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मशक-मसाला आनेवाला चौपाया । खाना-पु० मवेशी रखनेका मजाक पसंद करनेवाला, परिहासप्रिय व्यक्ति; विदूषक । बाड़ा, पशुशाला; वह बाड़ा जिसमें दूसरेका खेत चरनेवाले -पन-पु० ठट्टेबाजी, हँसोड़पन । मवेशी बंद किये जायें।
मसखरी-स्त्री० मसखरापन; हँसी। मशक-स्त्री० [फा०] भेड़ या बकरीकी खालको सीकर | मसखवा-वि० माँस खानेवाला । बनाया हुआ थैला जिससे भिश्ती पानी ढोते हैं । पु० मसजिद-स्त्री० [अ०] सिजदा करनेकी जगह, उपासना[सं०] मच्छड़, मस्सा। -हरी-स्त्री० मसहरी ।
स्थल, वह इमारत जिसमें मुसलमान इकट्ठा होकर नमाज मशनकत-स्त्री० [अ०] श्रम, मेहनत कठोर श्रम । पढ़ते हैं । मु०-मैं चिराग जलाना-मन्नत पूरी करनेके मशनकती-वि० [अ०] मशक्कत करनेवाला, मेहनती । लिए मसजिदके ताकोंमें दिये जलाना । मशगूल-वि० [अ०] किसी शगल या काममें लगा हुआ, मसनद-पु० [अ०] गद्दी; बड़ा तकिया। -नशी-वि० कार्यरत ।
मसनदपर बैठनेवाला । पु० राजा; बादशाह अमीर । मशरिक-पु० [अ०] पूरब ।
मसनवी-स्त्री० [अ०] उर्दू-फारसीका वह प्रबंध-काव्य मशरू-पु० रेशम और सूत मिलाकर बुना जानेवाला जिसके हर शेरके दोनों मिसरोंका काफिया एक, पर हर एक धारीदार कपड़ा।
शेरका काफिया जुदा हो। मशवरा-पु० [अ०] मंत्रणा, सलाह साजिश । मसमुंद*-पु० धक्कमधक्का । मशविरा-पु० दे० 'मशवरा'।
मसयारा*-पु० मसाल । मशहर-वि० [अ०] जिसकी शुहरत हुई हो, प्रसिद्ध ।। मसरत-पु० [अ०] सर्फ (खर्च) करनेकी जगह, मौका मशाल-स्त्री० [अ०] लंबी गोल लकड़ीके सिरे या लोहे की काम; उपयोग। सलाखपर कपड़ा लपेटकर बनायी हुई मोटी बत्ती जिसे | मसरू-पु० दे० 'मशरू' (एक रेशमी कपड़ा)। तेलसे तर कर ब्याइ-बरात आदिमें जलाते हैं । -ची- मसल-स्त्री० [अ०] कहावत, लोकोक्ति मिसाल । पु० मशाल दिखानेवाला। मु०-लेकर इदना-साव. मसलति-स्त्री० दे० 'मसलहत'-बैठे इकले जाइ करन धानीसे ढूँदना, अच्छी तरह तलाश करना।
मसलति भली'-सुजान। मशीन-स्त्री० [अं०] यंत्र, कल । -गन-स्त्री० चक्राकार | मसलना-स० क्रि० किसी नरम चीजको दबाकर मलना, वंदूक जिससे लगातार सैकड़ों गोलियों छूटती है । -मैन । रगड़ना; भाँड़ना। पु० मशीन चलानेवाला कर्मचारी प्रेसमैन ।
मसलन-अ० [अ०] मिसालके तौर पर, उदाहरणरूपमें । मरत-पु० [अ०] किसी कामका अभ्यास, रब्त, कुशलता- मसलहत-स्त्री० [अ०] हितकर सलाह; हित, भलाई; प्राप्तिके लिए किसी कामको वार-बार करना।
हितकी दृष्टि, नीति । -अंदेश-वि० मसलहत सोचनेमष-पु० दे० 'मख'।
वाला, हितका विचार करनेवाला । मषि-स्त्री० [सं०] दे० 'मसि' ।
मसलहतन्-अ० [अ०] (मसलहत-हित) लाभकी दृष्टिसे। मष्ट*-वि० चुप, मौन (करना, मारना) ।
मसला-पु० [अ०] सवाल, प्रश्न; पूछने योग्य बात; मस-स्त्री० मूछोंका आरंभिक, रोमावलीवाला रूप; + दे० विषय (मजहबी मसले), समस्या। मु०-हल होना'मसि' । मु. ( भीगना-मूंछोंका उगना, निकलने उलझन, कठिनाईका दूर हो जाना। लगना।
मसवारा-पु० प्रसूताका प्रसवके एक महीने बादका स्नान। मस-पु० दे० मशक' । -हरी स्त्री० जालीदार कपड़ेका मसवासी-पु० साधु-संन्यासी जो एक जगह एक महीनेसे परदा जो मच्छरोंसे बचनेके लिए मसहरीके ऊपर लगाया | अधिक न रहे। स्त्री० एक पुरुषके साथ एक महीनेसे जाता है। वह पलंग जिसके पायों में मसहरी लगानेके अधिक न रहनेवाली स्त्री, वेश्या । लिए डंडे लगे हों।
मसविदा-पु० दे० 'मसौदा'। मसक-पु०, स्त्री० दे० 'मशक'।
मसहार*-पु०, वि० दे० 'मांसाहारी'। मसकत-स्त्री० दे० 'मशक्कत' । पु० अरब देशका एक | मसा-पु० दे० 'मस्सा'; मच्छड़ । नगर या वहांसे आनेवाला अनार ।।
मसान-पु० मुरदे जलानेका स्थान, श्मशान, मरघट मसकना--अ० क्रि० दबाव या तनावसे दरकना; कपड़ेका | बच्चोंको होनेवाला सूखा रोग; * रणभूमि । मु०इस तरह फटना कि ताने-बानेमेंसे किसीके तार साबित जगाना-शवसाधन करना । न रहें; (चित्तका) मसोसना, विवशताकी पीड़ा अनुभव मसानिया-पु० मसान जगानेवाला; ओझा; डोम । करना । स० क्रि० दबाकर या तानकर फाड़ना, दरार मसानी-वि० मसान जगानेवाला । स्त्री० मसान में रहनेडाल देना; मसलना।
वाली पिशाचिनी इ० । मसकरा*-वि०, पु० दे० 'मसखरा। ।
मसाल-स्त्री० दे० 'मशाल'।-ची-पु० दे० 'मशालची' । मसाला-पु० [अ०] सिकलीगरोंका एक औजार । मसालहत-स्त्री० [अ०] सुलह करना, मेल-मिलाप, मसका-पु० मक्खन; दहीका पानी; * मच्छड़-'मसका | समझौता। कहत मेरी सरबरि कौन उहै'-सुंद० ।
मसाला-पु० वह सामग्री जिससे कोई चीज बनायी जाय, मसकीन*-वि० दे० 'मिस्कीन'।
किसी कार्यकी साधनरूप वस्तु या सामग्री (मकान वनानेमसखरा-वि० [अ०] हँसोड़, परिहासप्रिय । पु० हँसी- का मसाला, अखबारका मसाला, बरतन जोड़नेका मसाला
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