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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फोहा-बंद फोहा-पु० रुईका गाला जो किसी चीजसे तर किया गया फौत-स्त्री० [अ०] मरना, गुजर जानाखो जाना (होन।)। हो; फाहा। -शुदा-वि० मृत, मरा हुआ। फोआरा-पु० [अ०] फुहारा । फौती-वि० मृत्यु-संबंधी। स्त्री० मृत्युकी सूचना ।-नाम, फौज-स्त्री० [अ०] सेना; जनसमूह, मजमा ।-दार-पु० -रजिस्टर-पु० वह सूची या रजिस्टर जिसमें मृतजनोंकी सेनानायक; बादशाह आदिकी सवारीमें हाथीपर आगे| मृत्युतिथि और उनका नाम-पता लिखा जाता है। बैठनेवाला, कोतवाल । -दारी-स्त्री० फौजदारका पद फौरन-अ० [अ०] अभी, तुरत, झटपट । मारपीट, लड़ाई । -दारी-अदालत-स्त्री० अपराधोंका फौलाद-पु० कड़ा और बढ़िया लोहा जिसके हथियार और विचार, निर्णय करनेवाली अदालत, दंड-व्यवस्था करने तेज धारवाले औजार बनाये जाते हैं । वाला न्यायालय। फौलादी-वि० फौलादका बना हुआबहुत कड़ा, फौजी-वि० फौजसे संबंध रखनेवाला। पु० सैनिक। सुदृढ़। -कानून-पु० सैनिक शासन-संबंधी वे कड़े कानून जो फौवारा-पु० दे० 'फौआरा'। असाधारण स्थिति उत्पन्न हो जानेपर सामान्य नागरिकोंके फाक-पु० [अं०] ढीली, छोटी आस्तीनका लंबा कुरता जो लिए लागू कर दिये जाते हैं। । बच्चे और स्त्रियाँ भी पहनती है। ब-देवनागरी वर्णमालाका तेईसवाँ व्यंजन वर्ण । बंछनीय *-वि० दे० 'वांछनीय' । बंक-वि० * टेढ़ा, वक्र + तिरछा; वीर; * विकट, दुर्गम || बंछित*-वि० दे० 'वांछित' । * अ० तिरछी निगाहसे । -नाल-स्त्री० वह नली, बंजर-पु० खेतीके अयोग्य जमीन, वह जमीन जिसे खेत जिससे सुनार जुड़ाई करते समय चिरागकी लौ फूंकते हैं। न बना सकें, ऊसर । बंक-पु० [अ० 'बैंक'] वह कार्यालय जो लोगोंका रुपया बंजारा-पु० दे० 'बनजारा । जमानतके रूपमें जमा करता और माँगने पर सूद के साथ बंजुल, बंजुलक-पु० दे० 'वंजुल' । उन्हें वापस देता है, अधिकोष । बंझा -विन फलनेवाला (पेड़, पौधा), वंध्य । वि० बंकट*-वि० टेढ़ा, वक्र । स्त्री० वंध्या । स्त्री० बंध्या स्त्री। बंका-वि० दे० 'बंक'; बढ़िया। बँटना-अ० कि० बाँटा जाना; भाग किया जाना। बंकाई-स्त्री० बंक होनेका भाव, बाँकपन । बँटवाई-स्त्री० बाँटनेकी क्रिया या उजरत । बंकिम-वि० टेढ़ा। बँटवाना-स० कि० बाँटनेका काम दूसरेसे कराना। बंकुर *-वि० दे० 'बंक'। बँटवारा-पु० बाँटनेका काम; विभाजन, अलगोझा । बंकुरता* -स्त्री टेढ़ापन । बंटा-पु० पान आदि रखनेका डल्ला। वि० छोटे कदका । बकैअन*-अ० घुटनोंके बल । बटाई-स्त्री० बाँटनेका काम; बाँटनेकी उजरत; जमीन बंदोबंग--पु० बंगाल, चंग; * एक दवा जो ताकत बढ़ाती है; बस्तकी वह रीति जिसमें मालिकको लगानके रूपमें उपज* बाँग। का नियत भाग मिले, बटाई। बंगला-वि० बंगालका । स्त्री० बंगालकी भाषा, बंगभाषा । | बंटाधार-वि० ची पट, सत्यानास (कर देना)। पु० खुली जगहमें बना सुंदर छोटा हवादार मकान बंटाना-स० क्रि० बटवारा कराना; अपना हिस्सा अलग सबसे ऊपर की छतका हवादार कमरा बंगालका पान ।। करा लेना; शामिल, शरीक होना। बँगली --स्त्री. एक गहना जो चरियों के साथ पहना जाता बँटावन*-वि० बँटानेवाला। है, बँगुरी। बँटया-पु. बँटानेवाला। बंगसार-पु० जहाजपर चढ़ने के लिए पुल जैसा बना हुआ बंडल-पु० [अं०] छोटी गठरी, पुलिंदा; गट्टा, पूला । चबूतरा। बंडा-पु० अरुईकी जातिका एक कंद जो तरकारीके काम बंगा-वि० टेढ़ा; नटखट, उपद्रवी; अज्ञान । आता है। बड़ी बखारी । वि० पुच्छहीन । बंगाल-पु० भारतका एक पूरबी प्रांत, वंग देश; एक राग । | बडी-स्त्री० फतुही; बगलबंदी। बंगाली-पु० बंगालका रहनेवाला, बंगदेशीय । स्त्री० । बड़ेरा-पु० छाजनके बीचोबीच लगाया जानेवाला बल्ला बँगला भाषा। जिसपर ठाटका बोझ रहता है। बंगरी -स्त्री० दे० 'बँगली'। बड़े -स्त्री० दे० 'बँडेर'। बंचक-पु० दे० 'वंचक'। बंद-पु० [फा०] बाँध, मेंड, कैद, बंधन, गिरह, गाँठ; अंगोंबंचकता, बंचकताई*-स्त्री० दे० 'वंचकता' । का जोड़; जंजीर, सिला हुआ फीता जिससे अंगरखा, बंचन-पु० दे० 'वंचन'। अँगिया आदिके पल्ले बाँधते हैं,तनी; कुश्तीका पेंच युक्ति, बंचना*-स० क्रि० ठगना । स्त्री० दे० 'वंचना'। उपाय: पाँच या छ मिसरोंके उर्दू-फारसी पद्यका टुकड़ा बचवाना-स० क्रि० पढ़वाना । सूची; कागजका लंबा टुकड़ा; लाखकी चपटी चूड़ी। वि. बंछना*-स० क्रि० वांछा करना, चाहना । रुका हुआ, बँधा हुआ; कसा, जकड़ा हुआ; धरा या पकड़ा For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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