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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सामेल ५१२ सामाटुं = सामने आकर; रूबरू; मुंह पर.] सारवान पुं० सारबान; ऊँटवान सामेल वि० शामिल ; शरीक सारवार स्त्री० सँभाल; सेवा-टहल सामैयुं न० अगवानी; आगे बढ़कर (२) तीमारदारी लेना या स्वागत करना। सार, सक्रि० श्राद्धकर्म करना; पिंड सामो पुं० एक कदन्न; साँवा देना (२) पिरोना (३) झाड़ना; सायत स्त्री० सायत ; ढाई घड़ी; घंटा गिराना (४)आँजना; आँखमें लगाना सायर पुं० सागर; सायर [प.](२)न० (५) पार लगाना; पूरा करना (६) शराब, ताड़ी आदि पर लगनेवाली सुंदर बनाना; सजाना; पहनना (७) जकात खिसकाना; दूर करना; सरकाना (८) सायंकाल (-ळ) पुं० सायंकाल .. टाँकना; नक़ल कर लेना सायो पुं० साया; छाया; छाँह (२)[ला.] सारस पुं०; न० सारस; लकलक मदद ; आश्रय; साया (३) फ़क़ीरका सारसी स्त्री० सारसकी मादा; सारसी कुरता; चोला सारंग पुं० जहाजका कप्तान; नाखुदा सार वि० अच्छा; बढ़िया; उत्तम (२) (२) उसका साथी; खलासी । पुं० न० सार; सत; कस (३) सारंगी स्त्री० एक तंतुवाद्य; सारंगी भावार्थ ; तात्पर्य ; मथितार्थ (४) [ला.] साराई (-श) स्त्री०अच्छाई; सज्जनता; लाभ; फ़ायदा(५) उमंग; आनंद (६) भलमनसी अच्छा भाव (७) सज्जनता; अच्छाई सारासारी स्त्री० अच्छा मेल या संबंध सारण वि० सारण ; चलानेवाला (२) सारांश पुं० सारांश; तात्पर्य ; मथितार्थ पुं० बावली या कुंएमें से निकाली हुई सारीगम स्त्री०संगीतके सात स्वर या नहर (३)न० अंत्रवृद्धि उनकी लिपि; (संगीतका) सप्तक; सारणगांठ स्त्री० अंत्रवृद्धि; 'हानिया' स्वरलिपि (२) किसी राग या गीतके सारणि(-णी) स्त्री० सारणी; नहर; स्वर; सरगम जल-प्रणाली (२)तालिका; सारणी सारी पेठ(-3) अ० खूब; अच्छी तरह सारणी स्त्री० बुनाईके लिए फन्नीमेसे सार अ० -के लिए; वास्ते ताना पिरोना; कंघी भरना सारं वि० (२)न० अच्छा; मंगलमय%; सारप स्त्री०भलाई; सज्जनता; अच्छाई शुभ; भला (३) सुंदर;अच्छा;मजेदार; सारभाग पुं० अच्छा भाग (२)सारांश भला (४)सारा; समस्त; सर्व (५)अ० सारभूत वि० निष्कर्ष या निचोड़के (जवाबमें) भले; अच्छा; खैर। [(स्त्रीने) रूपमें प्राप्त; सारभूत; साररूप (२) सारा वहाग होवा गर्भ रहना; पेट सर्वोत्तम; सारभूत; साररूप रहना। सारा पगलानुं = नेकक़दम; सारमाणसाई स्त्री० सज्जनता जिसके पधारनेसे शुभ हो। सारो सारवq सक्रि० सार निकालना बहाडोभले दिन; सुखके दिन.] सारवा स्त्री० सारवान् जमीन ; उपजाऊ सारंनरसं, सारंमा वि० भला-बुरा। जमीन [-करवं= यह अच्छा है, यह खराब है For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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