SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 132
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२३ एक्यासी-ऐकराज्य एक्यासी-वि० अस्सी और एक,८१ पु०८१ की संख्या। एतावत्-वि० [सं०] इतना। एक्स-रे-पु० [अं॰] बिजलीकी विशेष किरणें जिनकी सहा- एतिक*-वि० स्त्री० इतनी। यतासे शरीर जैसे ठोस पदार्थके भीतरके भागोंका चित्र एन-पु० दे० 'एण' । लिया जा सकता है। एरंड-पु० [सं०] रेंड । -खरबूजा-पु० [हिं०] पपीता। एजेंट-पु० [अं०] किसीकी ओरसे, उसके प्रतिनिधिके रूपमें | एरंडक-पु० [सं०] दे० 'एरंड' । काम करनेवाला; किसी व्यापारी या फर्भकी ओरसे खरीद-एलची-पु० [तु०] दूत; राजदूत । बेची आदि करनेवाला गुमाश्ता; कमीशनपर माल बेचने- | एला-स्त्री० [सं] इलायची; इलायचीका पेड़ । वाला; किसी राज्य या उपनिवेशमें प्रतिनिधिरूपसे रहने- एलुवा-पु० मुसब्बर । वाला अधिकारी एवज़-पु० [अ०] बदला, प्रतिफल (किसीके) बदले में काम एजेंसी-स्त्री० [अं०] एजेंटका पद, कार्य या कार्यक्षेत्र; वह | करनेवाला, स्थानापन्न । अ० बदले में । स्थान जहाँ कमीशनपर माल बेचा जाय; किसी एजेंटके एवज़ी-वि०,पु० [अ०] बदलेमें काम करनेवाला, स्थानापन्न । अधीन प्रदेश या इलाका । एवमस्तु-अ० [सं०] ऐसा हो। एड-स्त्री० एड़ी। मु०-देना,-लगाना-(धोड़ेको) तेज | एवम्-अ० [सं०] ऐसे, इस प्रकार; ऐसे ही और और । करने या आगे बढ़ानेके लिए एड़ मारना। एषणा-स्त्री० [सं०] इच्छा, चाह; प्रार्थना, याचना । एड़ी-स्त्री० तलवेका टखनेके नीचेका भाग। मु०-चोटीका एह*-सर्व० दे० 'यह'। पसीना एक करना-बहुत मेहनत, कोशिश करना । | एहतिमाली-वि० [अ०] संदिग्ध । -से चोटीतक-सिरसे पैरतक । -(डियाँ) रगडना- एहतियात-पु० [अ०] बचना, बचाव; चौकसी, होशियारी । बहुत कष्ट भोगना; बहुत श्रम, दौड़-धूप करना । एहतियातन-अ० [अ०] एहतियातके तौरपर; बचावकी एण-पु० [सं०] काले रंगके हिरनका एक भेद । दृष्टिसे। एतकाद-पु० [अ०] श्रद्धा, विश्वास, एतबार, भरोसा। एहतियाती-वि० [अ०] खतरेसे बचावके लिए किया जाने एतदर्थ-अ० [सं०] इसलिए; इसके लिए । वाला; बचाव-संबंधी, हिफाजती । -काररवाई-स्त्री० एतद्देशीय-वि० [सं०] इस देशका । संभाव्य अनिष्ट या खतरेसे बचावके लिए की गयी कारएतबार-पु० [अ०] विश्वास, भरोसा साख । रवाई। एतबारी-वि० [अ०] विश्वास करने योग्य, मातबर । एहसान-पु० [अ०] नेकी, भलाई, उपकार; ऋण । -मंद एतमाद-पु० [अ०] विश्वास, भरोसा । -वि० उपकार माननेवाला, कृतज्ञ । एतराज़-पु० [अ०] विरोध, आपत्ति दोष निकालना। एहाता-पु० [अ०] घेरा; चहारदीवारीसे घेरी हुई जगह; एतवार-पु० दे० 'इतवार' । बड़ा सूबा, प्रेसिडेंसी। एता*-वि० इतना। एहि*-सर्व० इस, एहका विभक्तिके पहलेवाला रूप । एतादृशी-वि० स्त्री० [सं०] इस प्रकारकी, ऐसी। एहो-अ० संबोधनार्थक अव्यय, हे, ए ! ऐ-देवनागरी वर्णमालाका नवाँ (स्वर) वर्ण । वाला, गीला, घमंडी। ए-अ० आश्चर्यादि सूचक शब्द । ऐड़ना-अ० क्रि० ऐंठना; अँगड़ाना; इतराना; सूखकर कड़ा ऐचना-सक्रि० खींचना; अपने जिम्मे लेना; फटकना। पड़ जाना । स० क्रि० ऐंठना, बल देना; (बदन) तोड़ना। ऐ चाताना-वि० जिसकी पुतली ताकते समय दूसरी तरफ ऐड-बड़*-वि० वक्र, टेढ़ा, तिरछा । खिंची रहे । ऐंडा-वि० ऐंठा हुआ, दर्पयुक्त 'ऍड़ो रहे निसंक तासु हाँसी ऐचातानी-स्त्री० अपनी-अपनी ओर खींचनेकी कोशिश । करि डोले'-दीन । ऐचीला-वि० लचीला खीचे जाने योग्य । ऐंडाना-अ०क्रि० अंगड़ाई लेनाऐंठ दिखलाना, इतराना। ऐछना*-स० क्रि० झाड़ना, कंधी करना-'देह पछि ऐंदव-वि० [सं०] इंदु-चंद्रमा संबंधी । पु० मृगशिरा पुनि छि श्याम कच'-रघु०। नक्षत्र, चांद्रायण व्रत; चांद्र मास । ऐंठ-स्त्री० ऐंटन; अकड़, धमंड; द्वष । एंद्र-वि० [सं०] इंद्र-संबंधी । पु० अर्जुन; बालि । ऐंठन-स्त्री० मरोड़, घुमावः खिचाव ।। ऐंद्रजाल-पु० [सं०] जादूगरी, बाजीगरी । ऐठना-स० कि.० मरोड़ना, घुमाव देना; धोखा देकर था | ऐंद्रजालिक-वि० [सं०] इंद्रजाल, जादू, बाजीगरी जानने भय दिखाकर ले लेना । अ० कि० अकड़ना; बल खाना; वाला । ५० बाजीगर, जादूगर । टर्राना; मरना। ऐंद्रिय-वि० [सं०] इंद्रिय-संबंधी इंद्रियग्राह्य । ऐ ठा-पु० रस्सी बटनेका एक यंत्र । ऐ-अ० [सं०] संबोधन-हे, ए! ऐठाना-सक्रि० ऐंठनेके काममें लगाना। ऐकपत्य-पु० [सं०] पूर्ण प्रभुत्व; एकतंत्र शासन । ऐ४-वि० घमंडी, अकड़बाज । ऐकमत्य-पु० [सं०] एकराय होना, एका । ऐड-पु० ऐंठ, शान, गर्व, भँवर । -दार-वि० शान- ऐकराज्य-पु० [सं०] एकच्छत्र या एकतंत्र राज्य । ७ For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy