SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 168
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५९ किन-किल किन-सर्व० 'किस'का बहु० । अ० क्यों न । * पु० चिह्नः रेखा, अंशु, रश्मि । -पति,-माली(लिन्) पु० सूर्य । घट्ठा; गोखरू। किरतम*-पु० मायिक प्रपंच-'पूरन ब्रह्म कहाँते प्रकटे किनका-पु० कण टूटा हुआ दाना। किरतम किन उपराजा'-बीजक । किनहा -वि० जिसमें कीड़े पड़ गये हों (फल)। किरन-स्त्री० दे० 'किरण'। मु०-फूटना-सूर्योदय होना। किनारदार-वि० जिसमें किनारा हो। किरपा*-स्त्री० दे० 'कृपा'। किनारा-पु० [फा०] तट, तीर; हाशिया; गोट; छोर; किरपान-पु० दे० 'कृपाण' । बगल, पहलू । -कशी-स्त्री० किनारा खींचना; किनारे । किरम-पु० कृमि, कीड़ा। ना । मु०-करना,-खींचना-अलग होना, दूर | किरमाल*-पु० तलवार । होना। किरमिच-पु० एक तरहका चिकना मोटा कपड़ा जिसके किनारी-स्त्री० [फा०] पतला गोटा जो दुपट्टों आदिके परदे, जूते आदि बनते हैं। किनारे लगा होता या लगाया जाता है। किरमिज-पु० एक तरहका लाल रंग; किरिमदानेका किनारे-अं० किनारेपर; अलग । मु०-लगना-पार | चूर्ण; किरमिजी रंगका घोड़ा। पहुँचना; काम समाप्त होना। -होना-दूर हटना; छुट्टी | किरामजी-वि० किरामज या कारमदानकर पाना। किरराना-अ० क्रि० दाँत पीसना; किरकिर की आवाज किनिका, किनुका-पु० 'किनका'। करना। किन्नर-पु० [सं०] देवताओंकी एक योनि जिनका मुंह किरवान, किरवार*-पु० कृपाण, तलवार । घोड़ेके जैसा होना माना जाता है, किंपुरुष । किरवारा*-पु० अमलतास । किनारी-स्त्री० [सं०] किन्नर स्त्री; एक तरहका तंबूरा, किरसुन*-पु० दे० 'कृष्ण' । किंगरी। किराँची-स्त्री० असबाब ढोनेवाली गाड़ी; भूसा आदि ढोनेकिफायत-स्त्री० [अ०] काफी, पूरा होना; कमखी; वाली बैलगाड़ी। बचत; थोड़ा मूल्य । शिआर-वि०किफायतसे काम किरात-पु०[सं०] एक जंगली जाति; साईस, बीना; शिव । करनेवाला; थोड़े खर्च में काम चलानेवाला । मु०-का- किरात-स्त्री० एक वजन जो जवाहरात तीलनेके काम कम दामका, सस्ता। | आता है (लगभग ४ जीके बराबर)। किफायती-वि० [अ०] किफायत करनेवाला। किराती-स्त्री० [सं०] किरात जातिकी स्त्री; किराती-वेशकिबला-पु० [अ०] कावा, वह स्थान जिसकी और मुंह धारिणी पार्वती; स्वगंगा । करके मुसलमान नमाज पढ़ते है; पश्चिम दिशा; पूज्य । किराना-पु० पंसारीकी दुकानसे मिलनेवाली चीजें, मिर्चपुरुषः बाप-दादा आदिका संबोधन । -नुमा-पु० एक मसाला आदि । यंत्र जिसकी सुई सदा पच्छिमकी ओर रहती है। किरानी-पु० अंग्रेजी दफ्तरका क्लर्क यूरेशियन । किमरिक(ख)-पु० एका चिकना सफेद कपड़ा। किराया-पु० दूसरेकी चीज काममें लानेका बदला, भाड़ा। किमाछ-पु० केवाच ।। -(ये) दार-पु० कोई चीज, खासकर मकान किरायेपर किमाम-पु० दे० 'वाम' । लेनेवाला । मु०-उतारना-भाड़ा वसूल करना । किमि*-अ० कैसे। किरावल-पु० सेनाका वह भाग जो लड़ाईका मैदान साफ किम्-सर्व० [सं०] कीन, क्या । अ० क्यों, कैसे; कहाँसे। करने के लिए आगे जाता है; बंदूकसे शिकार करनेवाला । किम्मत*-स्त्री० कौशल; बहादुरी दे० 'कीमत' । | किरासन-पु० मिट्टीका तेल, 'केरोसिन' । कियत्-वि० [सं०] कितना । किरिच-स्त्री० नुकीला टुकड़ा या रवा; नोंककी ओरसे कियारी-स्त्री० दे० 'क्यारी' । भोंकी जानेवाली सीधी तलवार । किरका-पु० कंकड़, नन्हाँ टुकड़ा। किरिया*-स्त्री० शपथ; कर्तव्य; मृतककर्म। किरकिटी-स्त्री० दे० किरकिरी' । किरीट-पु० [सं०] एक शिरोभूषण जिसे राजा या राजकिरकिरा-वि० करीला । पु० लोहारोंका एक औजार । कुमार धारण करते थे, मुकुट; एक वर्णवृत्त । -धारी मु०-होना-आनंदमें विघ्न पड़ना । (रिन् )-पु० राजा । -माली (लिन)-पु० अर्जुन । किरकिराना-अ० कि० दाँत या आँख में किरकिरी पड़नेसे किरीटी (टिन)-वि० [सं०] किरीटधारण करनेवाला। गड़ना, कष्ट होना। इंद्र; अर्जुन । किरकिराहट-स्त्री० किरकिरी पड़नेका अनुभव या कष्ट । किरीरा*-स्त्री० दे० 'क्रीड़ा'। किरकिरी-स्त्री० रेत या किसी कड़ी चीजका छोटा कण; किरोध-पु० दे० 'क्रोध' । छोटी कँकड़ी; अपमान, हेठी । किरोलना-स० क्रि० खुरचना। किरकिल-पु० गिरगिट । *स्त्री० वह शरीरस्थ वायु जिससे किरीना-पु. कीड़ा। छींक आती है। किर्च-स्त्री० दे० 'किरिच'। किरकिला-पु० दे० 'किलकिला' । किर्तनिया-पु० कीर्तन करनेवाला । किरच-स्त्री० दे० 'किरिच'; नुकीला रवा । किल-अ० [सं०] निश्चय ही, सचमुच । -किचित्-पु० किरण-स्त्री० [सं०] ज्योतिसे प्रवाहरूपमें निकलनेवाली संयोग शृंगारका एक हाव जिसमें नायिका एक साथ कई For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy