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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सर्वतः-सलवार ८२६ सूचित करनेवाला एक विशेषण जिसका प्रयोग अनेक सर्वांतक-वि० [सं०] सबका अंत करनेवाला । व्यक्तियोंके नाम एक साथ आनेपर, उन सबके लिए सामू- सर्वात्मा(त्मन्)-पु० [सं०] समस्त, संपूर्ण विश्वकी हिक रूपसे केवल एक बार, आरंभमें, किया जाता है। आत्मा, ब्रह्मा शिव । -श्रेष्ठ-वि० सर्वोत्तम । -संगत-पु. एक तरहका सर्वाधिक-वि० [सं०] सबसे बढ़ा हुआ, सबसे अधिक । जल्द तैयार होनेवाला धान, साठी। -सम्मत-वि० सर्वाधिकार-पु०[सं०] पूरा अख्तियार; सब कुछ करनेका सब सदस्यों आदिकी राय जिसके पक्षमें हो।-सम्मति- अधिकार । स्त्री० सबकी स्वीकृति या राय। -सह-वि० सब कुछ | सर्वाधिकारी(रिन)-पु० [सं०] सारे अधिकार रखनेसहन करनेवाला, सहनशील । पु० गुग्गुल । -सहा- वाला; शासक निरीक्षक अध्यक्ष । स्त्री० पृथ्वी । -साक्षी (क्षिन्)-वि० सब कुछ देखने-सर्वाधिपस्य-पु० [सं०] वह आधिपत्य या प्रभुता जो वाला । पु० ईश्वर, वायु, अग्नि । -साधारण-पु० सबपर हो। साधारण लोग, जनता। -सामान्य-वि० जो सबमें सर्वान्नभक्षक, सर्वानभोजी(जिन)-वि० [सं०] हर पाया जाय (कामन); जो सबके प्रयोगके लिए हो तरहका खाद्य-पदार्थ खानेवाला । (पब्लिक)। -सुलभ-वि० जो सबको आसानीसे प्राप्त सर्वाशय-पु० [सं०] सबका आश्रय, आधार; शिव । हो सके। -स्व-पु० सब कुछ, सारी संपत्ति; सर्वाश । | सर्वाशी(शिन्)-वि० [सं०] सर्वभक्षी। -स्व-दंड-स्व-हरण,-स्व-हार-पु. सारी संपत्तिका सर्वास्तिवाद-पु० [सं०] समस्त वस्तुओंकी सत्ताको हरण ।-स्व-युद्ध-पु० (टोटल वार) समस्त साधनोंसे लड़ा वास्तव मानना (वैभाषिक बौद्ध सिद्धांतके चार भेदोंमेंसे जानेवाला युद्ध, वह युद्ध जिसमें शत्रुके विरूद्ध समस्त एक जो गौतमपुत्र राहुल द्वारा प्रवर्तित माना जाता है)। साधन और सारी शक्ति लगा दी जाय, सर्वांगिक युद्ध । सर्वेश, सर्वेश्वर-पु० [सं०] सबका स्वामी, मालिका -स्वाहानीति-स्त्री० (स्कॉर्चड अर्थ पॉलिसी) दे० 'सर्व- चक्रवर्ती राजा, सम्राट शिव; ईश्वर । -बाद-पु० (पैथीक्षारनीति' ।-हारा-पु० [हिं०] (प्रोलेटेरियट) समाजका | इज्म) सर्व जगत् ईश्वरका प्रतिरूप है और ईश्वर सर्व अकिंचन वर्ग, निम्नतम श्रमिक वर्ग । जगत्का, यह सिद्धांत; सब देवताओंको मानने, उनकी सर्वतः (तस)-० [सं०] चारों ओर, सर्वत्र; सब पूजा करनेका सिद्धांत। प्रकारसे; सब तरफसे; पूर्णतः । सर्वेसर्वा-वि०जिसे किसी मामले में सब कुछ करनेका सर्वतोदक्ष-वि० [सं०] (ऑल राउंडर) जो कई बातों, अधिकार हो, प्रधान कर्ताधर्ता, पूर्णाधिकारी। कामों आदिमें दक्ष हो; ( वह खेलाड़ी) जो बल्लेबाजी, सर्वोच्च-वि० [सं०] सबसे ऊँचासबसे बड़ा। -न्यायागोलंदाजी, क्षेत्ररक्षण आदि सबमें दक्ष हो। लय-पु० (सुप्रीम कोर्ट) देशका सबसे बड़ा न्यायालय, सर्वतोभद्-वि० [सं०] जो सब प्रकारसे कल्याणकर हो; उच्चतम न्यायालय। -सत्ता-स्त्री० ( पैरामाउंट पॉवर) जिसके सारे सिर, मूंछ आदिके बाल मुंड़े हों। पु. वह देशकी सबसे बड़ी या प्रधान सत्ता (शक्ति)। वर्गाकार मंदिर या प्रासाद जिसमें चारों तरफ द्वार हो | सर्वोत्तम-वि० [सं०] सबसे अच्छा, सर्वश्रेष्ठ । एक तरहका व्यूह; एक तरहका चित्रकाव्यः (पूजाके समय) सर्वोदय-पु० [सं०] सब लोगोंके आर्थिक, नैतिक, सामावेदी ढंकनेके वस्त्रपर बनाया जानेवाला एक चिहा वह जिक उत्थानके लिए चलाया गया स्वतंत्र भारतका एक मकान जिसमें चारों ओर छज्जा हो सिर, मूंछ आदिका आंदोलन ।। मुँडाया जाना। सर्वोपकारी(रिन्)-वि० [सं०] सबका उपकार, सहायता सर्वतोमुख-वि० [सं०] जिसका मुँह चारों ओर हो; करनेवाला । पूर्ण; असीम । सर्वोपरि-अ० [सं०] सबसे ऊपर या बढ़कर । सर्वत्र-अ० [सं०] सब जगह हर वक्त, हमेशा। | सर्षप-पु० [सं०] सरसों; एक बहुत छोटी तौल । सर्वथा-अ० [सं०] हर तरहसे; पूर्णतः; बिलकुल; अत्यंत । सलई-स्त्री० चीड़, चीड़का गोंद। सर्वदा-अ० [सं०] हमेशा,सदा । वि०स्त्री०दे० 'सर्व'के साथ । सलक्षण-वि० [सं०] समान चिह्नोंवाला । सर्वरी-स्त्री० दे० 'शर्वरी'। सलग-वि० समग्र पूरा, अखंडित,समूचा-'सलग रुपैया सर्वरीस*-पु० दे० 'शर्वरीश'। भैया कापै दयो जात है। सर्वशः(शस)-अ० [सं०] पूर्णतः; सब प्रकारसे । सलगम, सलजम-पु० दे० 'शलराम' । सर्वस*-पु० सर्वस्व, सब कुछ। सलन-वि० [सं०] हयादार, लज्जाशील; विनम्र । सर्वांग-पु० [सं०] सारा शरीर; संपूर्ण अंश या अवयव । सलतनत-स्त्री० दे० 'सल्तनत' । -पूर्ण-वि० सब तरहसे पूर्ण । -सम त्रिभुज-पु० सलना*-अ० क्रि० गड़ना; छिदना, साला जाना; किसी (आइडें टिकली ईक्कल; कांग्रएंट) वे दोनों त्रिभुज जिनमेंसे छिद्र में (लकड़ी आदि) बैठाया जाना । पु० बरमा । एकके सभी छः अंग (तीनों भुजाएँ व तीनों कोण) दूसरेके सलभ*-पु० दे० 'शलभ' पतंग । छ: अंगोंके बराबर हों। -संदर-वि० जिसके सब अंग सलमा-पु० सोने-चाँदीका गोलाईमें लपेटा हुआ तार, सुंदर हों, बहुत सुंदर। बादला। सर्वांगीण-वि० [सं०] सब अंगोंसे संबंध रखनेवाला; | सकवट-स्त्री० दे० 'सिलवट' । संपूर्ण, बहुक्षेत्र-व्यापी। सलवार-स्त्री०जाँघिया:पंजाबी ढंगका ढीला-ढाला पैजामा। For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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