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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२५ सरि (स) न० सनकी जातके एक सेत(-१)लो (सें०) पुं० झाड़-झंखाड़ पाधका बीज उठानेका लकड़ीका एक साधन; काँटा सेलाई (-5) न० घीकुआरका फूल सेयी (सं०) स्त्री० मांग (बालोंकी) सेली स्त्री० राख; भस्म (२) गलेमें सेंचो (सें०) पुं० देखिये 'सेंथी' (२) डालनेकी काले धागोंकी अंटी; सेली . सिरका एक गहना; माँग-टीका , सिरका सेलं न० देखिये 'शेल' .. . सैकुं न०, (-को) पुं० सैकड़ा; सौका सेलो पुं० देखिये 'शेलो' समूह (२) सौ सालका काल; सदी सेव देखिये 'शेव' सैडकागांठ स्त्री० रस्सी आदिका एक सेवती स्त्री० जैन साध्वी सिरा खींचनेसे छूट जानेवाली गाँठ; सेवगे पुं० सेवड़ा; जैन साधु मुद्धी; डेढ़ गाँठ [बच्चोंको एक खेल सेवममरा देखिये 'शेवममरा' सैडकियु न० देखिये 'सैडकागांठ' (२) सेवर्षन(-नी) वि० इस नामकी एक सैउकुं न० देखिये 'सैडकागांठ' (२) प्रकारकी (सुपारी) . - सुड़क (आवाज) सेवईं स० क्रि० सेवा, भक्ति करना; संरको पुं०सुड़क (आवाज) (२)साड़ीके भजना (२) बहुत संग करना (३) आँचलका कोना जो खींचकर कोखमें काममें लाना; व्यवहारमें लेना (४) खोसा जाता है; कोंछ (अंडा) सेना सैडण न छाजनमें खपरैलोंके नीचे डाली सेवं वि० देखिये 'सेवर्धन' ... जानेवाली फट्टियाँ, अतरवन आदि; सेवा स्त्री० सेवा; खिदमत, चाकरी तिरपाल (२)उनको बाँधनेकी डोरी (२) पूजा; आराधना; सेवा (३) सैयड(-3) पुं०ब०व० चेचक; शीतला सेवा-टहल; तीमारदारी (४)निष्काम __सो (सॉ)पुं०सौ; १००।-गळणे गाळीने भावसे अन्यका काम करना; सेवाकार्य = बहुत सावधानीके साथ ; खूब सोचसेवाचाकरी स्त्री० सेवा-टहल ; तीमार- विचारके बाद। -टचनु सोनुं = दारी उत्तमोत्तम सोना; सौ टंचका सोना। सेवापूजा स्त्री० सेवा-पूजा; आराधना -ना साठ करवा = घाटा सहना; सेवाळ, सेवाळवू देखिये 'शेवाळ' आदि घाटेका धंधा करना। -मण रूनी सेवो स्त्री० ब०व० सेव या सिवइयाँ तळाईए सूवं = सुखचैन होना; घोड़े सेळभेळ वि० देखिये 'भेळसेळ' बेचकर सोना। -ये वर्ष पूरा थवां = सेळभेळियुं वि० मिलावटवाला किसी पर आफ़त आ पड़ना; मौतकी सें (30) पुं० 'एक'को छोड़कर किसी तैयारी होना.] संख्यावाचक विशेषणके साथ आने- साई स्त्री० इंतजाम ; सुभीता; व्यवस्था 'वालासोका रूप;उदा० 'चारसें, बारसें' सोकटाबाजी स्त्री० चौसर; चौपड़ सेंकने (सॅ०) पुं० सौकी संख्या; सौका सोकटी स्त्री०,(-९) न० (चौसरकी). समूह; सैकड़ा (२)सदी; शताब्दी (३) मोटी; गोट। [-मारवी = गोटी वि० सैकड़ों; उदा० सेंकडो माणसो' मारना; दूसरेकी गोटीको खेलमें For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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