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वर्षण-वसी वर्षण-पु० [सं०] वृष्टि ।
अपने अनुकूल करानेकी शक्ति; अधिकार में करना । वि० वर्षांग-पु० [सं०] महीना।
अधीन; आशाकारी; मुग्ध । -कर-वि० वशमें करने वर्षा-स्त्री० [सं०] वृष्टि; बरसात । -काल-पु० बरसात । वाला । -गा-स्त्री० आशामें रहनेवाली स्त्री। -वर्ती-प्रिय-पु० चातक । -बीज-पु० ओला।
(तिन् )-वि० जो किसीके वशमें हो । मु०-कावर्षागम-पु० [सं०] वर्षाका आरंभ ।
जिसपर जोर या अधिकार हो। -चलना-कुछ करनेकी वर्षाधिप-पु० [सं०] वर्षका अधिपति (ग्रह)।
शक्ति होना । -मैं होना-अधिकार, आज्ञामें होना। वर्षाशन-पु० [सं०] वर्षभरके भोजनके रूपमें दिया जाने | वशा-स्त्री० [सं०] स्त्री; गाय; हथिनी कन्या; ननद । वाला अन्नदान।
वशानुग-पु० [सं०] आशाकारी, दास । वि० वशीभूत । वर्षीण, वर्षीय-वि० [सं०] .."सालका ।
वशिता-स्त्री०, वशित्व-पु०[सं०] अधीनता; सम्मोहन । वर्षेश-पु० [सं०] दे० 'वर्षाधिप'।
वशिष्ठ-पु० [सं०] दे० 'वसिष्ठ' । वर्षोपल-पु० [सं०] ओला ।
वशी(शिन)-वि० [सं०] शक्तिशाली संयमी, अपनेको वई-पु० [सं०] मोरका पंख, पत्ता ।
वशमें रखनेवाला। वहीं(हिन्)-पु० [सं०] मोर ।
वशीकर-वि० [सं०] वशमें करनेवाला । वलन-पु० [सं०] घूमना, चक्कर खाना क्षोभ ग्रह आदि-वशीकरण-पु० [सं०] वशमें लाना मंत्रादिके प्रयोगसे का मार्गसे विचलित होकर चलना, वक्रगति ।
किसीको वशीभूत करना । वसभि, बलभी-स्त्री० [सं०] वड़भी, चंद्रशाला; घरकी | वशीकृत्-वि० [सं०] वशमें किया हुआ; मंत्र द्वारा वशमें चोटी छाजन सौराष्ट्र की एक पुरानी नगरी ।
किया हुआ। वलय-पु० [सं०] कंकण; छल्ला, अंगूठी कटिबंध; घेरा।| वशीभूत-वि० [सं०] अधीन, जो वशमें हो गया हो। वलयित-वि० [सं०] घिरा हुआ, चेष्टित; चक्कर खाता वश्य-वि० [सं०] वशमें किये जाने योग्य या किया जानेदुआ; गोल मुड़ा हुआ।
वाला; वशमें किया हुआ । पु० दास आश्रित । वलाक-पु० [सं०] बक, बगला।
वश्यका-स्त्री० [सं०] आशामें रहनेवाली स्त्री। वलायत-स्त्री० [अ०] वली होना; दे० 'विलायत'। वश्यता-स्त्री० [सं०] अधीनता । चलाहक-पु० [सं०] दे० 'बलाहक'।।
वश्या-स्त्री० [सं०] वशीभूता स्त्री लगाम, गोरोचन । वलि-स्त्री० [सं०] सिकुड़न, झुरी; चंदनादिसे शरीरपर घसंत-पु० [सं०] छ ऋतुओंमेंसे एक जो चैत्र-वैशाखमें बनी हुई रेखा; पेट में पड़नेवाला बल; कतार ।
होती है (वसंत देवरूपमें कामदेवका सहचर माना जाता वलित-वि० [सं०] बल खाया हुआ; मोड़ा, झुकाया हुआ;
है); अतिसार, मसूरिका । -काल-पु. वसंत ऋतु । धेरा हुआ; संबद्ध युक्त सिकुड़नदार; लिपटा हुआ। -घोष,-घोपी(पिन्)-पु० कोकिल । -तिलकवली-पु० [अ०] स्वामी; संरक्षक; अलाइका प्यारा सिद्ध पु०,-तिलका-स्त्री० एक वर्णवृत्त । -पंचमी-स्त्री० पुरुष; नाबालिगकी जायदादकी रक्षाके लिए जिम्मेदार माघशुक्ला पंचमी और उस दिन होनेवाला त्योहार । आदमी । स्त्री० [सं०] दे॰ वलि'; तरंग।-मुख-पु०बंदर। -बंधु-पु० कामदेव । -महोत्सव-पु. होलिकोत्सव । वलीवर्द-पु० [सं०] बैल ।
-यात्रा-स्त्री. वसंतोत्सव । -व्रण-स० मसूरिका । वल्कल-पु० [सं०] पेड़की छाल; पेड़की छालका कपड़ा। -सख-पु० कामदेव मलयानिल । वल्द-पु० [अ०] बेटा; पुत्र ।
वसंती-पु० सरसोंके फूल जैसा एक हलका पीला रंग । वल्दीयत-स्त्री० [अ०] माँ-बापका नाम, वंश-परिचय । वि० वसंती रंगका । स्त्री० वासंती लता। वल्मी-स्त्री० [सं०] चींटी, दीमक । -कूट-पु० बिमौट । वसंतोत्सव-पु० [सं०] होलिकोत्सव । वल्मीक-पु० [सं०] दीमक, चींटी आदिकी चाली हुई वसअत-स्त्री० [अ०] फैलाव कुशादगी गुंजाइश आराम । मिट्टीका ढेर, विमौट; इलीपद नामक रोग ।
वसति, वसती-स्त्री० [सं०] वास, रहना; घर; शिविर वल्लकी-स्त्री० [सं०] वीणा; सलईका पेड़ ।
आबादी, वस्ती; आधार। वल्लभ-वि० [सं०] प्रिय, प्यारा । पु० प्रियजन; नायक वसन-पु० [सं०] वस्त्र ढकनेकी वस्तु, आवरण, निवास । पति अध्यक्ष स्वामी।
वसवास-पु० [अ०] भुलावा; भ्रम; शंका, संदेह । वल्लभा-स्त्री० [सं०] प्रियतमा, प्रेयसी । वि० प्यारी। वसवासी-वि० [अ०] भुलावेमें डालनेवाला; शक करनेवल्लभी-स्त्री० [सं०] गुजरातका एक राजनगर; गोपिका। वल्लरि, वल्लरी-स्त्री० [सं०] लता मंजरी ।
वसह*-पु० बैल । वल्लवी-स्त्री० [सं०] गोपिका।
वसा-सी० [सं०] मेद, मेद या चरबीवाला पदार्थ; भेजा। वल्लाह-अ० [अ०] खुदा कसम, सचमुच ।
वसित-वि० [सं०] पहना हुआ; बसा हुआ; जमा किया वल्ली -स्त्री० [सं०] लता।
हुआ। पु० वस्त्र, वास-स्थान; वशंकर-वि० [सं०] वश में करनेवाला।
वसितव्य-वि० [सं०] पहनने, धारण करने योग्य । वशंवद-वि० [सं०] वशवतीं; आशाकारी।
वसिष्ठ-पु० [सं०] एक ऋषि; सप्तर्षिमंडलका एक तारा; वश-पु०[सं०] किसीका प्रभाव, शक्ति जिससे दूसरेसे कोई एक स्मृतिकार । काम करा लिया जाय, काबू, इच्छा, चाह; किसी बातको वसी-पु० [अ०] वह व्यक्ति जिसको वसीयत की गयी हो
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