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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org धराना-धुर धुँधराना, धुंधलाना* - अ० क्रि० धुंधला पड़ना; काला या धुक्कना* - अ० क्रि० दे० 'धुकना' । अंधकारयुक्त होना । धुँधला - वि० धुएँ के रंगका, हलका स्याह; अस्पष्ट, अँधेरा । - पन - पु० धुंधला होनेका भाव । धुँधलाई - स्त्री० धुँधलापन । धुँधली - स्त्री० अँधेरा; नजरकी कमजोरी । धुँधाना* - अ० क्रि० धुआँ देना । धुंधार* - वि० धूमिल; धुआँधार । धुंधि - स्त्री० दे० 'धुंध' । धुँधियारा* - वि० दे० 'धुँधला' । धुंधुकार - पु० धुंकार; अँधेरा, धुँधलापन । धुंधुरि* - स्त्री०धुएँ, धूल आदिके कारण छाया हुआ अंधकार । धुंधुरित - वि० धुँधला बनाया हुआ; जिसकी नेत्रज्योति | कम हो गयी हो, मंददृष्टि । धुंधुरी - स्त्री० धुंध, धुँधलापन; आँखका एक रोग | धुँधुवाना * - अ० क्रि० धुआँ देना; थोड़ा-थोड़ा करके जलना । धुँधेरी - स्त्री० दे० 'धुंधुरि' । धुँवाँ - पु० दे० 'धुआँ' । - कश-पु० दे० 'धुआँकश' । - दान-पु० धुआँ निकलनेका छिद्र । -धार- वि०, अ० दे० 'धुआँधार' | धुअ* - पु० दे० 'ध्रुव' । धुआँ-पु० सुलगती या जलती हुई लकड़ी आदि से निकलनेवाला भाप जैसा हलका काला पदार्थ, धूम । - कश- पु० दे० 'स्टीमर'; धुआँ निकलनेके लिए छतमें बनाया गया छेद, चिमनी । - धार - वि० जोरदार, घोर, भीषण; धुएँसे भरा हुआ; काला । अ० लगातार और बड़े वेगसे, बड़े जोरसे । मु०-देना - धुआँ छोड़ना या निकालना; धुआँ पहुँचाना। - निकालना ( या काढ़ना) - लंबी चौड़ी बातें करना । - सा मुँह होना - चेहरेका रंग उतर जाना; अत्यंत लज्जित होना । -होना (किसी वस्तुका ) - एकदम काला हो जाना । (धुएँ) का धौरहर - क्षणस्थायी वस्तु । - के बादल उड़ाना-लंबी-चौड़ी बातें करना । धुआँना - अ० क्रि० धुएँ से बस जाना, अधिक घुइँवाली आँच से पकने के कारण धुएँकी गंधसे व्याप्त हो जाना । धुआँ- स्त्री० धुएँ जैसी गंध । | धुआँ- पु० दे० 'धुआँकश' । धुआँसा - पु० धुएँकी कालिख, धुआँ लगनेसे पड़नेवाली कालिख | वि० धुआँया हुआ । धुकड़-पकड़ - पु० भय, शंका आदिले मनका डाँवाडोल होना, धकधकी । धुकधुकी - स्त्री० छाती और पेटके बीचका कुछ गहरा स्थान जहाँ धड़कन होती रहती है, कलेजा; धड़कन; गलेका एक गहना, पदिक । धुकना * - अ० क्रि० झुकना, नत होना; काँपना; टूट पड़ना, झपटना । धुकान* - स्त्री० दे० 'धुकार' | धुकाना * - स० क्रि० गिराना; नवाना, झुकाना; धुआँ देकर गरमी पहुँचाना । अ० क्रि० काँपना, डरना । धुकार - स्त्री० नगाड़ेकी आबाज; गड़गड़ाहट । धुकारी* - स्त्री० दे० 'धुकार' | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुक्कारना * - स० क्रि० दे० 'धुकाना' । धुगधुगी - स्त्री० दे० ' धुकधुकी' । धुज* - पु० दे० 'ध्वज' | धुजा* - स्त्री० दे० 'ध्वजा' | धुजिनी* - स्त्री० ध्वजिनी, सेना, फौज । घुड़गा* - वि० नंगा (व्यक्ति); जिसके शरीर में धूल पुती हो; धूलिधूसर और नंगा (व्यक्ति) । धुतकारना - स० क्रि० दे० 'दुतकारना' । धुताई * - स्त्री० धूर्तता । धुतारा* - वि० दे० 'धूर्त' । धुधुकार - स्त्री० 'धू-धू’की आवाज; घोर शब्द | धुधुकारी - स्त्री० दे० 'धुधुकार' | ३८४ धुधुकी - स्त्री० दे० 'धुधुकार' । धुन - स्त्री० किसी कार्य में बराबर लगे रहनेका व्यसन, लगन मनकी लहर, मौज; विचार, चिंतन; स्वरके आरोहअवरोहकी दृष्टि से गानेका विशेष ढंग, स्वरभंगी; एक राग; दे० 'ध्वनि' । मु० - का पक्का - आरंभ किये हुए कामको पूरा करके छोड़नेवाला; फलोदयतक कर्म करनेवाला | धुनकना - स० क्रि० दे० 'धुनना' । धुनकी - स्त्री० धुनियोंका रुई धुननेका धनुष जैसा औजार, फटका; लड़कों के खेलनेका छोटा धनुषु । * धुनना-स० क्रि० रुईको धुनकीसे इस प्रकार साफ करना कि बिनौले तथा गंदगी निकल जाय और वह फुलफुली हो जाय; बेतरह पीटना; निराशामें अपना सिर पीट लेना; बिना रुके कहना; बिना रुके कोई काम करते जाना । धुनवाना-स० क्रि० 'धुनना' का प्रेरणार्थक | धुनि - स्त्री० दे० 'ध्वनि'; [सं०] नदी । धुनियाँ - पु० रुई धुननेका काम करनेवाला | + स्त्री० धुनकी- 'सोनेकी धुनियाँ रेसमकी ताँत' - गीत । धुनी - वि० जिसे किसी बातकी धुन हो, जो किसी धुन में हो । * स्त्री० दे० 'ध्वनि'; दे० 'धूनी'; [सं०] नदी । चुपना * - अ० क्रि० धुलना । धुपाना+स० क्रि० धूप दिखाना, सूखने आदिके लिए धूप में रखना; धूपके धुएँसे सुवासित करना । धुपेली - स्त्री० पसीने से होनेवाली फुंसी । धुप्पस - स्त्री० डराने या धोखेमें डालने के लिए किया गया काम, झाँसापट्टी | | धुमिलना* - स० क्रि० धूमिल बनाना । धुमिला - वि० धुएँके रंगका, धुँधला । धुमैला-वि० धूमिल, धुएँके रंगका । धुरंधर - वि० [सं०] भार वहन करनेवाला; जोते जाने योग्य; जिसके ऊपर किसी कार्यका भार हो; किसी कामके होनेमें जिसका सबसे अधिक हाथ हो; उत्तम गुणोंसे युक्त; श्रेष्ठ; अग्रगण्यः प्रधान । For Private and Personal Use Only धुर- पु० [सं०] धुरा; गाड़ीका जूआ; भार, बोश; घुरेके छोर पर लगनेवाली कील; जमीनकी एक नाप, बिस्वांसी; * ऊँचा स्थान; किला - 'धीर धरती न फौज कुतुबके धुरकी' - भू०; मूल, आरंभ | वि० पक्का | अ० एकदम, (किसीकी) चरम सीमापर | - ऊपर - अ० [हिं०] एकदम ऊपर ।
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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