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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३०० टैकसार-टर दो वस्तुओंको आपस में लड़ा देना। बारातमें निकाली जानेवाली फुलवारीका तख्ता । मु०टकसार-स्त्री० दे० 'टकसाल' । की आड़से शिकार खेलना-छिपकर चाल चलना, गुप्त टकसाल-स्त्री०सिक्कोंकी ढलाईका स्थान (गिट); * निर्दोष रीतिसे विरुद्ध कार्य करना । -की ओट बैठना-छिपे वस्तु । वि० चोखा, खरा ।-का खोटा-नीच, कमीना। तौरपर कोई कार्य करना । टकसाली-वि० टकसालका प्रामाणिक; खरा; शिष्टों द्वारा टटू-पु० छोटे कदका घोड़ा। अनुमोदित । पु० टकसालका अध्यक्ष ।-बात-स्त्री० ठीक टड़िया-स्त्री० बाँह पर पहननेका एक गहना । बात, पक्की बात । -बोली-स्त्री० शिष्ट भाषा । टन-स्त्री० घंटे, धातुके बरतन या टुकड़ेसे उत्पन्न शब्द । टकहाई-वि० स्त्री० दे० 'टकाही'। -टन-स्त्री० घंटा बजनेका शब्द । टका-पु० चाँदीका पुराना सिक्का, रुपया; दो पैसोंके बराबर टनकना-अ० कि० टन-टन बजना; धूप लगने आदिके ताँबेका सिक्का, अधन्ना; आधी छटाँककी तील; सवा सेरका कारण सिरमें दर्द होना, रह-रहकर पीड़ा होना। गढ़वाली परिमाण ।-भर-वि० जरासा । मु०-पास न टनटनाना-स० क्रि० घंटा, धातुके बरतन या टुकड़ेसे 'टनहोना-निर्धन होना। -सा जवाब देना-साफ इनकार टन'की ध्वनि निकालना। अ० क्रि० घंटे आदिका 'टन. कर देना । -सा मुंह लेकर रह जाना-लजा जाना। टन बजना । टकासी-स्त्री० दो पैसे फी रुपयेका सूद । टनमन-पु० जादू-टोना । वि० दे० 'टनमना' । टकाही-वि० स्त्री० एक-एक टकेपर अपना सतीत्व बेचने- टनमना-वि० स्वस्थ; चंगा; प्रसन्नचित्त; सतेज । वाली; निम्न श्रेणीकी (वेश्या)। स्त्री० दे० 'टकासी'। टनाटन-पु० लगातार घंटा बजनेकी आवाज । वि० ठीक टकुआ-पु० सूत कातने और लपेटनेके काम आनेवाला हालतमें, पुष्ट । अ० 'टन-टन' आवाजके साथ । सूआ, तकला। टप-स्त्री० बूंद इत्यादिके गिरनेका शब्द; टमटम आदिकी टकुली-स्त्री० पत्थर काटनेकी छेनी; नकाशीके काम आने- छतरी जो इच्छानुसार फैलायी या मोड़ी जा सकती है। वाला एक औजार। किसी चीजके टपकनेका शब्द । -से-झटसे, बहुत जल्द । टकैत-वि० टकेवाला, धनी, मालदार । टपक-स्त्री० टपकनेकी क्रिया या भाव; बूंदोंके गिरनेका टकोर-स्त्री० टंकोर डंकेकी चोट या शब्द; हलकी चोट ।। शब्द रुक-रुककर होनेवाली पीड़ा। टकोरना-स० क्रि० धीरेसे आधात करना; बजाना; डंके टपकन-स्त्री० रुक-रुककर होनेवाली पीड़ा, टीस । आदिपर चोट करना; पोटलीसे सेंकना । टपकना-अ० क्रि० बूंद-बूंद गिरना; पके फलका आपसे टकोरा-पु० डंकेकी चोट । आप गिरना; किसी भावका आभासित होना, झलकना; टकोरी*-स्त्री० टक्कर; चोट, आघात । मुग्ध होना; धाव आदिमें रह-रहकर पीड़ा होना। टकौरी-स्त्री० छोटा तराजू; चाँदी-सोना तौलनेका काँटा। टपका-पु० बूंद-बूंद गिरना; टपका हुआ फल आदि। टक्कर-स्त्री० ठोकर, दो वस्तुओंका वेगके साथ आपसमें | ठोकर रह-रहकर होनेवाली पीड़ा; चौपायोंका एक रोग, भिड़ जाना; मुकाबला; हानि । मु०-खाना-मारा- खुरपका ।-(के) की विद्या-छीन-झपटकर लानेकी विद्या । मारा फिरना; मुकाबलेका होना। टपका-टपकी-स्त्री० फलका एक-एक कर गिरना; बूंदाटखना-पु० एडीके ऊपरकी हड्डीकी गाँठ । बूंदी; कुछ लोगोंका महामारी आदिसे रोज मरना । वि० टगण-पु० [सं०] छ मात्राओंका एक गण । कोई-कोई, एक-आध । टगर-पु० [सं०] सोहागातगरका वृक्ष क्रीड़ा; मेंडा टीला। टपकाना-स० क्रि० बूंद-बूंद गिराना, चुलाना। टघरना -अ० क्रि०टिघलना, द्रवीभूत होना। टपना-अ० कि० बिना खाये-पीये पड़ा रहना; व्यर्थ किसीके टच-टच*-अ० धाय धाय' करते हुए (आगका जलना) । भरोसे बैठा रहना; लाँघ जाना; कूदना। स० क्रि० ढकना। टटका*-वि० ताजा; हालका; कोरा । टपाटप-अ०'टप-टप'की आवाजके साथ; लगातार; शीघ्रताटटकाई*-स्त्री० ताजगी। से; एक-एक करके। टटल-बटल*-वि० बेसिर-पैरका, ऊटपटाँग । टपाना-सक्रि० बिना खिलाये-पिलाये रखना; झूठ-मूठ टटिया-स्त्री० बाँस आदिकी टट्टी । हैरान करना, व्यर्थ आसरेमें रखना + कुदाना, लँघाना । टटीबा*-पु० घिरनी, चक्कर । टप्परी-पु० छप्पर छज्जा । टटुआ-पु० टटू । टप्पा-पु० उछलती हुई वस्तुका बीच-बीचमें पृथ्वी छूना; टटोरना*-स० क्रि० दे० 'टटोलना'। वह फासला जहाँतक कोई चीज पहुँचे फलाँग; एक तरह टटोलना-स० क्रि० उँगलियोंसे छूकर पता लगाना, दवा- का गाना; t अंतर । मु०-मारना-दूर-दूर सिलाई कर छूना; वार्तालाप द्वारा विचारका पता लगाना । करना। टट्टर-पु० रक्षा या परदेके लिए लगाया हुआ बाँस आदिकी टमटम-पु० [अ० ₹डेम'] दो पहियोंकी एक खुली गाड़ी फट्टियोंका पल्ला। जिसमें एक घोड़ा जोता जाता है । टट्टा-पु० बड़ी टट्टी। टमटी*-स्त्री० एक बरतन । टट्टी-स्त्री० छोटा टट्टर या पल्ला; पतला शीशा ओट, परदा टमाटर-पु० [अं॰ 'टोमैटो'] विलायती बैगन । पलेकी दीवार; अंगूर चढ़ानेके काम आनेवाली बाँसकी टर-स्त्री० कटु शब्द: मेढककी बोली; अकड़, घमंड हठ । फट्टियोंकी दीवार; शिकार खेलनेकी आड़, पाखाना मु०-टर करना,-टर लगाना-बक-बक करना, ढिठाईसे For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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