SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 482
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४७३ पु० तुच्छ भेंट; बहुत कोमल वस्तु । -बीड़ा - पु० विवाहकी बात पक्की करते समय भावी वरको पानका बीड़ा देने की रस्म । -सुपारी - स्त्री० किसी शुभ अवसर पर किया जानेवाला वह समारोह जिसमें पान-सुपारीसे आगत व्यक्तियों का सम्मान किया जाता है। मु०-खिलानाविवाह के विषय में वर-कन्या पक्षका परस्पर वचनबद्ध होना, सगाई करना। -चीरना-बिना कामका काम करना । - देना- किसी से कोई काम कर डालने की प्रतिज्ञा कराना; किसीको कोई काम अपने जिम्मे लेनेके लिए प्रेरित करना । - बनाना या लगाना-पानका बीड़ा तैयार करना । पानक- पु० [सं०] एक प्रकारका पेय जो पकाये हुए आम, इमली आदिके रसमें पानी, नमक, मिर्च आदि मिलाकर तैयार करते हैं, पना । पानरा * - पु० पनारा । पानस - वि० [सं०] कटहल से संबंध रखनेवाला । पु० कटइसे तैयार की जानेवाली एक प्रकारकी शराब । पानही * - स्त्री० जूता । पाना - स० क्रि० प्राप्त करना; फल या परिणाम के रूप में कुछ प्राप्त करना; दूसरे के हाथमें गयी हुई या खोयी हुई वस्तुको पुनः प्राप्त करना; समझ जाना, जान लेना; देखना; अनुभव करना; भोगना; वेतन या मजदूरी के रूपमें कुछ प्राप्त करना; किसीके पासतक पहुँचना; पकड़ना; बरावरी करना; भोजन करना, ग्रहण करना । अ० क्रि० सकना (इस अर्थ में 'पाना' का प्रयोग संयोज्य क्रियाके रूपमें होता है) । पु० दे० 'पावना' । पानागार - पु० [सं०] वह स्थान जहाँ बहुत से लोग एकत्र होकर मद्यपान करें, शराबखाना । पानि - पु० हाथ; पानी; आब, चमक । -ग्रहन- पु० दे० 'पाणिग्रहण' । पानिक - पु० [सं०] शराव बेचनेवाला, मद्यव्यवसायी । पानिप* - पु० कांति, आब, लावण्य; पानी । पानिय * - पु० पानी । वि० रक्षा करने योग्य, रक्षणीय । पानी- पु० नदी, कूप आदि जलाशयों और बादलसे मिलनेवाला एक शीत स्पर्शवाला प्रसिद्ध तरल द्रव्य जो चराचर सृष्टिके लिए अनिवार्य होता है (आधुनिक विज्ञानके अनुसार यह अम्लजन और उद्रजन नामकी दो गैसोंसे बनता है); जीम, आँख, घाव आदिसे निकलनेवाला जलीय पदार्थ; वह पानी जिसमें उसमें उबाली या भिगोयी हुई वस्तुका सारभाग मिला हो ( नीमका पानी); किसी हरी या सरस वस्तुके भीतर से निकलनेवाला रस या पानी जैसा तरल पदार्थ, नारियल, तरबूज आदि फलोंका रस; आब, कांति प्रतिष्ठा, मानमर्यादा, इज्जत; तलवार आदि अस्त्रोंकी धारका वह काला हलका रंग जिससे उनकी अच्छाई जानी जाती है; साल, वर्ष; कलई, मुलम्मा; आत्माभिमान; दंभ; जीवट; पानी जैसी ठंडी वस्तु; पानीकी तरह निःस्वाद पदार्थ; जलवायु । - दार- वि० जिसमें पानी, आब हो, आबदार, कांतिमान् ; प्रतिष्ठावाला; स्वाभिमानी । देवा - पु० तर्पण करनेवाला, जलदाता, पुत्रादि । - फल- पु० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पानक- पानी -उठाना - सिंघाड़ा | मु० - आना-वर्षा होना । पानी खींचना; सोखना । - उतरना - बेइज्जती होना; अंडवृद्धि होना । - उतारना - बेइज्जती करना ।-करनासरल बना देना; क्रुद्ध व्यक्तिको शांत करना । -काटनापानीको रोकनेवाले बाँध या मेंड़को काट देना, पानीको एक नाली से दूसरी नाली में ले जाना । का बतासाक्षणस्थायी वस्तु । -का बुलबुला क्षणभंगुर वस्तु । - के मोल- बहुत सस्ता | - चलाना - * चौपट करना; + ढेंकली आदि पाकी खींचकर खेतों में फैलाना । - छानना - चेचक की बीमारी में रोगी के कुछ स्वस्थ होनेपर उसके सिर से कपड़ा छुलाकर उससे पानी छाननेका एक कृत्य । - छूना - आबदस्त लेना । -जाना - बेइज्जत होना; (प्रदरादिमें) पानी जैसा स्राव होना । - टूटनाकुएँ, ताल आदिके पानीका बहुत कम हो जाना; बारिश बंद हो जाना। - तोड़ना या काटना- तैरते या नाव खेते समय पानीको हाथ या डाँड़ेसे चीरना । - दिखानापशुओं के सामने पीने के लिए पानी रखना, चौपायोंको पानी पिलाना । —देना-तर्पण करना; सींचना। -न माँगना - तत्काल मर जाना। न रह जाना- इज्जत मिट्टी में मिलना | निकलना - वर्षा बंद होना । - पड़ना - वर्षा होना । -पढ़ना, - परोरना या फूँकना - जलको अभिमंत्रित करना। -पर नीव डालना - ऐसी वस्तुको आधार बनाना जो टिकाऊ न हो; किसी कामको इस प्रकार आरंभ करना कि वह बहुत जल्द बिगड़ जाय । - पर नीव होना- किसी काम या आयोजनका टिकाऊ न होना । -पानी करना - बहुत अधिक लजवाना; किसीका क्रोध शांत करना। -पानी होना- बहुत अधिक लज्जित होना, झेंपना; क्रोध शांत होना, ठंढा पड़ जाना । - पीकर जाति पूछना - कोई काम कर चुकनेपर उसके औचित्यका निर्णय करना । - पी-पीकर कोसना - इतनी देरतक कोसना कि गला सूख जानेके कारण बीच-बीचमें पानी पीना पड़े, बहुत अधिक और देरतक कोसना । ( किसी वस्तु या कृत्य पर ) - फिरना - बरबाद होना, चौपट होना । -फेर देना- चौपट कर देना । बचाना, - रखना - मर्यादाकी रक्षा करना । -बराना-सिंचाई में एक क्यारी भर जानेपर उस पानीको दूसरी क्यारीमें ले जाना। - बाँधना - बाँध या मेंड़ बनाकर पानीको रोक रखना; जादूके द्वारा पानीका बरसना रोक देना । - बुझाना - तपे हुए लोहे आदिको पानी में बुझाना | ( किसीके सामने या आगे ) - भरना - अति तुच्छ सिद्ध होना; फीका पड़ना । -भरी खाल- क्षणभंगुर शरीर । - मरना - बेइज्जती होना; पानी जज्ब होना । (किसीके सिर) - मारना - किसीको दोषी ठहराना। - मेँ आग लगाना - असंभव कार्य कर डालना; जहाँ झगड़ा होना संभव न हो, वहाँ भी झगड़ा लगा देना । - मेँ फेंकना या बहाना - बरबाद करना, नष्ट करना । लगनापानी जमा होना । ( कहीँका) - लगना - जल - वायुका अनुकूल न होना, स्थानविशेषके बुरे वातावरणका असर होना । - लेना - बेइज्जत करना । - से पतला - बहुत तुच्छ, बदनाम; आसान । -से पहले पुल, पाड़ या For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy