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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पचासा-पट ४३८ पचासा-पु० पचास सजातीय वस्तुओंका समाहार; किसी- पछवाँ-वि० पश्चिमीय, पश्चिमका । स्त्री० पश्चिमकी ओरसे के जीवनके प्रथम पचास वर्षोंका समाहार; संकटके समय चलनेवाली हवा, पच्छिमी हवा । सब सिपाहियोंको थानेमें बुलानेके लिए बजनेवाला घंटा। पछाँह-पु० पश्चिमीय प्रदेश, पश्चिम दिशा। पचासी-वि० अस्सीसे पाँच अधिक । पु०८५ की संख्या। पछाँहिया, पछाँही-वि० पछाँहका । पचित-वि० पचा हुआ; * जड़ा हुआ, खचित । पछाड़-स्त्री० शोकसे मूर्छित होकर पीठ के बल गिर पड़ना; पचीस-वि०बीससे पाँच अधिक । पु०पचीसकी संख्या, २५ । विह्वल होकर खड़े-खड़े गिर पड़ना। पु० कुश्तीका एक दाँव। पचीसी-स्त्री० पचीस सजातीय वस्तुओंका समाहार; पछाड़ना--स० क्रि० कुश्ती या लड़ाई में पटकना या परास्त किसीके जीवनके प्रारंभिक पचीस वर्ष, पचीस वर्षांका करना; धोते समय कपड़ेको पटकना । समाहार; एक तरहकी चूतक्रीड़ा; इसकी बिसात । | पछाड़ी-स्त्री० दे० 'पिछाड़ी'। पचोतर-वि० जिसमें ऊपरसे पाँच और मिलाया गया हो, पछानना-स० क्रि० दे० 'पहचानना' । पाँच अधिक । -सौ-वि० एक सौ पाँच । पछारना*-स० क्रि० दे० 'पछाड़ना' । पचौनी-स्त्री० आमाशय, मेदा । | पछावर(रि)*-स्त्री० छाल आदिका बना हुआ एक पेय । पचौर*-पु० दे० 'पचौली' (पु०)। पछाहँ-पु० दे० 'पछाँह' । पचौली -पु० गाँवका मुखिया । स्त्री० एक पौधा । | पछाहियाँ, पछाही-वि० दे० 'पछाँही' । पचौवर-वि० पचहरा।। पछिआ(या)ना-सक्रि० अनुगमन करना पीछे लगना। पञ्चड़, पञ्चर-पु० वाँस आदिकी वह फट्टी या गुस्ली जिसे | पछिउँ-पु० दे० 'पश्चिम'। लकड़ीकी बनी चीजों में संधिकी दरार भरनेके लिए ठोंकते | पछिताना*-अ० क्रि० दे० 'पछताना'। या बैठाते हैं । मु०-अड़ाना-बाधा डालना, रोड़ा अट- पछितानि-स्त्री०, पछिताव-पु० दे० 'पछतावा' । काना। -ठौंकना-ऐसा कार्य करना जिससे किसीको पछियाउर, पछियावर-स्त्री० दे० 'पछावर'। भारी कष्ट पहुँचे या उसे बहुत हैरान होना पड़े। पछिलगा*-पु० दे० 'पिछलगा'। -मारना-होते हुए काममें बाधा डालना; बने हुए | पछिलनाt-अ० कि० दे० 'पिछड़ना' दे० 'पिछलना'। खेलको बिगाड़ देना। पछिला -वि० दे० 'पिछला' । पच्ची-स्त्री० एक वस्तुको दूसरी वस्तुमें इस प्रकार खोदकर | पछि(छ)वाँ-वि० स्त्री० पश्चिमी । स्त्री० पश्चिमी हवा । जोड़ना कि दोनोंकी सतहें एक मेलमें आ जायँ और वे पछीत-स्त्री० मकानका पिछवाड़ा मकान के पीछेकी दीवार । परस्पर अंग और अंगी जान पड़ें; एक रंगके पत्थर पर | पछेलना -स० क्रि० पीछे छोड़ना या हटाना। दूसरे रंगके पत्थरका जड़ाव । -कार-पु० पच्ची करने-पछेला-पु० हाथमें पीछे पहननेका एक गहन।। वाला । -कारी-स्त्री० पच्ची करनेका काम या भाव। पछेली -स्त्री० छोटा पछेला । पच्छ-पु० दे० 'पक्ष' । -ताई*-स्त्री० दे० 'पक्षपात'। | पछेवड़ा-पु० पिछीरा, चद्दर । पच्छाघात-पु० दे० 'पक्षाधात'। पछोड़ना -स० क्रि० सूपसे फटकना। पच्छिा -पु० दे० 'पक्षी' । -राज*-पु. गरुड़। पछोरना*-स० क्रि० दे० 'पछोड़ना' । 'पच्छिउँ, पच्छिव*-पु० दे० 'पश्चिम' । पछयावर-स्त्री० दे० 'पछावर'। पच्छिनी*-स्त्री० चिड़िया। पजरना*-अ० क्रि० जलना; सुलगना । पच्छिम-पु० दे० 'पश्चिम' । पजारना-स० क्रि० जलाना । पच्छी-पु० चिड़िया पक्ष ग्रहण करनेवाला । पजावा-पु० [फा०] इंटका भट्टा । पछड़ना-अ० क्रि० पछाड़ा जाना दे० 'पिछड़ना'। पजोखा-पु० मातमपुरसी। पछताना-अ० क्रि० कोई अनुचित कार्य करके बादमें | पज्झटिका-स्त्री० [सं०] एक मात्रिक छंद छोटी टी। उसके लिए दुःखी होना, पश्चात्ताप करना। पटंबर*-पु० दे० 'पाटंबर'। पछतानि*-स्त्री० पछतावा । पट-पु० [सं०] वस्त्र, कपड़ा; चित्र खींचनेका कागज या पछतावां-पु० दे० 'पछतावा'। कपड़ेका टुकड़ा; पर्दा; रंगमंचका पर्दा छाजन । -कारपछतावना*-अ० कि० पछताना । पु० जुलाहा; चित्रकार । -धारी (रिन्)-वि० जो वस्त्र पछतावा-पु० वह दुःख जो किसीके मनमें कोई अनुचित पहने हो। * पु० तोशाखानेका प्रधान अधिकारी। कार्य कर चुकनेपर होता है, किसी कार्यके अनौचित्यके -मंडप,-वेश्म(न)-पु० खेमा, तंबू । -वास-पु० बोधसे होनेवाली आत्मग्लानि, पश्चात्ताप । रावटी, खेमा धोती या साड़ीके नीचे पहननेका स्त्रियोंका पछना-अ० क्रि० पाछा जाना । पु० पाछनेका औजार । एक तरहका धाँधरा, साया। पछमन*-अ० पीछे। पट-पु० जगन्नाथ, बदरीनाथ आदिका चित्र जिसे यात्री पछरना*-अ० कि० पछड़ना; लौटना । अपने साथ लाते हैं। किवाड़, पालकीका दरवाजा, सिंहापछरा*-पु० दे० 'पछाड़' । सन; कुश्तीका एक पेंच; तख्ता; किसी वस्तुकी चिपटी पछलगा, पछिलगा*-पु० दे० 'पिछलगा'। और चौरस सतह; किसी छोटी वस्तुके गिरने, फटने पछलत्त-पु० पिछली टाँगों द्वारा प्रहार । आदिसे होनेवाला शब्द; दे० 'पट्ट' (हिंदी में समास आनेपछलागा*-पु० दे० 'पिछलगा'। । वाला विकृत रूप)। अ० अति शीघ्र, तत्काल । वि. जो . For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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