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निसाना - निस्पंद
निसयाना * - वि० जो आपे में न हो, बेहोश | निसरना* - अ० क्रि० बाहर आना, निकलना । निसराना * - स० क्रि० निकालना; निकलवाना । निसर्ग - पु० [सं०] प्रकृति, स्वभाव; सृष्टि स्वरूप देना, दान; मल त्यागः परित्यागः विनिमय । -ज-वि० प्राकृ तिक, सहज । - भिन्न - वि० स्वभावसे ही भिन्न । - सिद्ध - वि० स्वभावसिद्ध, स्वाभाविक, सहज । निसवादिल* - वि० बिना स्वादका, निःस्वाद । निसस * - वि० जिसकी श्वासक्रिया बंद हो गयी हो; मूर्छित । निसेष* - वि० दे० 'निःशेष' । निसहाय - वि० दे० 'निस्सहाय' । निसेस * - पु० निशेश, चंद्रमा । निसाँक - वि० दे० 'निशंक' | अ० बेखटके - 'मनो. अली निसोग * - वि० निःशोक; निश्चित, बेफिक्र । चंपक कली, बसि रस लेत निसाँक' - बि० । निसोच - वि० निश्चित, बेफिक्र । निसाँस* - स्त्री० लंबी साँस, निःश्वास । वि० बेहोश, मृत निसोत* - वि०शुद्ध, खालिस - 'रीझत राम सनेह निसोते'
उभय पक्षकी बातों को समझकर स्वयं उत्तर दे ले और कार्य निष्पन्न कर ले; धनके आय-व्यय तथा कृषि और वाणिज्यकी निगरानीके लिए नियुक्त किया जानेवाला कर्मचारी; स्वामी के कार्यको लगनसे करने तथा अपने पौरुषको प्रकट करनेवाला धीर और दृढमति पुरुष । - दूतिका, दूती - स्त्री०वह दूती जो नायक और नायिकाके मनोरथको समझकर अपनी बुद्धिसे कार्य सिद्ध करे । निसेनी, निसैनी - स्त्री० सीढ़ी, सोपान ।
प्राय ।
- रामा० ।
निसाँसा * - वि० जिसकी श्वास-प्रश्वास क्रिया बंद हो गयी निसोधु* - स्त्री० सुध, खवर, संवाद, संदेश ।
हो, बेदम मृतप्राय |
निसा - + पु० दे० 'नशा' । * स्त्री० तृप्ति, संतोष; इच्छा'निसा ज्यों होइ त्यों ही तोष की जै' - सुजान; दे० 'निशा' । - कर - पु० दे० 'निशाकर' । -चर- पु० दे० ' निशाचर' । - नाथ, - पति-पु० दे० 'निशानाथ' । निसाद* - पु० दे० 'निषाद '; भंगी । निसान* - पु० दे० 'निशान'; डंका, नगाड़ा | निसानन* - पु० रजनीमुख, प्रदोष । निसाना * - पु० दे० 'निशाना' । निसानी * - स्त्री० दे० 'निशानी' । निसाफ * - पु० इंसाफ, न्याय । निसार - पु० [सं०] समुदाय, समूह; [अ०] निछावर; मुगलकालका एक सिक्का जो चार आनेके बराबर होता था। * वि० सारहीन, निःसार ।
निसारना* स० क्रि० बाहर करना, निकालना । निसास - पु० दे० 'निःश्वास' |
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निसासी - वि० दे० 'निसाँसा' । निसि - स्त्री० * रात। -कर- पु० दे० 'निशाकर' । - चर - ५० दे० 'निशाचर' । चारी- वि० रातमें निक लने या घूमने-फिरनेवाला । पु० राक्षस । दिन- अ० रात-दिन, सर्वदा, हमेशा। - नाथ, नाह* - पु० चंद्रमा । - पति, - पाल, -मनि-पु० चंद्रमा । -मुख - पु० दे० 'निशामुख' । - यर - पु० चंद्रमा । - वासर - अ० रात दिन, सदा, हर समय । निसीठी - वि० सारहीन, निस्तत्त्व । निसीथ* - पु० दे० 'निशीथ' । निसुंभ* - पु० दे० 'निशुंभ' । निसु* - स्त्री० रात ।
निसुका* - वि० धनहीन, दरिद्र, निःस्वक, बेचारा । निसूदक - वि० [सं०] हिंसा करनेवाला, वध करनेवाला । निसूदन - पु० [सं०] मारना, वध करना । वि० मारने
वाला, वध करनेवाला ।
निस् - उप० [सं०] इसका प्रयोग वियोग (निःसंग), अत्यय ( निर्मेध ), आदेश (निर्देश ), अतिक्रम (निष्क्रांत), भोग (निर्देश ), निश्चय (निश्चित), निषेध (निर्मक्षिका) और साकल्य (निर्गत) का द्योतन करनेके लिए होता है । निस्केवल * - वि० बिना मिलावटका, निरा, विशुद्ध । निस्तंद्र, निस्तंद्वि- वि० [सं०] तंद्रारहित, जागरूक; आलस्यरहित ।
निस्तत्त्व - वि० [सं०] जिसमें कुछ तत्त्व न हो, सारहीन । निस्तब्ध - वि० [सं०] विशेषरूपसे स्तब्ध | निस्तर* - पु० दे० 'निस्तार' |
निस्तरण - पु० [सं०] पार जाना; निस्तार, उद्धार; उपाय । निस्तरना * - अ० क्रि० निस्तार पाना, छुटकारा पाना,
पार पाना, उबरना ।
निस्तल - वि० [सं०] तलरहित, अतल; चंचल, चल । निस्तार - पु० [सं०] पार जाना; पार पाना; मुक्ति; उद्धार; अभीष्टकी प्राप्ति; + (शौच, पेशाब के लिए) बाहर जाना; * सुविधा, निर्वाह, काम - 'यज्ञशालाएँ कुटीर साधुजन निस्तारकी' - पूर्ण० ।
निस्तारक - पु० [सं०] निस्तार करनेवाला; मुक्त करनेवाला । निस्तारण पु० [सं०] पार करना; मुक्त करना; उद्धार करना; विजय पाना, जीतना; (डिसपोजल) काम पूरा करने या निपटाने की क्रिया ।
निस्तारन* - वि० जो निस्तार करे; जो उद्धार करे । पु० दे० ' निस्तारण' |
निस्तारना * - सु० क्रि० पार करना; मुक्त करना; बचाना, उद्धार करना ।
निस्तारा * - पु० दे० 'निस्तार' |
निस्तीर्ण - वि० [सं०] जो पार जा चुका हो; जिसका उद्धार हो गया हो, जिसे छुटकारा मिल गया हो । निस्तुष - वि० [सं०] तुषरहित, जिसकी भूसी अलग कर दी गयी हो; विशुद्ध, निर्मल ।
निस्तेज (स.) - वि० [सं०] तेजोहीन, जिसमें तेजका अभाव हो; कांतिहीन, निष्प्रभ ।
निस्सृष्ट - वि० [सं०] त्यागा हुआ; भेजा हुआ, न्यस्त; दिया हुआ, प्रदत्त; बीच में पड़ा हुआ, मध्यस्थ ।
निस्तैल- वि० [सं०] बिना तेलका, जिसमें तेल न हो ।
निस्सृष्टार्थ - पु० [सं०] तीन प्रकारके दूतोंमेंसे वह दूत जो निस्पंद - वि० [सं०] स्पंदरहित, जिसमें कोई हरकत न हो।
२७ - क
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