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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२० प्रवेशित-प्रष्टा प्रारंभ होनेके पहलेकी एक छोटी परीक्षा । भूसंपत्तिका प्रबंध करनेवाला कर्मचारी आचार्य,उपदेष्टा । प्रवेशित-वि० [सं०] घुसाया हुआ; पहुँचाया हुआ। प्रशासन-पु० [सं०] शिष्य आदिको दी जानेवाली कर्तव्यकी प्रवेष्टा(ष्ट)-वि०, पु० [सं०] प्रवेश करने या करानेवाला।। शिक्षा (ऐडमिनिस्ट्रेशन) राज्यके शासन या परिचालनका प्रव्रजन-पु० [सं०] संन्यास लेना; (माइग्रेशन) किसी प्रबंध ।-पत्र-पु० (लेटर ऑफ ऐडमिनिस्ट्रेशन) न्यायाएक देश या प्रदेशादिसे अन्य देश या प्रदेशादिगे, वहाँ लय द्वारा जारी किया गया वह आदेश-पत्र जिसके अनुबस जानेकी गरजसे, चले जाना। सार इच्छा-पत्रहीन संपत्तिका प्रबंध करने के लिए प्रशासकप्रवज्या-स्त्री० [सं०] संन्यास; संन्यासाश्रम । -ग्रहण- की नियुक्ति हो ।-भंग-पु० (अकडाउन ऑफ ऐडमिनिपु० संन्यास लेना। ट्रेशन) आंतरिक उपद्रव, आर्थिक संकट आदिके कारण प्रशंस*-स्त्री० प्रशंसा, स्तुति । वि० प्रशंसाके योग्य । शासन-व्यवस्थाका ठप हो जाना। प्रशंसक-वि०, पु० [सं०] प्रशंसा करनेवाला । प्रशासनीय कृत्य-पु० [सं०] (ऐडमिनिस्ट्रेटिव फंक्शंस) प्रशंसन-पु० [सं०] प्रशंसा करना, गुणोंका बखान । । । राज्यके प्रशासनसे संबंध रखनेवाले काम । प्रशंसना-स्त्री० [सं०] दे० 'प्रशंसन'। * स० क्रि० प्रशंसा प्रशिक्षण-पु० (ट्रेनिंग) किसी व्यवसाय, कला,शिल्पादिकी करना, तारीफ करना, सराहना।। या कुश्ती, दौड़ आदिकी व्यावहारिक रूपमें लगातार कुछ प्रशंसनीय-वि० [सं०] प्रशंसा करने योग्य, स्तुत्य । समयतक दी जानेवाली शिक्षा। -महाविद्यालय-पु० प्रशंसा-स्त्री० [सं०] गुणोंका बखान करना, गुणकीर्तन, (ट्रेनिंग कालेज) वह महाविद्यालय जिसमें अध्यापकों तारीफ, बड़ाई ख्याति । -घोष-पु. (एप्लॉज) किसी आदिके प्रशिक्षणकी व्यवस्था हो।-विद्यालय-पु०(नार्मल वक्ताके भाषण करते समय उसके किसी कथन या प्रस्ता- स्कूल) अध्यापनकलाकी शिक्षा देनेवाला विद्यालय । वादिके अनुमोदनमें श्रोताओं द्वारा की गयी प्रशंसासूचक प्रशिक्षणार्थी(र्थिन्)-पु० [सं०] (ट्रेनी) वह जो प्रशिक्षण ध्वनि। पा रहा हो। प्रशंसित-वि० [सं०] जिसकी प्रशंसा की गयी हो। प्रशिक्षित-वि० (टेंड) जिसने किसी व्यवसाय, कला प्रशंसोपमा-स्त्री० [सं०] उपमाका एक भेद जिसमें उप- | आदिकी क्रियात्मक शिक्षा पायी हो। मेयकी प्रशंसाके द्वारा उपमानका उत्कर्ष दिखाया जाता है। प्रशुल्क-वि० [सं०] ( टैरिफ) आयात-निर्यात-वस्तुओंपर प्रशंस्य-वि० [सं०] प्रशंसाके योग्य; अपेक्षाकृत अच्छा।। लगनेवाला कर ।-मंडल-पु० (टैरिफबोर्ड) किन वस्तुओंके प्रशम-पु० [सं०] शांत करना, शमन, निवृत्ति शांति । आयात या निर्यातपर कितना कर लगाया जाय, इस प्रशमन-पु० [सं०] शांत करना, दबाना, शमन नीरोग संबंधमें समुचित विचार कर सरकारको सलाह देनेवाली करना; रक्षण; विनाश । विशेषज्ञोंकी समिति । प्रशस्त-वि० [सं०] जिसकी प्रशंसा की गयी हो प्रशंसाके प्रशोप-पु० [सं०] सूखना, खुश्क होना। योग्य, स्तुत्य; श्रेष्ठ, उत्तम; शुभ; विस्तृत, लंबा-चौड़ा प्रश्न-पु० [सं०] सवाल पूछ-ताछ पृछी जानेवाली बात; साफ-सुथरा (हिं०)। भविष्य-संबंधी जिज्ञासा; विचारणीय विषय, समस्या । प्रशस्ति-स्त्री० [सं०] प्रशंसा, तारीफ, बड़ाई; वर्णन | -पत्र-पु. वह परचा जिसपर उत्तर देनेके लिए प्रश्न किसीकी प्रशंसामें लिखी गयी कविता आदि राजाका वह अंकित हो। -वादी (दिन)-पु० ज्योतिषी, देवश । आशापत्र जो पत्थर आदिपर खोदा जाता था और जिसमें प्रश्नावली-स्त्री० [सं०] (इग्जांपिल्स, एक्सरसाइज) पाठ्यराजवंश तथा उसकी कीर्ति आदिका वर्णन रहता था; पुस्तकों में छात्रों के अभ्यासके लिए एकत्र दिये हुए. प्रश्न वह प्रशंसासूचक वाक्य जो पत्रके आदिमें लिखा जाता लोगोंका मत जाननेके लिए अधिकृत रूपसे भेजी गयी है, सरनामा प्राचीन ग्रंथ या पुस्तकका वह आदि और प्रश्न सूची; प्रश्नावली-पत्रक । -पत्रक-पु० (क्वेश्चनेयर) अंतवाला अंश जिससे उसके रचयिता, काल, विषय किसी व्यवसायादिकी स्थिति या अन्य विषयकी जानकारी आदिका शान होता है। -गाथा-स्त्री० प्रशंसात्मक गीत। प्राप्त करनेके लिए उससे संबंध रखनेवाले विभिन्न व्यक्तियों-पट्ट-पु० आज्ञापत्र, लेखपत्र । के पास लिखित रूपमें भेजा जानेवाला संबद्ध प्रश्नोंका समूह प्रशस्य-वि० [सं०] प्रशंसाके योग्य, स्तुत्य, प्रशंसनीय जिनका उत्तर देनेका उनसे अनुरोध किया जाता है। (इसका अतिशयार्थक रूप श्रेष्ठ है)। | प्रश्नोत्तर-पु० [सं०] सवाल-जवाब; एक अलंकार जिसमें प्रशांत-वि० [सं०] शांत किया हुआ; शांत; सधाया हुआ, | प्रश्न और उत्तर दोनों रहते हैं। वशमें किया हुआ, मृत । पु० एशिया और अमेरिकाके प्रश्नोत्तरी-स्त्री० [सं०] (कैटेकिज्म) वह पुस्तक जिसमें कोई बीचका एक महासागर (पैसिफिक)। -काम-वि० विषय प्रश्नों तथा उनके उत्तरोंके रूपमें समझाया गया हो । जिसकी इच्छाएँ पूरी हो गयी हो, संतुष्ट ।-चित्त,-धी- प्रश्रय, प्रश्रयण-पु० [सं०] आश्रय, टेक, सहारा। वि० जिसका मन शांत हो। प्रश्लिष्ट-वि० [सं०] सुसंबद्ध, युक्तियुक्त; (स्वर-वर्ण) जिनमें प्रशांतात्मा(मन)-वि० [सं०] दे० 'प्रशांतचित्त'। संधि हुई हो। प्रशांति-स्त्री० [सं०] शांति विश्राम; शमन । प्रश्वास-पु० [सं०] साँस बाहर निकालना; बाहर निकली प्रशाखा-स्त्री० [सं०] शाखासे निकली हुई शाखा टहनी। हुई साँस । प्रशासक-पु० [सं०] शासन करनेवाला; (एडमिनिस्ट्रेटर) प्रष्टव्य-वि० [सं०] पृछने योग्य, जो पूछा जाय । राज्यका प्रशासन या प्रबंध करनेवाला अधिकारी या प्रष्टा (ष्ट)-पु० [सं०] पूछनेवाला, प्रश्नकर्ता। For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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