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भुंगी-भेली यत मुंगी कीट लौ मत वहई ह जाति'-बि०; अति- माना जाता है, दिमाग, मगज; चंदा; * मेढक । मु०विषा; भाँग।
खाना,-पकाना-बकबक करके खोपड़ी खाना । शृंगी(गिन् )-पु० [सं०] शिवका एक गण; बरगद । भेटना-स० क्रि० दे० 'भेटना'। शृंगीश-पु० [सं०] शिव ।
| भेड-स्त्री० [सं०] बकरीकी जातिका एक चौपाया जो दूध, भृकुटि(टी)-स्त्री० [सं०] भ्रभंग, भी चढ़ाना; भौं (हिं०)। रोयें और मांसके लिए भी पाला जाता है, मेष, बहुत भृगु-पु० [सं०] एक गोत्रप्रवर्तक ऋषि जो ब्रह्माके पुत्र | सीधा, बेवकूफ आदमी। माने जाते हैं; जमदग्निः शुक्राचार्यः शुक्र ग्रह शुक्रवार । भेड़-स्त्री० दे० 'भेड'। -चाल-स्त्री० भेड़ियाधसान । -ज,-तनय-पु० शुक्राचार्यः शुक्र । -तुंग--पु० | भेड़िया धसान-पु० अंध अनुकरणकी प्रवृत्ति । हिमालयकी एक चोटी । -नंदन-पु. परशुरामा शुक्र । भेड़ा-पु० मेढ़ा, मेष ।। -नाथ,-नायक-पु० परशुराम । -पति-पु. परशु- भेड़िया-पु० कुत्तेकी जातिका एक हिंस्र जंतु जो प्रायः राम ।-पुत्र-पु० शुक्र । -रेखा,-लता-स्त्री० विष्णुकी| भेड़-बकरियोंका शिकार किया करता है, बृक । छातीपर पड़ा हुआ भृगुके लात मारनेका चिह्न । -वार,- भेडी-स्त्री० [सं०] मेषी। -वासर-पु० शुक्रवार । -श्रेष्ठ,-सत्तम-पु० परशु-| भैतव्य-वि० [सं०] जिससे डरा जाय । राम । -सुत,-सूनु-पु० शुक्र परशुराम ।
भेत्ता(त्त)-वि० [सं०] भेदन करनेवाला विघ्न डालनेभृत-वि० [सं०] प्राप्त; वहन किया हुआ; भरा हुआ वाला; भेद खोलनेवाला; षड्यंत्र रचनेवाला। पोषित, पाला हुआ; मजदूरी या किरायेपर लिया हुआ। भेद-पु० [सं०] छेदना; दारण; बिलगाव, अंतर तादात्म्यपु० वेतन लेकर काम करनेवाला दास, नौकर ।
का अभाव क्षति, चोट परिवर्तन; द्रोह; पराजय; कोष्ठभृतक-वि० [सं०] मजदूरी या वेतनपर रखा हुआ। पु० | शुद्धि, रेचन छिपी हुई बात, रहस्य; मर्म; प्रकारफूट वेतनपर काम करनेवाला नौकर ।
खुलना, प्रकट होना (रहस्यभेद); राजनीतिके चार भृतकाध्यापक-पु० [सं०] वेतन लेकर शिक्षणकार्य उपायोंमेंसे एक, शत्रुपक्षमें फूट डालना। -कर,-कारक, करनेवाला।
-कारी(रिन),-कृत-वि० भेद करनेवाला। -दीभृति-स्त्री० [सं०] ले जाना; लाना; भरण; भरणका साधन, (शिन्),-दृष्टि-वि० विश्वको परब्रह्मसे भिन्न समझनेवेतन, मजदूरी; भोजन । -कर्मकर-पु० मजदूर, वेतन | वाला, द्वैतवादी । -नीति-स्त्री० फूट डालनेकी नीति । लेकर काम करनेवाला नौकर । -भोगी(गिन)-वि० -बुद्धि-स्त्री० अंतर करनेवाली दृष्टि, द्वैतभाव । वि० (मसीनरी) वेतन लेकर अवसर विशेषपर किसीके लिए भी द्वैतवादी । -भाव-पु० दो व्यक्तियों, वर्गों के साथ दो काम करने या लड़नेवाला, केवल रुपयेके लालचसे किसीकी तरहका व्यवहार, फर्क-वादी(दिन)-वि० द्वैतवादी। सेवा करनेवाला, किरायेका या भाडेका (सैनिक)। भेदक-वि० [सं०] भेद करनेवाला; छेदन करनेवाला; भृत्य-वि० [सं०] भरण करने योग्य । पु० सेवक । नष्ट करनेवाला; अन्तर करनेवाला; रेचक ।
-भारत)-पु० नौकरोंका पालन करनेवाला; गृह- भेदकातिशयोक्ति-स्त्री० [सं०] अतिशयोक्ति अलंकारका स्वामी। -भाव-पु. सेवाभाव, पराश्रय । -वर्ग-पु० एक भेद जिसमें 'और ही', 'न्यारा' आदि शब्दों द्वारा दास-समूह ।-वृत्ति-स्त्री० सेवकोंका पालन । -शाली- उपमानसे उपमेयको भिन्न कहा जाय ।। (लिन् )-वि० जिसके बहुतसे सेवक हों।
भेदन-पु० [सं०] छेदन; फाड़ना; बिलगाना; भेद, अंतर भृत्या-स्त्री० [सं०] दासी; भृति ।
करना; रेचन, दस्त लाना। भृश-वि० [सं०] अतिशयः प्रचंड; शक्तिशाली। अ० भेदित-वि० [सं०] छेदा, फाड़ा, बिलगाया हुआ। अत्यधिक । -कोपन-वि० बहुत क्रोधी । -दुःखित,- | भेदिया-पु० भेद जाननेवाला; जासूम । पीडित-वि० अत्यधिक कष्टग्रस्त ।
भेदी(दिन)-वि० [सं०] भेदकारक; भेद जाननेवाला; भैट-स्त्री० मिलन, मुलाकात; नजर ।
भेद लेनेवाला। पु० अम्लबेत । भेटना*-स० कि० मिलना; गले लगना या लगाना; छूना। भेदीसार-पु० छेद करनेका औजार, बरमा । भैना,#वना*-स० क्रि० तर करना।
भेद-पु० भेद जाननेवाला, मर्मश ।। भेइ, भेउ*-पु० दे० 'भेद'।
भेद्य-वि० [सं०] भेदन करने योग्य । पु० विशेष्य।-रोगभेक-पु० [सं०] मेढक मेघ; डरपोक आदमी। -भुक- पु०वह रोग जिसकी चिकित्सा चीर-फाड़के जरिये की जाय।
(ज)-पु० साँप । -रव-पु. मेढकोंका टर्राना। भेना*-स० कि० भिगोना। भेकी-स्त्री० [सं०] मेढकी; मंडूकपणी ।
भेय-वि० [सं०] दे० 'भेतव्य' । भेख-पु० दे० 'भेस'।
भेर-पु० [सं०] नगाड़ा, डंका। भेखज* -पु० दे० 'भेषज'।
भेरा-पु० एक तरहकी नाव, मेला। भेजना-स० क्रि० अन्य स्थानके लिए रवाना करना, भरि, भेरी-स्त्री० [सं०] दे० 'भेर'। -कार-पु. भेरी पहुँचाये जानेका प्रबंध करना, प्रेषण करना ।
बजानेवाला। भेजवाना-स० क्रि० भेजनेका काम दूसरेसे कराना। भेला-पु० भेट; भिड़त, भिलावाँ; एक ही लकड़ीमें बनी भेजा-पु० रीढ़वाले प्राणियोंकी खोपड़ीके अंदर रहनेवाला नाव,उडुप; + गुड़ आदिका बड़ा पिंड । भूरा गूदा जो नाडी-मंडल और मनकी क्रियाओंका केंद्र भेली-स्त्री० गुड़ आदिकी पिंडी; गुड़ ।
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