SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 745
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org विधानक - विध्यनुकूल नेवाले व्यक्तियोंका समूह - भारतके जिन राज्यों में दो सदन हैं, वहाँ उन दोनों ( और जिनमें एक ही सदन है उनमें उक्त सदन ) तथा राज्यपालको संयुक्त रूपसे यह नाम दिया गया है । - सभा - स्त्री० ( लेजिस्लेटिव असेंबली) जनप्रतिनिधियोंकी वह सभा जो राज्यके लिए विधान बनाती, आय-व्ययक स्वीकार करती तथा शासनकार्योंका नियंत्रण करती है । विधानक - वि० [सं०] व्यवस्था करनेवाला; विधान जानने वाला । विधायक - वि० [सं०] कार्य करनेवाला; बनानेवाला; व्यवस्था देनेवाला; रचनात्मक कानून बनानेवाला ( आधु० ); सुपुर्द करनेवाला | पु० संस्थापक, निर्माता; ( लेजिस्लेटर ) विधानसभाका सदस्यः विधान संहिताके निर्माणका कार्य करनेवाला । विधायन - पु० [सं०] विधान करना या बनाना; विधानसभा आदि द्वारा विधान, अधिनियम आदिका निर्माण । विधायी (त्रिन्) - वि० [सं०] व्यवस्था देनेवाला; बनाने, पूरा करनेवाला; रचनात्मक; सुपुर्द करनेवाला । -कार्य - पु० ( लेजिस्लेटिव बिजनेस ) ( विधान सभा आदिमें ) विधान निर्माणका कार्य । विधारा - पु० एक लता जो उपदंश, क्षय आदि रोगों में बहुत गुणकारी होती है । विधावन - पु० [सं०] इधर-उधर दौड़ना । विधावित- वि० [सं०] विभिन्न दिशाओं में पलायित, तितर-बितर । विधि - स्त्री० [सं०] कार्य करनेका ढंग; संगति, मेल; प्रयोग; शास्त्रसम्मत व्यवस्था; (लाँ) मनुष्यों के हितों, अधिकारों आदिकी रक्षा के लिए राजा, मंत्रिमंडल या विधानसभा आदि द्वारा निर्मित वे विधान या अधिनियम जिनका पालन करना प्रत्येक व्यक्तिके लिए अनिवार्य होता है और जिनकी अवहेलना करनेपर उसे दंड मिलता या मिल सकता है; धर्मग्रंथ, शास्त्र द्वारा निश्चित कर्तव्य-निर्देश; क्रियाका वह रूप जिसमें किसीको काम करनेका आदेश किया जाता है ( व्या० ); एक : अर्थालंकार जिसमें सिद्ध विषयका फिर विधान होता है; कार्य; भाग्य; एक देवी; चाल-ढाल, आचार-व्यवहार । पु० सृष्टिकी रचना करने वाला, ब्रह्मा; विष्णु । -ग्राह्य मुद्रा - स्त्री० (लीगल टेंडर (मनी) वह मुद्रा जिसका प्रयोग ऋण चुकानेके लिए करना विधिविहित हो । धन- वि० नियमोल्लंघन करनेवाला । - ज्ञ - पु० (लॉयर) विधि-विधान जाननेवाला । निषेधपु० कोई काम करने या न करनेका शास्त्रीय निर्देश । - परामर्शी (शिन्) -पु० (लीगल रिमेम्ब्रेसर ) सरकारको विधि (कानून) - संबंधी सलाह देनेवाला पदाधिकारी । - पालक - वि० (लॉ अबाइडिंग) राज्यकी विधियों( कानूनों) का पालन करते हुए जीवन-यापन करनेवाला ( नागरिक ) । - पूर्वक, - वत् भ० नियमानुसार । - प्रयोग - पु० नियमका प्रयोग। -भंग-पु० (ब्रीच ऑफ लॉ) विधि- (कानून) की उपेक्षा करना, विधिविरोधी कार्य द्वारा विधिका उल्लंघन । -रानी-स्त्री० [हिं०] दे० 'विधिवधू' । - लोक - पु० ब्रह्मलोक, सत्यलोक । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७३६ - लोप - पु० नियमोल्लंघन । - वधू- स्त्री० ब्रह्माकी पत्नी, सरस्वती । -वशात्-अ० दैवयोगसे, भाग्यवशात् । - वाहन - पु० हंस । -विज्ञान, - शास्त्र - पु० ( ज्यूरिस प्रूडेंस) नियम, विधियों, सिद्धांतों आदिका विवेचन करनेवाला शास्त्र । - विपर्यय- पु० भाग्यकी प्रतिकूलता। -विहित-वि० नियम या शास्त्र के अनुसार प्रतिष्ठापित; शास्त्रानुमोदित । - सचिव - पु० (लीगल सेक्रेटरी) विधि-संबंधी प्रश्नोंमें सलाह देने या पत्रव्यवहारादि करनेवाला सचिव । - स्नातक- पु० (बैचलर ऑफ लॉज) वह व्यक्ति जिसने विधि ( कानून ) की परीक्षा में उत्तीर्ण होकर उपाधि प्राप्त की हो। होन- वि० अनियमित, अविहित | मु० - बैठना - मेल खाना; इच्छानुकूल कार्य होना । विधिक - वि० (लीगल) विधि (कानून) - संबंधी; जो विधिके _अनुकूल या अनुरूप हो । विधुंत* - पु० दे० 'विधुंतुद' । विधुंतुद - पु० [सं०] चंद्रमाको कष्ट देनेवाला, राहु | विधु -पु० [सं०] चंद्रमा कपूर; ब्रह्मा । -क्षय - पु० चंदमाका क्षीण होना; असित पक्ष । -दार - स्त्री० चंद्रमाकी स्त्री, रोहिणी । - प्रिया - स्त्री० रोहिणी; कुमुदिनी । - बंधु - पु० कुमुदका फूल। - बैनी* - स्त्री० दे० 'विधुमुखी' । - मंडल - पु० चंद्रमंडल । -मणि-पु० चंद्रकांत मणि । - मुखी, - वदनी - स्त्री० सुंदरी स्त्री, चंद्रमा के समान मुखवाली स्त्री । विधुर - वि० [सं०] दुःखी; वियोगी; वंचित; व्याकुल; असमर्थ; असहाय । पु०वह पुरुष जिसकी स्त्री मर गयी हो । विधुरा - स्त्री० [सं०] कानके पासकी एक ग्रंथि; दहीकी लस्सी । विधूत - वि० [सं०] कँपाया या हिलाया हुआ; काँपता हुआ; अस्थिर; परित्यक्त; हटाया, दूर किया हुआ । -कल्म, - पाप्मा ( मन ) - वि० पापमुक्त । - केश - वि० जिसके बाल बिखरे या लहरा रहे हों । विधूनन- पु० [सं०] हिलाना; कंपन; अनिच्छा, विकर्षण । विधूनित - वि० [सं०] हिलाया हुआ; कंपित; उत्पीड़ित । विधूम - वि० [सं०] धूमरहित (अग्नि) । विधूम्र - वि० [सं०] धूसर, मटमैला । विधेय - वि० [सं०] देने योग्य; प्राप्य करने योग्य; स्थापनाके योग्य; प्रदर्शित करने योग्य; प्रज्वलित करने योग्य; अधीन, वशवर्ती; विनम्र शासित करने योग्य । पु० कर्तव्य कर्म; आवश्यकता; वाक्यका वह अंश जो किसीके संबंध में कहा गया हो । ज्ञ - वि० कर्तव्य समझनेवाला । विधेयक- पु० [सं०] किसी विधान, अधिनियम आदिका वह प्रारूप (मसौदा ) जो पारित होनेके लिए लोकसभा, विधानसभा आदि में रखा जाय (बिल) | विधेयता - स्त्री० [सं०] विधिके योग्य होना; अधीनता । विधेयत्व - पु० [सं०] उपयोगिता; निर्भरता; अधीनता । विध्य- वि० [सं०] छिदने योग्य; जिसे बेधना, छेदना हो । विध्यनुकूल - वि० [सं०] (वैलिड) विधि (कानून) की दृष्टि से जिसमें कोई त्रुटि न हो; जिसमें विधिक आवश्यकताओंका भली भाँति पालन या अनुसरण किया गया हो । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy