० हज्जामका धंधा |
हटक * - स्त्री० मना करनेकी क्रिया, वर्जन; चौपायोंको इटाने, हाँकनेकी क्रिया ।
हटकना - स्त्री० दे० 'हटक े'; पटकनी, चौपायोंको हाँकनेकी लाठी |
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हटतार - * पु० मालाका सूत । + स्त्री० हड़ताल । हटताल - स्त्री० किसी कर, अन्याय-अत्याचार आदिके विरोध में दुकानों में ताले लगाकर खरीद-बेच, काम-काज आदि बंद कर देना, हड़ताल ।
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हटना - अ० क्रि० किसी स्थानसे चलकर, खिसककर दूसरी जगह जाना; किसी पद से हट जाना, पद त्याग करना; किसी स्थानसे अवकाश, विश्राम ग्रहण करना; पीछे हटना, भागना; आलसी होना, काम न करना, जी चुराना; किसी कामका आगेके लिए टल जाना; वादेपर कायम न रहना । * सु० क्रि० इटकना । मु० - बढ़नाचुपके से भाग जाना, खिसक जाना, इधर-उधर होना । हटबया - पु० हाट बाजार में सामान लगाकर बेचनेवाला व्यक्ति, दूकानदार ।
हटवाई - *स्त्री० बाजारका काम, सामान खरीदने-बेचनेका काम, दूकानदारी; + इटवानेकी मजदूरी । हटवाना - स० क्रि० हटानेका काम दूसरेसे करवाना | हटवार -* पु० हाट बाजार में सामान बेचनेवाला व्यक्ति, दूकानदार। + वि० हटानेवाला । हटवैया - वि० हटाने, इटवानेवाला ।
हटाना - स० क्रि० किसी वस्तु, व्यक्तिको एक स्थानसे दूसरे स्थानपर रखना, स्थानांतरित करना, खिसकाना; किसी बातपर ध्यान न देना, किसीको महत्त्व न देना, उपेक्षा करना; खत्म करना बंद करना, सिलसिला तोड़ना; खदेड़ना; किसी पद, नौकरीसे अलग करना । हटुवाई - स्त्री० दूकानदारी ।
हट्ट - पु० [सं०] हाट, बाजार; मेला । - - चौरक- पु० बाजार में चोरी करनेवाला व्यक्ति, गँठकटा, पाकेटमार । हट्टा-कट्टा - वि० हृष्ट-पुष्ट; मोटा-ताजा; बलवान् । हट्टाध्यक्ष - पु० [सं०] बाजारका निरीक्षक । हठ-पु० [सं०] बलात्कार, बलप्रयोग, जबरदस्ती; उत्पीड़न; किसी बात पर अड़े रहनेकी प्रवृत्ति, दुराग्रह; ध्द प्रतिज्ञा; शत्रुके पृष्ठभाग में पहुँच जाना। - कर्म ( नू ) - पु० बलप्रयोगका काम । - धर्मपु० सत्यासत्यका विवेक किये बिना किसी बातको सत्य मानकर उसपर डटे रहना । - धर्मी - स्त्री० [हिं० ] हठधर्म, दुराग्रह । -योगपु० योगका एक प्रकार जिसमें नेती धोती, आसन आदि क्रियाएँ करते और त्राटक, धारणा, ध्यान आदिके द्वारा चित्तवृत्ति बाह्य विषयोंसे हटाकर अंतर्मुख करते हैं । - योगी (गिन् ) - पु० हठयोग करनेवाला व्यक्ति । -विद्या- स्त्री० हठयोगकी विद्या । -शील- वि० हठी, जिद्दी । मु० - पकड़ना - जिद करना। -माँड़ना* इठ पकड़ना । - में पड़ना - छठ करना; किसीके दृढ़ संकल्पका शिकार होना । - रखना- किसीके दृढ़ संकल्पकी पूर्ति करना । - रोपना - इठ माँड़ना ।
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हटकना * - स० क्रि० बरजना, मना करना, रोकना, कहीं से किसीको विरत करना, हटाना; चौपायोंको किसी ओर जाने से रोककर दूसरी ओर मोड़ना, हाँकना अ० क्रि० पश्चात्पद होना, हिचकिचाना । हटका - पु० दरवाजे आदि खुलने, इटनेसे रोकने के लिए हठादेशी ( शिन् ) - वि० [सं०] किसी के विरुद्ध बलप्रयोगका लगी हुई चीज; अर्गल, ब्योंड़ा ।
हठना* - अ० क्रि० इठ करना, जिद्द करना - 'करिहौं न तुमसों मान हठ, छठिहौं न माँगत दान' - सू० । हठात् - अ० [सं०] हठपूर्वक; बलपूर्वक । - कार - पु० बलात्कार, जबरदस्ती ।
उपाय बतलानेवाला ।