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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २३३ केला; रेशमके कीड़ेका एक भेद । -कली - स्त्री० एक तरहका हार जिसके दाने चंपाकी कलीकेसे होते हैं । -पुरी- स्त्री० कर्णकी राजधानी चंपा । चंपारण्य - पु० [सं०] एक प्राचीन स्थान, चंपारन | चंपू - पु० [सं०] गद्य-पद्य मय काव्य | चंबल - पु० भीख माँगनेका प्याला; पानीकी बाढ़; नहर के किनारे लगी हुई सिंचाईकी लकड़ी । चँवर - ५० सुरागायकी पूँछके बालोंका गुच्छा । - ढार पु० चवर डुलानेवाला । चैवरी - स्त्री० चैवरकी शकलका घोड़ेकी पूँछके बालोंका गुच्छा । च - पु० [सं०] शिव; चंद्रमा; कछुआ; चबाना; दुर्जन; चोर । च उपाई* - स्त्री० दे० 'चौपाई' । चउर* - ५० दे० 'चंवर' । चउरा -५० दे० 'चौरा' । चक- पु० चकवा; चकई नामका खिलौना; पहिया; जमीनका बड़ा खंड; एक अस्त्र, चक्र; छोटा गाँव, पुरवा; एक गहना; आधिक्य; अधिकार | वि० भरपूर ; भौचक्का, चकित ! - डोर-स्त्री० चकईकी डोरी; करधेकी डोरी जिसमें बेसर बँधी होती है। - फेरी-स्त्री० परिक्रमा । - बंदी - स्त्री० जमीनका बड़े-बड़े टुकड़ों में बँटवारा। -बस्त - वि० चकोंमें बँटा हुआ । पु० कश्मीरी ब्राह्मणोंकी एक उपजाति । चकई - स्त्री० मादा चकवा; घिरनीके आकारका एक खिलौना । चकचकाना - अ० क्रि० रसना; गीला होना । चकचाना* - अ० क्रि० चौंधियाना । चकचाव * - पु० चकाचौंध | चकचून, चकचूर* - वि० पिसा हुआ, चकनाचूर | चकचूरना* - स० क्रि० चकनाचूर करना । चकचोही * - वि० स्त्री० चिकनी चुपड़ी । चकाचौंध - स्त्री० दे० 'चकाचौध' । चकचौंधना - अ० क्रि० चौंधियाना। स० क्रि० आँखों में चकाचौंध पैदा करना । चकचौंधी, चकचौंह-स्त्री० दे० 'चकाचौंध' । चकचोहना- सु० क्रि० आशाभरी दृष्टि से देखना । चकता - पु० दे० 'चकत्ता' । चकताई * - पु० दे० 'चगताई' । चकती - स्त्री० कपड़े या चमड़े आदिका छोटा टुकड़ा जो दूसरे कपड़े या चमड़े आदिमें जोड़की तरह लगाया गया हो, पैबंद; धज्जी । चकत्ता - पु० त्वचापर पड़ा हुआ बड़ा निशान; दाँत काटनेका निशान; ददोरा; दे० 'चरात्ता' । चकना * - अ० क्रि० चकित होना, चौकना । चकनाचूर - वि० जो टूटकर चूर-चूर हो गया हो, चूर्णित; बहुत थका हुआ । 'चकपकाना - अ० क्रि० भौंचक होना, चौंकना, चकित होना । 'चकमक - पु० एक तरहका पत्थर जिसपर आघात करनेसे आग निकलती है ( दियासलाईके आविष्कारके पहले इसीसे आग झाड़कर दिया बालते, आग सुलगाते थे) । चक्रमा - पु० धोखा, भुलावा, (खाना, देना); हानि । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चंपारण्य - चक्कर चकर* - पु० चकवा; दे० 'चक्कर' । चकरबा - पु० चक्कर, फेर; विकट परिस्थिति; झगड़ा, दंगा । चकरा* - वि० चौड़ा । चकराना - अ० क्रि० सिरका घूमना, चक्कर खाना; चकित, हैरान होना, चकपकाना । चकरी- स्त्री० चक्की; चकई । चकला -५० रोटी बेलनेका पाटा, चौका; चक्की; इलाका; व्यभिचार से जीविका चलानेवाली स्त्रियोंका अड्डा । वि० चौड़ा । - (ले) दार - पु० चकलेका हाकिम; मालगुजारी वसूल करनेवाला अफसर | चकलाना - स० क्रि० चौड़ा करना; दूसरी जगह लगानेके लिए पींड़ी के साथ पौधा उखाड़ना । चकल्लस - स्त्री० झगड़ा; बखेड़ा; मित्रोंका परिहास । चकवड़ - पु० एक बरसाती पौधा । चकवा - पु० एक पक्षी जिसके विषयमें यह प्रसिद्धि है कि रात में अपने जोड़ेसे उसका वियोग हो जाता है, चक्रवाक, सुर्खाब । चकवाना * - अ० क्रि० चकित होना । चकवारि पु० कछुआ - 'उर निरखि चकवारि बिथके' - सू० । चकवाह * - पु० दे० 'चकवा' । चकवी* - स्त्री० दे० 'चकई' | चकहा * - पु० चक्का, पहिया । चका* - पु० दे० 'चक्का'; चकवा । वि० चकित | चकाचक - वि० तर-बतर । अ० तृप्त होकर, अधाकर । चकाचौंध - स्त्री० प्रकाशकी प्रखरतासे दृष्टिका स्थिर न रह सकना, आँखका झपकना, तिलमिलाहट; हैरानी । चकाचौंधी - स्त्री० दे० 'चकाचौंध' । चकाना* - अ० क्रि० चकित होना, हैरान होना । चकाबू, चकाबूह - पु० दे० 'चक्रव्यूह' । चकासना * - अ० क्रि० चमकना, प्रकाशित होना'... आपने भावतें बीज चकासै' - सुंदर० । चकित - वि० [सं०] विस्मित, हैरान, भौंचक; शंकित; भीत। चकितवंत* - वि० चकित, विस्मित | चकिताई * - स्त्री० अचंभा, विस्मय । चकुला * - पु० चिड़ियाका बच्चा । चकृत * - वि० दे० ' चकित' । चकैया * - स्त्री० चकई । + वि० चिपटापन लिये हुए गोल । चकोटना * - स० क्रि० चुटकी काटना, बकोटना । चकोतरा - पु० एक तरहका बड़ा नीबू, महानीबू । चकोर, चकोरक - पु० [सं०] तीतरकी जातिका एक पक्षी जो चंद्रमाका प्रेमी माना जाता है (स्त्री० चकोरी ) । anta - स्त्री० दे० 'चकाचौंध ' । For Private and Personal Use Only चक्क - पु० [सं०] कष्ट, पीड़ा; * चकवा; चाक; दिशा, खूँट । चक्कर - पु० पहिये जैसी वस्तु; चाक; चक्र; घेरा, मंडल; ( घोड़दौड़ आदिका) वृत्ताकार मार्ग; फेरा, परिक्रमा; घुमाव, फेर, हैरानी; पेच पाच; सिरका घूमना; भँवर; कुश्तीका एक पेंच; एक अस्त्र । - दार- वि० घुमाव, पेच, फेरवाला | मु० - काटना - गोलाई में घूमना; फेरा करना; भटकना । - खाना- घूमना; पहिये या चाककी तरह घूमना । - बाँधना - इस तरह घूमना कि वृत्त बन जाय ।
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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