SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 364
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३५५ दावाग्नि-दिग्गज पत्र; किसी वस्तुको अपना बताकर उसकी जोरदार माँग दिउला-पु०, दिउली -स्त्री० सूखे हुए चेचकके दानोंके करना; अधिकार, हका हाँक; जोर; किसी बातकी यथार्थ- ऊपरकी पपड़ी, खुरंड; छोटा दीया। ताके विषयमें दृढ़ आत्मविश्वास गर्वोक्ति। -गीर-पु० दिक-पु० [अ०] एक प्रकारका ज्वर जो यक्ष्माके रोगीको दावा करनेवाला, अधिकारकी माँग करनेवाला । -दार- होता है, तपेदिक । वि० तंग आया हुआ, परेशान, पु० दे० 'दावागीर'। आजिज । दावाग्नि-स्त्री० [सं०] वनकी आग जो बाँस आदिके रगड़ दिकदाह*-पु० दे० 'दिग्दाह' । खानेसे स्वतः लग जाती है। दिक(श.)-स्त्री० [सं०] दिशा । -कन्या-स्त्री०दिशादावात-स्त्री० दे० 'दवात' । रूपिणी कन्या।-करी(रिन)-पु०दिग्गज ।-कांता, दावानल-पु० [सं०] दे० 'दावाग्नि' । -कामिनी-स्त्री० दे० 'दिकन्या' । -कुंजर-पु० दाशरथ-वि० [सं०] दशरथका; दशरथ-संबंधी। पु० दश- दिग्गज । -पति-पु० आठ ग्रह जो आठ दिशाओंके रथपुत्र राम आदि । स्वामी माने जाते हैं (ज्यो०); दस दिक्पाल । -पालदाशरथि-पु० [सं०] दशरथके पुत्र, राम, भरत आदि। । पु० दस दिशाओंके रक्षक-इंद्र, अग्नि, यम, आदि दस दास-पु० [सं०] वह जो दूसरेकी सेवाके लिए अपनेको देवता; एक छंद । -शूल-पु. वह समय जब किसी समर्पित कर दे; भृत्य, किंकर, नौकर खरीदा हुआ नीकर, विशेष दिशामें जाना वर्जित हो ।-सिंधुर-पु० दिग्गज । गुलामः शूद्रोंकी एक उपाधि; दस्यु; *बिछावन । -सुंदरी-स्त्री० दिशारूपी सुंदरी (स्त्री)। -स्वामीदासता-स्त्री० [सं०] दास होनेका भाव, गुलामी, पर- (मिन्)-पु० दे० 'दिक्पति'। तंत्रता। दिक्क़त-स्त्री० [अ०] मुश्किल, तंगी, परेशानी, कठिनाई। दासन-पु० दे० 'डासन'। दिखना-अ० क्रि० दिखाई देना। दासा-पु० दीवारसे सटाकर उठाया हुआ पुश्ता; दरवाजे | दिखराना*-स० क्रि० दे० 'दिखलाना। या दीवारकी कुरसीके ऊपर लगायी हुई लकड़ी या पत्थर। दिखरावना-स० क्रि० दे० 'दिखलाना' । दासानुदास-पु० [सं०] दासोंका दास; विनम्र सेवक । दिखरावनी।*-स्त्री० दिखानेका काम या भाव; (नववधू दासिका-स्त्री० [सं०] दे० 'दासी'। भादिका) मुँह देखनेका नेग । दासी-स्त्री० [सं०] सेवा-टहल करनेवाली स्त्री, सेविका। दिखलाई-स्त्री० दिखलानेका काम वा उजरत । दासेय-पु० [सं०] दासीका पुत्र; दास । दिखलाना-स० क्रि० देखनेका काम दूसरेसे कराना, दास्तान-स्त्री० [फा०] वृत्तांत; कहानी; विवरण, बयान । । दूसरेको देखने में लगाना, किसी वस्तुका चाक्षुष प्रत्यक्ष दास्य-पु० [सं०] भक्तिका एक भेद; दे० 'दासता' । कराना प्रदर्शित करना, प्रकट करना, जाहिर करना। दाह-पु० [सं०] जलाना; जलन, ताप; रोग जिसमें शरीर- दिखलावा-पु० दे० 'दिखावा। में विशेष जलन होती है; संताप; मुर्दा जलाना। -कर्म दिखवैया -पु० दिखलानेवाला; देखनेवाला । (न्)-पु० शवसंस्कार, शव जलानेका कृत्य ।-क्रिया- दिखहार*-पु० देखनेवाला। स्त्री० दे० 'दाहकर्म' । -ज्वर-पु. एक ज्वर जिसमें | दिखाई-स्त्री० दिखानेकी क्रिया या भाव; दिखानेकी शरीरमें बहुत जलन होती है। उजरत देखनेकी क्रिया या भाव; देखनेके बदलेमें दिया दाहक-पु० [सं०] अग्नि चित्रक वृक्ष । वि० जलानेवाला; जानेवाला धन । तप्त करनेवाला। -प्रस्फोट (बम)-पु० (इनसेंडिअरी दिखाऊ-वि० देखने योग्य; दिखाने योग्य; जो केवल बम) आग लगा देनेवाला प्रस्फोट या बम । | देखनेभरको हो, दिखौआ । दाहन-पु० [सं०] जलाने या जलवानेका काम । दिखाना-स० क्रि० दे० 'दिखलाना' । दाहना-स० क्रि० जलाना, भस्मसात् करना नष्ट करना; दिखावट-स्त्री० दिखानेका भाव या तर्ज; बाह्य आडंबर । कष्ट पहुँचाना, संतप्त करना। वि० दाहिना । दिखावटी-वि० जो देखनेभरको अच्छा लगे, दिखौआ, दाहिन*-वि० दाहिना; अनुकूल । ऊपरी। दाहिना-वि० शरीरके उस पार्श्वका नाम जो पूर्वकी ओर दिखावा-पु० आडंबर, ढोंग ।। मुँह करके खड़े होने पर दक्षिण दिशाकी ओर पड़े, बायाँका | दिखैया-पु० देखनेवाला; दिखानेवाला । उलटा, दक्षिण; दाहिने हाथकी ओर पड़नेवाला; अनुकूल। दिखौआ, दिखौवा-वि० दिखावटी । मु०-हाथ होना-मुख्य सहायक होना। (दाहिनी) दिगंगना-स्त्री० [सं०] दे० 'दिक्कन्या' । देना,-लाना-प्रदक्षिणा, परिक्रमा करना। दिगंत-पु० [सं०] दिशाका अंत, छोर । दाहिने-अ० दाहिने हाथकी ओर । मु०-होना-अनुकूल दिगंतर-पु० [सं०] दो दिशाओंके बीचकी जगह । होना। दिगंबर-पु० [सं०] शिव, शंकर; जैनियोंका एक संप्रदाय । दाही(हिन्)-वि०, पु० [सं०] जलानेवाला; कष्ट देनेवाला। वि० जिसके लिए दिशाएँ ही वस्त्र-रूप हों, नग्न, भंगा। दिअना-पु० दे० 'दीया' । दिगंबरी-स्त्री० [सं०] दुर्गा । दिअरी, दिअली-स्त्री० छोटा दीया । | दिगदंति*-पु० दे० 'दिग्गज'। दिआ-पु० दे० 'दीया'। -बत्ती-दे० 'दीया-बत्ती'। दिगीश, दिगीश्वर-पु० [सं०] दे० 'दिक्पति' । -सलाई-स्त्री० दे० 'दियासलाई'। | दिग्गज-पु० [सं०] वह हाथी जो पृथ्वीको सँभालनेकेहि For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy