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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शब्दप्रयोग खास आप्या छे. समजवा सरळ होय तेवा शब्दप्रयोग नथी आप्या. बघा ज प्रयोगो आपवा जतां कोशनुं कद तथा किंमत वधी जाय, ए पण संभाळवु रहघुं. शब्दनी व्युत्पत्ति आपी नथी. आवा नाना कोशमां व्युत्पत्ति आपीने तेनुं कद वधावुं आ तबक्के जरूरी नयी मान्युं. गुजराती शब्दोना हिंदी अर्थ आगळ बतावेली दृष्टिने ध्यानमा राखीने आपवामां आव्या छे. जरूरी लाग्यं छे त्यां शब्दनी व्याख्या आपीने पछी तेना पर्याय आपवानो प्रयत्न कर्यो छे. जेम के, 'ठीकरुं न० मिट्टी के बरतनका टूटा हुआ टुकड़ा; ठीकरा '. आ कोश तैयार करवामां मुख्यत्वे गूजरात विद्यापीठना 'सार्थ गूजराती जोडणीकोश', 'विनीत जोडणीकोश' तथा 'हिंदी - गूजराती कोश' नो उपयोग करवामां आव्यो छे. हिंदी पर्याय माटे ज्ञानमंडल लिमिटेड, बनारस, ना 'बृहत् हिंदी कोश' तथा नागरी प्रचारिणी सभा, काशी, नो 'संक्षिप्त हिंदी शब्द-सागर - नो अने 'फिरोजउल लुगात' उर्दूनो विशेष उपयोग कर्यो छे. उपरांत बीजा नाना मोटा कोशोनो पण उपयोग करवामां आव्यो छे. ते बघानी आभारपूर्वक नोंध लेवामां आवे छे. अंते, आ बहार पडे छे त्यारे मारो आनंद ने संतोष प्रगट करू छु के, हिंदी प्रचारना काममां आवा एक कोशनी जरूर मानी हती, ते आजे ईश्वरकृपाए पूरी थई शकी छे. हवे तेने वधु ने वधु उपयोगी बनाववानुं काम तेना वापरनारानुं छे. तेओ तेने सुधारवा वधारवा माटे, पोताना अनुभवमांथी मळतां सूचनो विद्यापीठने करता रहेशे एवी विनंती छे. तो आ कोश तेनी उत्तरोत्तर आवृत्तिओ रूपे पोतानी साहित्य -अने शिक्षणमां सेवा आपवानी शक्ति वधारतो रही शकशे. १२-१२-६१ For Private and Personal Use Only मगनभाई देसाई
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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