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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सोरवं सौ ५२८ सोरई (सो') सक्रि० (लकड़ी, पेड़ सोहागी वि० सुशोभित (२) भाग्यवान; आदिको) खुरचकर या काट-छाँटकर सुखी (३) आनंदी या 'टूसे निकालकर साफ़ करना या सोहामणु वि० सुहावना ; सुशोभन ठीक करना (२)[ला.] उचितसे अधिक सोहाववं स०कि० 'सोह'; 'सोहावुका दाम लेना; लूटना (३)गाली देना; प्रेरणार्थक फटकारना सोहा अ०कि० देखिये 'सोहवू'. सोराटवू (सो') सक्रि० खूब छीलना; सोहासण(-णी) स्त्री० सुहागिन; खूब काट-छांट करना (लकड़ी, बांस सौभाग्यवती; सुहागन [सोहिनी आदिको) (२) [ला.] खूब गालियाँ सोहिणी (-नी) स्त्री० एक रागिनी; देना; फटकारना; सौ बात सुनाना सोह्यलुं वि० सुहावना (२) सरल; सोरं अं० तक; अरसेमें; दरमियान आसान (३) सुखदायक सो वसा अ० बिलकुल निश्चितरूपसे; सोळ वि० सोलह; १६ । [-बाल मे निस्संदेह; सो बिस्वा [सुवासिनी एक रतीबराबर; ठीक; न्यायके सोवासण(-णी) स्त्री० सुहागिन; अनुसार; 'बावन तोले पाव रत्ती। सोवू सक्रि० (सूपसे) फटकना सोळे कळा = पूरा (चंद्रकी सोलह सोस पुं० खूब प्यास (लगना); गला कलाओं परसे); पूर्ण । सोळे संस्कार सूखना, खुश्क होना (२) [ला.] तीन पई चूक्या = सब प्रकारके सुखदुःखका इच्छा; लालसा (३) फ़िक्र ; चिंता। अनुभव कर लिया; सब कुछ भोग [-पडवो खूब प्यास लगना; गला लिया। सोळे सोपारा भणवासब सूखना.] प्रकारसे होशियार, चालाक बनना; सोसवावं अक्रि० रस सूख जाना; घाघ बनना। सोळसोळ मानी=सोलहों सूखना; जलहीन होना (२) दुबला आने ; जैसा चाहिये वैसा; बिलकुल.] होना; सूखना (चिंतासे) सोळ (सों) पुं०, (-छं) न० (छड़ी सोसवं अ०क्रि० सहन करना; सहना आदिकी) चोटका दाग़; सांट (२)स.क्रि० सोखना;जज्ब कर लेना सोळं वि० धोकर अलग रखा हुआ सोसावं अ०क्रि० देखिये 'सोसवावं' (२) (वस्त्र) (२) न० खाना पकाते 'सोसवू'का कर्मणि समय पहना जानेवाला वस्त्र (३) सोहवू अ०क्रि० सोहना; सुंदर लगना पुष्टिमार्गीय आचार-प्रणाली सोहाग पुं० सौभाग्य ; सुहाग; अहिवात सोंघ (०वारी) (सॉ०) स्त्री० सस्ती; (२) बड़ा भाग्य (३)अहिवात, सुहा- सस्तापन; महँगीका न होना गकी चीजें (चूड़ी, सिंदूर आदि)। सोंधारत (-य) (सॉ०) स्त्रो०; न० [-उतराववो, लेवराववो. = पतिके देखिये 'सोंघवारी' मरनेपर पत्नीकी सुहागकी चीजें साधु (सॉ०) वि० कम दामका; सस्ता। उतरवाना.] [वती; सुहागन [-मोंधू थq=मान चाहना; आदरकी सोहागण वि०स्त्री० सुहागिन; सौभाग्य- अपेक्षा रखना.] For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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