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नेता - नैत्रिक
लगायी
स्त्री० दे० 'नेती', * दे०
इरादा, निश्चय; आयोजन, प्रबंध; मथानी में जानेवाली रस्सी; एक गहना । 'नीयत'; * एक प्रकारकी रेशमी चादर । नेता - पु० मथानीकी रस्सी । नेता (तृ) - पु० [सं०] दलविशेष या जनताको किसी ओर ले चलनेवाला, नायक, अगुआ, सरदार; पहुँचानेवाला । नेति - [सं०] ब्रह्म या ईश्वरकी अनंतता सूचित करनेवाला एक औपनिषद वाक्य जिसका अर्थ है 'अंत नहीं है' अर्थात् ब्रह्म या ईश्वरकी महिमा अपार है। * स्त्री० नीयत । नेती - स्त्री० मथानीकी रस्सी जिसे खींचनेसे वह घूमती है । नेतधौती - स्त्री० पेटमें कपड़ेका लंबी पतली पट्टी डालकर आँतें साफ करनेकी एक क्रिया ।
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नेत्र - पु० [सं०] आँख; मथानी में लगायी जानेवाली रस्सी; दोकी संख्या ( ज्यो० ) । - कनीनिका - स्त्री० आँखकी पुतली । -च्छद-पु० पलक । -ज, - जल - पु० आँसू । - पिंड - पु० आँखका गोलक; बिलाव । -मलपु० आँखका कीचड़ । -रोग- पु० आँखका रोग -वारि- पु० आँसू । - विज्ञान- पु० (आप टिक्स) दृष्टि और प्रकाशके स्वरूप तथा नियमों-सिद्धांतों आदिका विवेचन करनेवाला विज्ञान, दृष्टिविज्ञान | नेत्रांत - पु० [सं०] आँखका बाहरी कोना । नेत्रां नेत्रांभ ( स ) - पु० [सं०] आँसू । नेत्रामय - पु० [सं०] आँखका रोग ।
नेब* - पु० सहयोग करनेवाला, सहकारी; मंत्री । नेबुआ - पु० दे० 'नीबू' । नेबू' - ५० दे० 'नीबू' । नेम+ - पु० बँधा हुआ क्रम, नियम, पाबंदी; धर्मकी भावना से किये जानेवाले व्रत, उपवास आदि; आचारका नियम; * प्रतिज्ञा; [सं०] छल, कैतव; अर्द्ध भाग; ऊपरका हिस्सा; सायंकाल; नृत्य; अन्न । वि० आधा । धरम[हिं०] पु० संध्यावंदन, पूजन आदि । नेमत - स्त्री० [अ०] ईश्वरकी देन; धन; स्वादिष्ट भोजन । नेमि - स्त्री० [सं०] पहियेका ढाँचा या घेरा; घेरा; कुएँकी जगत; जमवट; चरखी; कोर, किनारा। -घोष - पु०, - ध्वनि - स्त्री० पहियेकी 'घर घर' आवाज । नेमी - वि० नेमसे रहनेवाला, नेमका पालन करनेवाला । स्त्री० [सं०] दे० 'नेमि' । - वरमी - वि० नेम धरमसे रहनेवाला |
नेयार्थता - स्त्री० [सं०] एक काव्यदोष | नेरा* - अ० पास, नजदीक ।
नेरे, ने ₹* - अ० समीप, नजदीक ।
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नेव* - ५० दे० 'नेव' । स्त्री० दे० 'नीवें' । नेवग* - पु० नेग, दस्तूर । नेवगी* - पु० दे० 'नेगी' । नेवछाart - स्त्री० दे० 'निछावर' ।
नेवज - पु० देवताको अर्पित की जानेवाली भोज्य वस्तु, नैवेद्य |
नेवजा- पु० [फा०] चिलगोजा | नेवता - पु० दे० 'न्योता' । नेवतना* - स० क्रि० निमंत्रित करना । नेवतहरी - पु० दे० 'न्योतहरी' | नेवता - पु० दे० 'न्योता' | नेवना* - अ० क्रि० झुकना ।
नेवर- पु० नूपुर, घुँघरूः । स्त्री० दो पैरों के आपस में ठोकर या रगड़ खानेसे घोड़े के पैरमें होनेवाला घाव; घोड़े के दो पैरोंकी आपसकी रगड़ + वि० बुरा; न्यून 1 नेवरना * - अ० क्रि० निवारित होना, दूर होना ।
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नेवला - पु० लंबा 'भूरे रंगका जंतु जो साँपको मार डालता है ।
नेवाज - वि० दे० 'निवाज' ।
नेवाजना* - स० क्रि० दे० 'निवाजना' |
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नेत्री - स्त्री० [सं०] दलविशेष या जनताको किसी ओर चलनेवाली, रहनुमाई करनेवाली; नाडी; नदी; लक्ष्मी । नेत्र्य - वि० [सं०] नेत्र संबंधी; आँखोंके लिए हितकर । नेनुआ, नेनुवा - पु० एक तरकारी, धिवरा । नेपथ्य - पु० [सं०] वेश-भूषा; नटों की वेश-भूषा; रंगमंचके परदे के पीछेकी जगह जहाँ नटोंकी वेशरचना की जाती है। नेपुर* - पु० दे० 'नूपुर' । नेक्रा - पु० [फा०] पायजामे, लहँगे आदिका वह ऊपरी नेह* - पु० स्नेह, प्रेम, प्यार; तेल या घी । भाग जिसमें इजारबंद पिरोया जाता है ।
नेवाड़ा- पु० दे० 'निवाड़ा' । नेवादी - स्त्री० नेवारी |
नेवाना * - स० क्रि० झुकाना ।
नेवार - पु०, स्त्री० दे० 'निवार' | नेवारना * - स०क्रि० निवारण करना, दूर करना, हटाना। नेवारी स्त्री० जूही या चमेलीकी जातिका एक पौधा जिसमें छोटे और सफेद फूल लगते हैं ।
नेसुक* - वि० थोड़ा, अल्प, रंचमात्र । अ० जरा, थोड़ासा । नेस्त-वि० [फा०] जिसका अस्तित्व न हो, जो न हो । - नाबूद - वि० जड़-मूलसे नष्ट ।
नेही * - वि० स्नेही; प्रीति रखनेवाला, प्रेमी । नैःश्रेयस - वि० [सं०] कल्याणकारक; मोक्षदायक । नैः स्व-पु० [सं०] अकिंचनता, निर्धनता ।
नै - पु० दे० 'नय' । * स्त्री० नदी; [फा०] बाँसकी नली; निगाली; बाँसुरी ।
नैऋत, नैऋत्य * - वि० निर्ऋति-संबंधी, नैर्ऋत्य । पु० •मूलनक्षत्र; निशाचर; पश्चिम-दक्षिणका कोण । नैक, नैकु - वि०, अ० थोड़ा, अल्प, जरासा ।
नैक - पु० [सं०] निकट होनेका भाव, निकटता, सामीप्य । नैमिक - वि० [सं०] वेद-संबंधी; वेदोंसे निकला हुआ । नैचा- पु० [फा०] एकमें बाँधी हुई हुक्केकी दोनों नलियाँ; बहुत दुबला-पतला आदमी (हास्य) । - बंद - पु० नैचा बनाने या बाँधनेवाला ।
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नैची - स्त्री० मोट खींचते समय बैलोंके बार-बार आने और लौटने के लिए कुएँ के पास बनी हुई ढाल | नैतिक - वि० [सं०] नीति-संबंधी; नीतिका ।
नैक नैत्यिक- वि० [सं०] नियमित रूपसे होने या किया जानेवाला; अनिवार्य |
नैत्रिक - वि० [सं०] नेत्र-संबंधी, आँखोंका ।