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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्रत्यक्षता- प्रत्याशा घटना साक्षात् देखी हो, साक्षी, गवाह । - वादी ( दिन ) - पु० चार्वाक जो प्रत्यक्षके अतिरिक्त और किसी प्रमाणको नहीं मानता; वह जो केवल प्रत्यक्ष प्रमाण माने । - सिद्ध-वि० जो प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा सिद्ध हो, जिसकी सिद्धिके लिए प्रत्यक्षके अतिरिक्त किसी और प्रमाणकी आवश्यकता न हो । प्रत्यक्षता - स्त्री० [सं०] प्रत्यक्ष होनेका भाव । प्रत्यक्षीकरण - पु० [सं०] स्वयं अपनी आँखोंसे देखनेकी क्रिया; किसी इंद्रिय द्वारा ग्रहण करनेकी क्रिया । प्रत्यक्षीभूत - वि० [सं०] जो प्रत्यक्ष हो चुका हो । प्रत्यनीक - पु० [सं०] शत्रु शत्रुसेना; विघ्न; प्रतिवादी ; एक अर्थालंकार जहाँ शत्रुको न जीत सकनेके कारण उसके पक्ष के किसी व्यक्तिसे वैर निकालनेका वर्णन किया जाय या किसी मित्रकी भलाई के बदले उसके किसी संबंधी आदिके प्रति कोई अच्छा काम करना दिखलाया जाय । वि० विरोधी, विपक्षी । | प्रत्यपकार - पु० [सं०] अपकार के बदले किया जानेवाला अपकार । प्रत्यभिज्ञा - स्त्री० [सं०] कभीके देखे हुए व्यक्ति या पदार्थको फिर देखनेपर होनेवाला यह ज्ञान कि यह अमुक व्यक्ति या पदार्थ है, पहचान; यह ज्ञान कि परमेश्वर और जीवात्मा एक हैं । प्रत्यभिज्ञात - वि० [सं०] पहचाना हुआ | प्रत्यभिज्ञान- पु० [सं०] पहचान; वह वस्तु या चिह्न जिससे कोई पहचान जाय । प्रत्यभियोग - पु० [सं०] अभियुक्त या प्रतिवादीकी ओर से वादीपर लगाया जानेवाला अभियोग । प्रत्यभिवाद, प्रत्यभिवादन - पु० [सं०] प्रणाम करनेवाले को दिया जानेवाला आशीर्वादः प्रणामके बदले प्रणाम करना । प्रत्यय - पु० [सं०] ( ऋण चुकानेकी क्षमता में ) विश्वास; साख (क्रेडिट); ज्ञान; शपथ; आचार; छिद्र; निश्चयः प्रसिद्धि, ख्याति; सहकारी कारण (बौद्ध); कारण; बुद्धि; स्वाद; अभ्यास; प्रयोग; साधन; ध्यान; छंदोंकी संख्या जाननेकी एक रीति; आश्रित जन; सहायक; विष्णु; वह उपसर्ग जैसा शब्द जो किसी धातु या मूल शब्द के अंत में कोई संज्ञापद, क्रियापद, अव्यय या विशेषण बनानेके लिए लगाया जाता है (व्या० ) । -पत्र - पु० (लेटर ऑफ क्रेडिट) किसी व्यापारी, महाजन आदि द्वारा किसी व्यक्तिको दिया गया वह पत्र जिसमें लिखा रहता है कि आवश्यकता पड़ने पर इसे इतना धन हमारे (व्यापारी या महाजनके) खातेमेंसे या ऋणस्वरूप दिया जाय । - प्रतिभू-पु० वह प्रतिभू या जमानतदार जो ऋण लेने वालेके प्रति महाजनको यह विश्वास दिलाता है कि 'मैं इसे जानता हूँ, यह भला आदमी है ।' प्रत्यर्पण - पु० [सं०] ली हुई वस्तुको उसके अधिकारी या किसी दूसरेको देना, गृहीत वस्तुका पुनर्दान; (एक्सट्रैडिशन) किसी देशसे भागकर आये हुए अपराधी को पुनः उस देशके उपयुक्त अधिकारीके हाथ सौंप देना; (रिफंड) पहले ली हुई या वसूल की हुई रकम लौटाना । | | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५१२ प्रत्यर्पित - वि० [सं०] लौटाया हुआ । प्रत्यवाय - पु० [सं०] हास; बाधा; संध्योपासन आदि विहित नित्यकर्म न करनेसे होनेवाला पाप; दुष्कृत, पाप; विरुद्ध आचरण (मनु० ); नैराश्य; परिवर्तन; सत्तावाली वस्तुका लोप; जो नहीं है उसका आविर्भाव न होना । प्रत्यवेक्षण - पु०, प्रत्यवेक्षाय - स्त्री० [सं०] किसी बात के पूर्वापरका विचार करना, देखभाल, निगरानी । प्रत्याख्यात - वि० [सं०] अस्वीकृत, इनकार किया हुआ; खंडित; मना किया हुआ; सूचित किया हुआ; निवारित; प्रसिद्ध, मशहूर ; अतिक्रांत । प्रत्याख्यान - पु० [सं०] इनकार; खंडन, निराकरण; उपेक्षा । प्रत्यागत- वि० [सं०] वापस आया हुआ, लौट आया हुआ । प्रत्यागतासु - वि० [सं०] जिसके प्राण लौट आये हों, जो फिर से जी गया हो । प्रत्यागति - स्त्री० [सं०] लौट आना, वापस आना । प्रत्यागम, प्रत्यागमन - पु० [सं०] लौट आना, वापस आना । प्रत्याघात - पु० [सं०] आघातके उत्तर में किया जानेवाला आघात । प्रत्यादान - पु० [सं०] फिरसे लेना या प्राप्त करना । प्रत्यादिष्ट - वि० [सं०] निराकृत; लांछित; घोषित; निर्देश किया हुआ; अस्वीकृत; पृथक् किया हुआ; चिताया हुआ । प्रत्यादेश - पु० [सं०] निराकरण, खंडन; वह जो किसीको लज्जित करे या नीचा दिखाये; चेतावनी, हिदायत; आशा; अस्वीकृति, इनकार 1 प्रत्यानयन - पु० [सं०] लौटा लाना, वापस लाना; (रेस्टिट्यूशन) पुनः लौटा दिया जाना, हृतप्रतिदान | प्रत्याभूति - स्त्री० [सं०] (गारंटी) किसी संविदा आदिकी शर्तों के पालन के लिए जमानतके रूपमें दी गयी वस्तु; इस बातकी लिखित या अलिखित जिम्मेदारी कि कोई बात, घटना आदि सच्ची, साधार और विश्वसनीय है । प्रत्याय- पु० [सं०] राजस्व, कर, टैक्स । स्त्री० (रिटर्न) बदले में मिलनेवाली आमदनी या लाभ, प्रतिफल । प्रत्यायक- पु० [सं०] विश्वास दिलानेवाला; व्याख्याता; प्रमाणित करनेवाला । प्रत्यायुक्त - वि० [सं०] (डेलीगेटेड) जो प्रतिनिधि बनाकर भेजा गया हो या जिसे विशेष कामके लिए कुछ अधिकार प्रदान किया गया हो । प्रत्यायोजन - पु० [सं०] (ऐक्ट ऑफ डेलीगेटिंग) अपने कर्तव्य, शक्तियाँ आदि किसी दूसरे व्यक्तिको सौंपना या दे देना । For Private and Personal Use Only प्रत्यारंभ - पु० [सं०] पुनरारंभ; निषेध | प्रत्यारोप-पु० [सं०] (काउंटर चार्ज) वह आरोप जो किसी आरोपके जवाब में किया जाय । प्रत्यावर्तन - पु० [सं०] लौट आना, वापस आना । प्रत्यावेदन - पु० [सं०] (काउंटर स्टेटमेंट) किसी वक्तव्य, कथन आदिके जवाब या विरोधमें कही गयी बात । प्रत्याशा - स्त्री० [सं०] आशा । - मेँ - अ० ( इन एंटिसिपेशन) किसी बातका होना पहलेसे ही पूर्ण निश्चित मान लेने की स्थिति या प्रतीक्षामें ।
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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