SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 56
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपलं (लु,) वि० ऊपरका (२)ऊपर आया हुआ; उपरोक्त उपसंहार पुं० उपसंहार (२) सारांश; निचोड़ (३) सार-संक्षेप; उपसंहार उपसागर पुं० उपसागर फुलाव उपसाट पुं० उभार (२) सूजन-(३) उपसाव, स० क्रि० 'ऊपसकुं' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप(२)उभारना(३)फुलाना उपस्थित वि० उपस्थित; मौजूद; हाजिर (२) सामने आया हुआ उपार पुं० सूजन (२) फैलाव (३) मोटापा (४) जोश (५) आरंभ (६) कोशिश; यत्न (७) जमा रकममेंसे वापस लेना (८) वापस ली हुई रकम (९) खपत; मांग उपाडवं स० क्रि० 'ऊपडवू' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; ऊँचा करना; उठाना (२) (किसीके)ऊपर लेना; जिम्मे लेना; अंगीकार करना; मोल लेना (३) जड़-मूलसे उखाड़ना (४) रखी हुई रकम वापस लेना (५) उचकना (६) आरंभ करना; शुरू करना। उपाडा, अ.क्रि० 'उपाडवू' का कर्मणिरूप; उठाया जाना उपाडो पुं० देखिये 'उपाड'(२)झाड़ झंखाड़ काटकर किया हुआ ढेर उपादेय वि० उपादेय (२) स्वीकार्य (३) पसंद करने योग्य (४) उत्तम; सराहनीय उपाधि स्त्री० उपाधि; पीड़ा (२) जंजाल ; झंझट ; चिंता (३) चिह्न संज्ञा (४) खास लक्षण; गुण-धर्म (५)पदवी; 'डिग्री' (६)खिताब (७) अल्ल । [-वळगवी = बला पीछे लगना। -मां आव, मावी पडg%3D पीड़ा या झंझटकी स्थितिमें आ पड़ना। -मां पडg = मुसीबतमें फंसना; आफ़त मोल लेना. उपार्जन न०, (-ना) स्त्री० उपार्जन; प्राप्ति; कमाई उपासण न० (भूले हुए या ठंडे पड़े हुए मामलेको) फिरसे उकसाना; उकसाहट उफर वि० देखिये 'उपरुं' . उफांत (-द) स्त्री० अहंपद; गर्व (२) अमीरीका आडंबर (३) उड़ाऊपन; फ़िजूलखर्ची उबळक वि० हिसाबबहीमें किसी खास खातेमें नहीं चढ़ाया हुआ; उचंत उबाट पुं० फफूंदी (२) उबसनेसे जमने वाली फफूंदी या होनेवाला परिणाम उबाडियुं न० लुआठी; लूका उबा, अ० क्रि० फफूंदी जमना; उबसना; सड़ना उबाळो पुं० ऊमस (२) उफान ; जोश (३) उकसाहट; उत्तेजना (४) होहल्ला; कोलाहल (५) ईंधन; उपले (६) (एक साथ जलाया जाय इतना) मुट्ठा। [-आववो = उफनना. उबेर स्त्री० हलमें फाल बिठानेके लिए लगाया जानेवाला पच्चड़; खुश उबेलो पुं० मरोड़के साथ दस्तकी _हाजत होना (२) मरोड़ा; आमशूल उबळवं स० क्रि० बट या ऐंठनको खोलना (२) बोया हुआ खेत फिरसे जोतना; उलटना (३) गई-गुजरीको याद करना उभर(-)क वि० घुटनोंको मोड़कर आधा खड़ा रहा हुआ (खड़े बल) (२) उकडू बैठा हुआ उभय वि० उभय; दोनों For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy