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अहीर गाते हैं; दे० 'विरह' | बिरहाना * - अ०क्रि० विरह व्यथाका अनुभव करना - 'राधा विरह देखि बिरहानी, यह गति बिन नंदनंद' - सू० । बिरही - वि०, ५० दे० 'विरही' । बिराग- पु० दे० 'विराग' |
बिरागना * - अ० क्रि० विरक्त होना ।
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बिराजना - अ०क्रि० शोभित होना; बैठना, आसीन होना । बिरादर - पु० [फा०] भाई, बंधु भाई-बंद, सजातीय । -कुशी - स्त्री० बंधुवध । - जादा पु० भतीजा । बिरादराना - वि० [फा०] भाईकासा, भाईके अनुरूप । बिरादरी - स्त्री० [फा०] भाईचारा; जाति, गोत्र । मु० - से ख़ारिज, बाहर होना - जातिच्युत होना । बिरान* - वि० वेगाना, पराया ।
बिराना* - वि० पराया । + स० क्रि० (मुँह) चिढ़ाना । बिराल - पु० दे० 'बिडाल' ।
बिरावना * - स० क्रि० दे० 'बिराना' |
बिरास * - पु० दे० 'विलास' । बिरासी * - वि० दे० 'विलासी' | बिरिख * - पु० दे० 'वृक्ष'; दे० 'वृष' |
बिरिछ* - ५० वृक्ष ।
बिरिध* - वि० दे० 'वृद्ध' |
बिरियाँ* - स्त्री० वेळा, समय; बार, दफा | बिरी* - स्त्री० पानका बीड़ा; गठरी; मिस्सी । बिरुझ (झा) ना* - अ० क्रि० उलझना; झगड़ना;मचलना । बिरुद - ५० दे० 'विरद' |
बिरुदैत - वि०, पु० दे० 'बिरद्वैत' ।
बिरुधाई * - स्त्री० बुढ़ापा |
बिरूप * - वि० कुरूप, भा; दे० 'विरूप' | बिरोधना * - अ० क्रि० विरोध करना । बिरोलना* - स० क्रि० दे० 'विलोड़ना' । बिलंद* - वि० दे० 'बुलंद' |
बिलंब - पु० दे० 'विलंब' ।
बिलंबना* - अ० क्रि० देर करना; रुकना; लटकना ।
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बिरहाना -बिलोन
बिलछना * - अ० क्रि० लखना, ताड़ना । बिलटी-स्त्री० रेलसे भेजे जानेवाले मालकी रसीद जिसे दिखाने पर भेजा हुआ माल मिलता है ।
बिलनी - स्त्री० आँख की पलकपरकी फुंसी; एक कीड़ा, भृंगी । बिलपना * - अ० क्रि० विलाप करना ।
बिलफेल - अ० दे० 'बिल' में |
बिलबिलाना - अ० क्रि० दुःख, पीड़ा आदिसे विकल, विह्वल होना, रोना-चिल्लाना; गिड़गिड़ाना; कीड़ोंका कुलबुलाना । बिलम* - पु० दे० 'विलंब' |
बिलमना * - अ० क्रि० देर करना; रुकना, अटकना; प्रेममें बँधकर रुक जाना ।
बिलमाना* - स० क्रि० रोकना, अटकाना; प्रेम में फँसाना । बिललाना* - अ० क्रि० बिलखना, विलाप करना - 'बिललात परे इक कटे गात' - सुजानः घबड़ाना | बिलल्ला - वि० खेल-कूद, आवारगी में समय बितानेवाला; बेशऊर, महामूर्ख ।
विलसना* - अ० क्रि० सजना, शोभित होना । स० क्रि० बरतना, भोगना ।
बिलसाना* - स० क्रि० बरतना, भोगना; दूसरेको बरतनेमें प्रवृत्त करना ।
बिलस्त | पु० बित्ता ।
बिलहरा - पु० बाँसको तीलियों का बना पान रखनेका डिब्बा । बिला - अ० [अ०] बिना, बगैर । - तकल्लुफ़न-अ० निस्संकोच, बिना रुके अटके । -नागा- अ० प्रति दिन, हर रोज । - वजह - अ० अकारण। -शक, - शुभा - अ० निस्संदेह, निश्चयपूर्वक । - शर्त - अ० बिना किसी शर्त के । बिलाई - स्त्री० विल्ली; सिटकिनी; कुएँमें गिरी हुई चीजें निकालने का काँटा; कद्दूकश ।
बिलाना - अ० नष्ट होना; छिन्न-भिन्न होना; लुप्त होना । बिलाप - पु० दे० 'विलाप' |
बिलापना* - अ० क्रि० विलाप करना ।
बिलायत - पु० दे० 'वलायत' । * वि० बहुत । बिलारt - पु० बड़ी बिल्ली ।
बिलारी - स्त्री० बिल्ली । बिलाव - पु० बड़ी बिल्ली, मार्जार ।
बिलंबित - वि० दे० 'विलंवित' | बिल - पु० [सं०] जमीन या दीवार में बनाया हुआ लंबा छेद; इस तरहका छेद जिसमें कोई जंतु (चूहा, साँप आदि ) रहता हो; इंद्र का घोड़ा । -कारी (रिन् ) - पु० चूहा। -शय- -शायी (यिन) - वि० बिल में रहनेवाला । पु० ऐसा जंतु | मु० -- ढूँढ़ना - बचावकी जगह ढूँढ़ना । - मे घुसना - छिप जाना, घर में बैठ रहना । बिल - ५० [अ०] बेचे हुए माल या किये हुए कामके पावनेका पुरजाः कानूनका मस्विदा, विधेयक | बिलकुल - अ० दे० 'बिल्’में |
बिलावल - पु० एक राग । स्त्री० पत्नी, स्त्री; प्रेमिका । बिलास - पु० दे० 'विलास' । बिलासना* - स० क्रि० बरतना, भोगना । बिलासिनी - स्त्री० वेश्या ।
बिलासी - वि० दे० 'विलासी' । पु० एक पेड़ । बिलिया - स्त्री० कटोरी । बिलुठना* - अ० क्रि० लोटना । बिलूर* - पु० दे० 'बिलौर' ।
बिलखना - अ० क्रि० विलाप करना; * ताड़ जाना । बिलखाना * - अ० क्रि० दे० 'बिलखना' । स० क्रि० दुःख देना, रुलाना ।
बिलेशय- पु० [सं०] बिलमें सोनेवाला, साँप आदि । बिलैया । - स्त्री० बिल्ली; कद्दूकश; दरवाजेकी सिटकिनी । बिलोकना* - सु० क्रि० देखना, अवलोकन करना । बिलोकनि* - स्त्री० चितवन, दृष्टि । बिलोचन - पु० नेत्र ।
बिलग - वि० अलग, जुदा । * पु० बिलगाव; रंज; बुराई । मु० - मानना - बुरा मानना; दुःखी होना ।
बिलगाना - अ०क्रि० अलग होना । स०क्रि० अलग करना। बिलोड़ना * - स० क्रि० मथना; गड्डमड्ड करना । बिलच्छन * - वि० दे० 'विलक्षण' ।
बिलोन * - वि० अलोना; बदसूरत ।
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