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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७६७ शरता-शत शरता*-स्त्री० बाण चलानेकी कला (कविप्रि०)। शरारत-स्त्री० [अ०] शरीर (दुष्ट) होनेका भाव, पाजीपन, शरत्, शरद-स्त्री० [सं०] एक ऋतुका नाम जो कारसे शैतानियत । कातिकतक रहती है। वत्सर, वर्ष । -काल-पु. शरत् | शराश्रय-पु० [सं०] तूणीर, तरकश । ऋतुकी अवधि, कार और कातिकका महीना। शरासन-पु० [सं०] धनुषु । शरबत-पु० [अ०] पेय; पेयकी वह मात्रा जो एक वारमें | शरिष्ट*-वि० दे० 'श्रेष्ठ' । पी ली जाय; फल, फूल या औषधिका अर्क जो चीनी या | शरीअत-स्त्री० [अ०] खुदाके बनाये हुए कानून; मजहबी मिसरी में पका लिया जाय; शकर, खाँड़ आदिको पानीमें कानून; न्याय । घोलकर प्रस्तुत किया हुआ पेय, रस। -पिलाई-स्त्री० शरीक-वि० [अ०] शिरकत रखनेवाला, मिला हुआ, शरबत पिलानेकी रस्मका नेग। -ति)दीदार-पु० | शामिल; साझी; जोड़ीदार; साथ देनेवाला। -(के) शरबतरूप (शर्बत सरीखा मधुर, तृप्ति-शांतिकर) दर्शन । | | जलसा-वि० सभामें उपस्थित ( जन )। -जुर्म-वि० मु०-पिलाना-ब्याहके पहले या पीछे बरातियोंको शर- अपराधमें साथ देने, सहायता करनेवाला। बत पिलाना (एक रस्म)। -के प्यालेपर निकाह कर शरीफ-वि० [अ०] भला, नेक; कुलीन; प्रतिष्ठित; ऊँचे (पढ़ा)देना-बिना कुछ खर्च किये ब्याह कर देना। | - घरानेका पवित्र (अन्य शब्दसे युक्त होकर सम्मानका शरबती-वि० [अ०] शरबतके रंगका रसदार, सरस ।। अर्थ प्रकट करता है-'कुरानशरीफ', 'मक्काशरीफ')। पु० पु० हलका पीला रंग जिसमें थोड़ी सुखी भी हो, मलमल- भलामानस, कुलीन, प्रतिष्ठित जन; मक्केके शासककी से मिलता-जुलता एक निहायत बारीक और बढ़िया पदवी। -जादा-पु० शरीफका बेटा, कुलीन जन । कपड़ा; एक तरहका कबूतर; चकोतरा नीबू । -नीबू- शरीफा-पु० एक फल या उसका वृक्ष, सीताफल । पु० मीठा नीबू, चकोतरा। -फ्रालसा-पु० फालसेका शरीर-वि० [अ०] दुष्ट, नटखट, पाजी। पु० [सं०] अस्थि, एक भेद जो कुछ बड़ा और खट-मीठा होता है। मांस, मज्जा आदिसे निर्मित स्थलचर, जलचर, नभचर शरभ-पु० [सं०] हाथीका बच्चा; ऊँट; सिंहसे भी बलवान् । जीवोंके संपूर्ण अंगोंका समुच्चय। -ज-पु० कामदेव एक कल्पित पशु जिसे 'अष्टपाद' (आठ पैरोंवाला) कहते काम-वासना पुत्र; रोग। -त्याग-पु० मृत्यु ।-दंडहै; टिड्डी; एक वर्णवृत्त । पु. शारीरिक दंड; शरीरको कष्ट देना । -पतनशरम-स्त्री० दे० 'शर्म' (फा०)। पु. शरीरका क्रमशः जीर्ण होना; मृत्यु । -पातशरमाऊ-वि० दे० 'शरमीला'। पु० मृत्यु। -बंध-पु० देहयष्टि, शरीरका ढाँचा। शरमाना-स०क्रि०लज्जित करना । अ०कि०लजित होना । -भृत्-पु० वह जिसने शरीर धारण किया है, शरीरशरमाशरमी-अ० शर्मकी वजहसे । धारी; आत्मा। -यात्रा-स्त्री० जीवन-रक्षणके साधन शरमिंदा-वि० दे० 'शर्मिदा'। जीवनवर्धनकी वस्तुएँ; जीवन। -रक्षक-पु० आक्रमण शरमौला-वि० लजाधुर, लज्जाशील । आदिसे राजा, अमीर-उमरा आदिके शरीरकी रक्षा शरह-स्त्री० [अ०] वर्णन; व्याख्या दर, भाव ।-बंदी- करनेवाला व्यक्ति, अंगरक्षक ।-विज्ञान-पु० दे० शरीरस्त्री० भावोंकी तालिका। -मुऐयन-वि० जिसकी शास्त्र' ।-वृत्ति-स्त्री० शरीर-रक्षाके लिए व्यापार, नौकरी मालगुजारी सुनिश्चित हो, अतः जिसमें वृद्धिकी संभावना इ०, जीविका। -शास्त्र-पु. शरीरके बाहरी-भीतरी न हो। -लगान-स्त्री० लगानकी दर। -सूद-स्त्री० अवयवोंकी रचना, क्रिया आदिकी विवेचना करनेवाला ब्याजकी दर । शास्त्र, शरीर-विज्ञान । शराकत-स्त्री० [फा०] साझा, हिस्सेदारी। शरीरांत-पु० [सं०] मृत्यु, देहावसान । शराटि, शराटिका, शराडि, शराति-स्त्री० [सं०] एक शरीरी(रिन् )-पु० [सं०] शरीरधारी; मनुष्य प्राणी । चिड़िया जो प्रायः जलके निकट रहती है, टिट्टिभ, कुररी। शरु-पु० [सं०] कण; हथियार; इंद्रका वज्र, क्रोध; हिंसा शराफ-पु० दे० 'सराफ' । हिंसक । वि० शीर्ण; सूक्ष्म पतला । शराफत-स्त्री० [अ०] भलमनसी; भद्रता; कुलीनता। शर्करा-स्त्री० [सं०] शक्कर, रवादार चीनी; बालुकाकण । शराफा-पु० दे० 'सराफ । -धेनु-स्त्री० दानके लिए शकरकी बनी गाय ।-प्रमेहशराफी-स्त्री० दे० 'सराफी' । पु० मधुमेह रोग। शराब-स्त्री० [अ०] पेय; मद्य । -खाना-पु. शराबकी शर्त-स्त्री० [अ०] प्रतिज्ञा, किसी संधि-समझौतेकी अंगभूत दुकान, मदिरालय । -खोर-पु० दे० 'शराबरूवार'। प्रतिज्ञा; वह बात जिसपर किसी बातका होना, किया -खोरी-स्त्री०दे० 'शराबख्वारी' ।-रवार-पु० शराबी, जाना, कायम रहना अवलंबित हो; वस्तु या कार्यविशेषमद्यव्यसनी। -ख्वारी-स्त्री. शराब पीनेका व्यसन । के लिए अनिवार्य वस्तु; कैद, पाबंदी; होड़, बाजी। -(बे)वहर-स्त्री० बिहिश्तमें मिलनेवाली पवित्र शराब । -बंद-वि० शर्तसे बँधा हुआ, प्रतिज्ञापत्र लिखकर मु०-का दौर चलना-पानगोष्ठी में सम्मिलित लोगोंका। नियत अवधितक काम करनेको बँधा हुआ (मजदूर), प्यालेपर प्याला खाली करना, पीनेवालोंके प्यालोंका 'गिरमिटिया' । मु०-बद(बाँध)कर सोना-बहुत देरभरा और खाली किया जाना। तक सोना, बड़ी लंबी नींद लेना । -बदना,-बाँधनाशराबी-पु. शराब पीनेवाला, मद्यव्यसनी । बाजी लगाना । (किसी बातकी)-होना-किसी बातशराबोर-वि० भींगा हुआ, बिलकुल गीला । के लिए अनिवार्य, अत्यावश्यक होना। -यह है-इस For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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