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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १६५ जिसकी सुईका एक सिरा सदा उत्तरी ध्रुवकी ओर रहता है । कुतूहल - पु० [सं०] किसी वस्तु या व्यक्तिको देखनेकी उत्कट इच्छा, उत्सुकता; अचंभा; क्रीड़ा । कुतूहली (लिन्) - वि० [सं०] कुतूहलयुक्त; उत्सुक । कुत्ता - पु० भेड़िये, स्यार आदिको जातिका एक मांसभक्षी जानवर जो अब अधिकांशमें पालतू पशु बन गया है, श्वान; बंदूकका घोड़ा; करगहने में लगा हुआ लकड़ीका टुकड़ा जिसे गिरा देनेसे दरवाजा बाहर से नहीं खुल सकता, बिलैया; तुच्छ, क्षुद्रजन (ला० ); पेटका गुलाम (ला० ) । मु० कुत्तेका काटना - सनक जाना, पागल हो जाना (मुझे कुत्तेने नहीं काटा है जो अमुक बात करूँ) । - की दुम कभी सीधी नहीं होती- प्रकृतिगत खुटाईपर सम झाने-बुझानेका कोई असर नहीं होता । की नींदऐसी नींद जो जरासे खटकेसे खुल जाय । की मौत मरना -बड़ी दुर्दशा के साथ मरना । - के पाँव जानाबहुत तेज दौड़ते हुए जाना । कुत्सा - स्त्री० [सं०] निंदा, गर्हणा । कुत्सित - वि० [सं०] निंदित, नीच, गर्हित | www.kobatirth.org कुदकना - अ० क्रि० कूदना । कुदक्कड़ - वि० कूदनेवाला | कुदरत - स्त्री० [अ०] ईश्वरीय शक्ति, प्रकृति; शक्ति, सामर्थ्य । कुदरती - वि० [अ०] प्राकृतिक, असली | कुदरा * - पु० कुदाल | कुदलाना * - अ० क्रि० कूदते हुए चलना । कुदान - स्त्री० कूदने की क्रिया; छलांग; कूदनेका स्थान । कुदारी - स्त्री० दे० ' कुदाली' | कुदाल, कुदाली - स्त्री० मिट्टी खोदनेका एक औजार । कुनकुना - वि० थोड़ा गरम । कुनना - स० क्रि० खरादना । कुनबा - पु० कुटुंब, परिवार । कुनबी - पु० दे० 'कुमी । कुनह - पु० संचित वैर, द्व ेष, शत्रुता । कुनही - वि० कुनह रखनेवाला । कुनाई - स्त्री० लड़की चीरने, खरादने आदि से निकलनेवाला चूर; कोयलेका चूर; (बरतन ) खरादनेका काम या मजदूरी । कुनित * - वि० बजता, झनकार करता हुआ, कणित । कुनेरा - पु० खरादनेवाला, खरादी । कुनैन - स्त्री० [अ० किनीन ] एक कड़वा सत जो प्रायः मलेरिया ज्वर में दिया जाता है । कुपना* - अ० क्रि० दे० 'कोपना' । कुपित - वि० [सं०] कोपयुक्त, क्रुद्ध, विकृत, बिगड़ा हुआ (दोष) । कुप्पा - पु०चमड़े का बना गोल आकारका पात्र जिसमें घीया तेल रखते हैं । मु० - होना - सूजना; मोटा होना; रूठना । कुप्पी - स्त्री० छोटा कुप्पा | कुकुर* - पु० दे० 'कुफ' । कु. क्र- पु० [अ०] न मानना; ईश्वर के अस्तित्व से इनकार, नास्तिकता; हठ, दुराग्रह; कृतघ्नता । . कुप्रल - पु० [अ०] ताला । कुबंड * - पु० कोदंड, धनुष् । वि० विकलांग | कुब - ५० दे० 'कूबड़' । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुतूहल - कुमेरु कुबजा* - स्त्री० दे० 'कुब्जा' । कुबड़ा - वि० जिसकी पीठ टेढ़ी हो गयी हो; टेढ़ा | पु० टेढ़ी पीठवाला आदमी । कुबड़ी - स्त्री० टेढ़ी पीठवाली स्त्री; वह छड़ी जो सिरेपर या बीचसे टेढ़ी हो । कुबत* - स्त्री० दे० 'कु' के साथ | कुबरी - स्त्री० कंसकी दासी कुब्जा; कैकेयीकी दासी मंथरा; दे० 'कुबडी' | कुबेर- पु० [सं०] एक देवता जो उत्तर दिशा के अधिष्ठाता और धन-समृद्धि के स्वामी माने जाते हैं, यक्षराज । कुबेराचल, कुबेराद्रि- पु० [सं०] कैलास पर्वत । कुब्जा - स्त्री० [सं०] कंसकी कुत्री दासी जिसकी पीठ कृष्णने सींधी कर दी थी । कुब्बा - पु० डिल्ला । कुमठी* - स्त्री० पतली, लचीली टहनी । कुमइत* - पु०, वि० दे० ' कुम्मैत' । कुमक- स्त्री० [फा०] सहायता; किसी सेना के सहायतार्थ भेजी हुई सेना । कुमकी - स्त्री० सिखायी हुई हथिनी जिससे हाथियोंके पकड़नेमें सहायता ली जाती है । वि० कुमकका । कुमकुम - ५० केसर; कुमकुमा । कुमकुमा- पु० लाखका बना पोला लड्डू जिसमें अबीरगुलाल भरकर होली में एक दूसरेको मारते हैं; कांचका बना पोला गोला जिसकी माला बनती या सजावटके काम आता है । कुमाच - पु० एक तरहका रेशमी कपड़ा; केवांच । कुमार - पु० [सं० ] वेदा, लडका; पांच वर्ष से कम उम्रका लड़का युवावस्था या उससे पहलेकी अवस्थाका पुरुष; राजकुमार; युवराज; कात्तिकेयः तोता; सिंधु नद; वरुण वृक्षः मंगल ग्रह; खरा सोना । वि० अविवाहित, कुँआरा । - तंत्र - ५० आयुर्वेदका वह भाग जिसमें बाल-रोगोंका निदान और चिकित्सा हो । भृत्या - स्त्री० प्रसव करानेकी विद्या; गर्भिणी या नवजात शिशुकी परिचर्या । - वाहन, - वाही ( हिन्) - ५० मयूर । छत-पु० आजीवन ब्रह्मचर्य पालनका व्रत । कुमारिका - स्त्री० [सं० ] कुमारी | कुमारी - स्त्री० [सं०] १० से १२ बरसतककी कन्या; कुँआरी कन्या; लड़की; दुर्गा; पार्वती; सीता; भारतवर्ष के दक्खिनी छोरपरका अंतरीप; धीकु.आर; बड़ी इलायची | वि० अविवाहिता, कुँआरी (लड़की) । - पुत्र- पु० कर्ण । - पूजन- पु० एक रस्म जिसमें देवीका पूजन कर कुमारी लड़कियोंको भोजन कराया जाता है । कुमुद - पु० [सं०] कुई; रक्तकमल; चाँदी; विष्णु कपूर; चन्द्र (?) । - कला - स्त्री० चंद्रकला । - किरण - स्त्री० चंद्रकिरण । - नाथ, - पति, - बंधु,-बांधव, सुहृद् - पु० चंद्रमा । कुमुदिनी - स्त्री० [सं०] कुईका पौधाः कुमुदोंसे भरा हुआ तालाब आदि; कुमुद पुष्पोंका समूह । नाथ, - पतिपु० चंद्रमा । कुमेरु - पु० [सं०] दक्षिणी ध्रुव । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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