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कफ़न - कम
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दुहरा भाग जिसमें बटन लगता है; खाँसी । - दार- वि० क़बीला - पु० [अ०] कुल; वंश; जाति; जंगली आदमियोंका व्यक्तिविशेषको नेता माननेवाला समूह । स्त्री० पत्नी, जोरू । कबुलवाना - स० क्रि० स्वीकार कराना । कबुलाना - स० क्रि० दे० 'कबुलवाना' । कबूतर - पु० एक प्रसिद्ध पक्षी, कपोत । - खाना - पु० कबूतर रखनेका दरबा। -बाज़ - पु० कबूतर पालने, उड़ाने, लड़ानेवाला |
[हिं०] जिसकी आस्तीन में कफ लगा हो । कफन - पु० [अ०] मुर्दों पर लपेटा जानेवाला कपड़ा, शवाच्छादन । -खसोट - वि० कंजूस; दूसरेका माल जवरदस्ती हड़प जानेवाला । -खसोटी- स्त्री० श्मशानका कर जिसे डोम कफन फाड़कर वसूल करता था; कंजूसी; नोचखसोटकर धन बटोरना । चोर-पु० वह जो कब्र खोदकर मुर्देका कफन चुराये; भारी चोर; दुष्ट व्यक्ति । मु०को कौड़ी न रखना- जो कुछ कमाना सब खर्च कर डालना । - को कौड़ी न होना बहुत गरीब होना । - फाड़कर चिल्लाना या बोलना-बहुत जोर से बोलना । - सिर (सर) से बाँधना - मरनेको तैयार होना; जानपर खेलना ।
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कफनाना - स० क्रि० मुर्देको कफन में लपेटना । कफनी - स्त्री० [अ०] बिना आस्तीनका कुरता जो (मुसलमान) मुको पहनाया जाता है; साधु-फकीरोंका बिना बाँहका पहननेका ढीला-ढाला कुरता ।
कबंध - पु० [सं०] सिरकटा या बिना सिरका घड़; पेट; बादल; जल; पुच्छल तारा; राहु; एक राक्षस जो दंडक नमें रामके हाथों मारा गया ।
कब - अ० किस समय; कभी नहीं ( वह मेरी बात कब सुनता है) । -का- कितनी देरसे; बहुत देरसे; बहुत पहले । कबड्डी - स्त्री० लड़कोंका एक खेल; कंपा । ख़बर - स्त्री० दे० 'कब' |
कबरस्तान, कबरिस्तान - पु० दे० 'कब्रिस्तान' । कबरा - वि० जिसमें दूसरे रंगके दाग-धब्बे हों; चितकबरा । क़बल - अ० दे० 'कल' ।
क़बा - पु० [अ०] एक लंबा, ढीला पहनावा ।
वाला ।
कबाब - पु० [फा०] कुटे या बारीक कटे हुए मांसका गोला या टिकिया जो सीखचेमें गोदकर आगपर सुर्ख की गयी हो । वि० भुना हुआ; जला-भुना । मु०-करना - भूनना; जलाना; कष्ट पहुँचाना। - होना - जलना-भुनना; अति क्रुद्ध होना ।
कबाबचीनी-स्त्री० एक दवा जिसके दाने मिर्च कैसे होते हैं । कबाबी - पु० कबाब बेचनेवाला; मांसभोजी । कबाय* - पु० दे० 'क़बा' ।
कबार - पु० व्यवसाय, व्यापार; छोटा व्यवसाय; रद्दी चीजें क़बाला - पु० [अ०] संपत्ति दूसरेको देनेका दस्तावेज; बयनामा; दानपत्र; अधिकारपत्र ।
कबाहट - स्त्री० दे० 'क़बाहत' ।
बाहत - स्त्री० [अ] दोष, खराबी; कठिनाई; झंझट । कबीर - वि० [अ०] बड़ा; बुजुर्ग; सम्मानित । पु० एक प्रसिद्ध संत, संप्रदाय प्रवर्तक और हिंदी कवि; होली में गाया जानेवाला एक प्रकारका गीत । - पंथी- पु० कबीरके पंथ या संप्रदायका अनुयायी । कबीला - पु० दे० 'कमीला' ।
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कबूतरी - स्त्री० कबूतरकी मादा, कपोती; नर्तकी; सुंदर स्त्री । क़बूल - पु० [अ०] मानना, स्वीकार करना, इकबाल करना । कबूलना - स० क्रि० स्वीकार करना, मान लेना । कबूलियत - स्त्री० [अ०] स्वीकृति; वह दस्तावेज जो पट्टा लेनेवाला देनेवालेको लिखकर उसकी शर्तोंकी स्वीकृति के रूप में देता है।
कबाड़ - पु० टूट-फूटा सामान, रद्दी चीजें । कबाड़ा - पु० झंझट, बखेड़ा ।
कबाड़िया, कबाड़ी - पु० टूटी-फूटी चीजें खरीदने-बेचने क़ब्रिस्तान - पु० [अ०] वह
कबूली - स्त्री० चनेकी दालकी खिचड़ी या पुलाव | क़ब्ज़ - पु० [अ०] पकड़ अधिकार; अवरोध; कोष्ठवद्धता, मलका आँतों में रुकना, पेट साफ न होना ।
क़ब्ज़ा - पु० [अ०] दखल; अधिकार; पकड़; काबू; बस; दस्ता, मूठ; बाजू ; लोहे या पीतलका पुरजा जिससे किवाड़े आदि चौखटसे जोड़नेपर घूम सकते हैं; कुश्तीका एक पेंच । - दार- वि० कब्जा रखनेवाला; अधिकारी; जिसमें कब्जा लगा हो । मु० क़ब्ज़ेपर हाथ रखनातलवार खींचने, किसीपर वार करनेको उद्यत होना । कब्जियत - स्त्री० दे० ' कब्ज' |
क़ब्र - स्त्री० [अ०] वह गढ़ा जिसमें मुर्दा गाड़ा जाय; उसके ऊपर रखा हुआ पत्थर या बनवाया हुआ चबूतरा | -गाह - स्त्री० कब्रिस्तान । - का मुँह झाँक आनामौत के मुँह से निकल आना, मरते-मरते बचना । (अपनी ) - खोदना - अपने सर्वनाशका उपाय करना । - में पाँव (पैर) लटकाये होना - मृत्युका दिन करीब होना; अति वृद्ध होना ।
स्थान जहाँ मुर्दे गाड़े जायँ,
जहाँ बहुत-सी क हों । क़ब्ल-अ० [अ०] पहले, पेश्तर, आगे ।
कभी - अ० (कब + ही) किसी समय । -कभी - अ० जबतब यदा तदा । -का - कबका, अरसे से । कभू* - अ० दे० 'कभी' |
कमंगर - पु० [फा०] कमान बनानेवाला; चित्रकार, उखड़ी हुई हड्डी बैठानेवाला |
कमंडल - पु० दे० 'कमंडलु' ।
कमंडली - वि० कमंडलधारी; ढोंगी । पु० साधु | कमंडलु - पु० [सं०] साधु-संन्यासियोंका दरियाई नारियल, तूंकी आदिका बना जलपात्र ।
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कमंद - * ५० दे० 'कबंध' । स्त्री० [फा०] फंदा; फंदेदार रस्सी जिसके सहारे चोर ऊँचे मकानोंपर चढ़ जाते हैं । कम - वि० [फा०] थोड़ा, अल्प; छोटा; बुरा, खराब | अ० क्वचित्, बहुत कम । - अन्नल - वि० मूर्ख; निर्बुद्धि । - असल- वि० दोगला कमीना, नीच । - उम्र - वि० छोटी उम्रवाला, अल्पवयस्क । - क़ीमत- वि० सस्ता, अल्पमूल्य । - ख़र्च - वि० किफायत से चलनेवाला । ( - ० बाला नशीं - मस्ती पर बढ़िया, यथेष्ट उपयोगी । )