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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org भाएँ - भानमती महिमा; अस्थवा; भाई । भाएँ * - अ० ( किसीकी) समझमें । भाकसी- स्त्री० भाड़, भट्टी । भाकुर - पु० एक तरहकी मछली । भाखना* - अ० क्रि० स० क्रि० कहना, बोलना । भाखा* - स्त्री० दे० 'भाषा' | भाग - पु० [सं०] हिस्सा, अंश; बँटवारा; चौथाई; परिधिका ३०वाँ भाग; राशिचक्रका ५०वाँ भाग; राशि या संख्याविशेषको कई अंशों में बाँटनेकी क्रिया, तकसीम ( गणित ) । - धेय - पु० भाग; भाग्य; सौभाग्य; राजाको दिया जाने वाला कर; भाग पानेका अधिकारी । -फल-पु० भाज्यको भाजकसे भाग देनेपर प्राप्त संख्या, लब्धि । -हरवि० हिस्सेदार । - हारी ( रिन्) - वि० हिस्सेदार | पु० उत्तराधिकारी । भाग - पु० भाग्य, तकदीर; ललाटः पार्श्व; प्रातःकाल । -भरा - वि० भाग्यवान् । -वंत*, - वान - वि० भाग्यवान्, खुशनसीब । मु० - खुलना, - जागना - तकदीर खुलना, भाग्योदय होना । -फूटना - बुरे दिन आना । भागड़ - स्त्री० बहुत से लोगोंका आतंकित होकर एक साथ भागना, भगदड़ भागना - अ० क्रि० किसी जगह से हट जाने के लिए दौड़ना, पलायन करना; चल देना; जान बचाना, हारकर पलायन करना । भागवत - पु० [सं०] अठारह पुराणोंमेंसे एक जिसमें मुख्यतः कृष्णकी कथा वर्णित है; देवीभागवत; भगवद्भक्त । वि० भगवत्संबंधी । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५९६ सिद्धान्त । - विधाता (तृ) - पु० तकदीर बनानेवाला, अदृष्टका नियंता । - विपर्यय- पु० भाग्यका उलट-फेर, दिनका फेर । - विप्लव - पु० दुर्भाग्य । -शाली (लिन्) - वि० भाग्यवान् । - संपत्-स्त्री० सौभाग्य । -हीनवि० अभागा, बदनसीब | भाग्यवान् (वत्) - वि० [सं०] भाग्यशाली, खुशकिस्मत | भाग्योदय- पु० [सं०] भाग्यका खुलना, जागना । भाजक - पु० [सं०] भाग करनेवाला, विभाजक, वह संख्या जिससे किसी राशिको भाग दें । भाजन- पु० [सं०] बरतन, पात्र; योग्य अधिकारी; आधार; एक तौल, आढक; विभाग करना । भाजना* - अ० क्रि० दे० 'भागना' | भाजित - वि० [सं०] भाग किया हुआ, विभक्त । भाजी - स्त्री० [सं०] माँड़; साग आदि । भाज्य - वि० [सं०] भाग करने योग्य, विभाज्य । पु० वह अंक जिसमें भाग दिया जाय । भाट - पु० राजाओं आदिके यश, वंश, चरितका गान करनेवाला, वंदी; एक जाति जो अपने जजमानोंका वंशचरित सुनाने, स्तुतिपरक तुकबंदी आदि करनेका पेशा करती है; झूठी बड़ाई करनेवाला, चापलूस । स्त्री० नदी के किनारों के बीचकी जमीन, पेटा, नदीको धारा । भाटक- पु० [सं०] भाड़ा; ( रेंट ) मकान या जमीनका किराया, लगान । - राशि - स्त्री० ( रेंटल) किराये से होनेवाली समस्त आय, किराये के रूपमें प्राप्त धनराशि । भाटा - पु० समुद्रके पानीके नियतकालिक चढ़ावका उतार, ज्वारका उलटा; पथरीली जमीन | भाट्यौ* * पु० भाटका कार्य, स्तुतिपाठ । भागाभाग - स्त्री० भागनेकी हलचल, भागड़ । भागिता - स्त्री० [सं०] ( पार्टनरशिप) किसी कारबार में भाठ - स्त्री० नदीको बादमें बहकर आनेवाली मिट्टी जो साझा होना, साझेदारी, हिस्सेदारी । भागिनेय - पु० [सं०] भानजा । किनारे की जमीनपर जम जाती है; धारा । भाठा - पु० दे० 'भाटा'; गढा । भागी (गिन्) - वि० [सं०] जिसमें भाग हिस्से हों; हिस्से दार; शामिल, शरीक (पापभागी); मालिक, अधिकारी; गौण | पु० हिस्सेदार । भाठी स्त्री० भाटा; * दे० 'भट्टी'; शराब बनानेकी जगह । भाड़-पु० भट्टभूजेकी भट्ठी जिसमें बालू गरमकर वह दाना भूनता है। मु०-झौंकना - तुच्छ काम करना; निरर्थक श्रम करना - मेँ जाय-चूल्हे में जाय । - मेँ झौंकना, - मेँ डालना - चूल्हे में डालना, नष्ट करना; त्यागना । भागीरथ - वि० [सं०] भगीरथ संबंधी । * पु० दे० 'भगीरथ' । भागीरथी - स्त्री० [सं०] गंगा; गंगाकी वह शाखा जो बंगाल भाड़ा-पु० वह रकम जो किसी चीजको इस्तेमाल करने के में बहती है । बदले दी जाय, किराया; गाड़ी आदिका किराया । (भाई)का टट्टू - उजरतपर काम करनेवाला; वह आदमी जिसे पैसा देकर जो चाहे काम ले । | भाग्य - वि० [सं०] विभाज्य; भाग, हिस्सेका अधिकारी । पु० शुभाशुभसूचक कर्मजन्य अष्ट, नियति, तकदीर; सौभाग्य । -क्रम - पु० भाग्यका क्रम, फेर । दास्त्री० (लॉटरी) घुड़दौड़ आदिका परिणाम देखकर या चिट्ठी निकालकर टिकट खरीदनेवालों में इनाम बाँटने की पद्धति । - दोष-पु० भाग्यका दोष, तकदीरको खराबी । - पत्रक - पु० ( लॉट) वह चिट्ठी या कागजकी गोली आदि जिसे फेंककर या उठाकर किसी मालके बँटवारे, किसीको नियुक्ति, चुने जाने आदिका विनिश्चय किया जाता है। -बल-पु० भाग्यका बल, तकदीर । - लिपि - स्त्री० तकदीरकी लिखावट, अष्ष्ट रेखा । -वशःवशात् - अ० भाग्यके बल, किस्मत से । -वाद-पु० | | भानना* - स० क्रि० तोड़ना; काटना; नष्ट करना । भाग्यके अनुसार ही शुभाशुभकी प्राप्ति माननेका | भानमती - स्त्री० जादूके खेल करनेवाली, जादूगरनी । भाण-पु० [सं०] रूपक (दृश्यकाव्य) का एक भेद | भात-पु० उबाला हुआ चावल; ब्याहकी एक रस्म, वरके पिताका कन्या के पिताके घर जाकर कच्ची रसोई खाना । भाथा - पु० तीर रखनेकी थैली, तरकश; बड़ी भाथी । भाथी-स्त्री० चमड़ेकी धौंकनी । भादों, भादौं - पु० सावन के बादका महीना, भाद्रपद | भाद्र, भाद्रपद - पु० [सं०] भादोंका महीना । भान-पु० * सूर्य; [सं०] प्रकाश; दीप्ति; ज्ञान; प्रतीति । भानजा - पु० बहिनका पुत्र । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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