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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संसारव्यवहार ५०६ सागमटुं दारीकी हवा लगना। -मांडवो, मां साकटी(-ठी)स्त्री०,(-)न०,(-टो) पडवू = शादी करना; घर बसाना.] पुं० सागौनका लंबा मोटा बल्ला संसारव्यवहार पुं० दुनियादारी साकर स्त्री० मिसरी। [-पोरसवी, संसारसुधारो पुं० सामाजिक सुधार; वाटवी, ना रवा पीरसवा, वाळी जीभ समाज-सुधार करवी = चापलूसी, खुशामद करना.] संसारी वि० संसार-व्यवहार-संबंधी; साकरियो पुं० फूलके मधुका टपकना; सांसारिक, दुनियादारी-संबंधी; संसार परागका चूना (२) चीनी चढ़ाया का (२) दुनियादार; लोकव्यवहारमें हुआ चना चिना कुशल ; संसारी (३) संसारमें फँसा साकरियो चणो पुं० चीनी चढ़ाया हुआ हुआ; दुनियादार; संसारी साक्षर वि० (२) पुं० साक्षर; पढ़ासंस्कार पुं० संस्कार; शुद्ध-साफ़ लिखा; शिक्षित (३) शिक्षित; विद्वान करना (२) सुधारना; संस्कार (३) (४) लेखक; साहित्यकार सजाना; संस्कार(४)वासनाओं, कर्मों साक्षरी वि० साहित्यकार-संबंधी (२) आदिकी मनपर पड़ी हुई छाप ; संस्कार कठिन शब्दार्थवाली (रचना) (५) शिक्षा, उपदेश, संगति आदिका साक्षी पुं० (अपनी) आँखों देखनेवाला; मन पर पड़ा हुआ प्रभाव ; संस्कार(६) साक्षी (२) गवाह; साक्षी पूर्वजन्मके कृत्योंका फल; संस्कार साक्षी स्त्री० साक्षी; साक्ष्य'; गवाही; (७) अंत्येष्टि क्रिया; मृतक-कर्म; गवाहका बयान । [-आपबी, पूरबी = संस्कार(८)द्विजातियोंके शास्त्रविहित गवाही देना (२) समर्थन करना.] १६ कृत्य ; संस्कार (९)पढ़ाई; शिक्षा। साक्षीदार पुं० गवाह; साक्षी [-करवो-शुद्ध करना (२) सजाना; साक्षीभूत वि० साक्षीभूत; जिसने स्वयं व्यवस्थित करना । माथे संस्कार वीतवा देखा हो = सिरपर आफ़त आना; संकट आना.] साख स्त्री० साख; गवाही; साक्षी संस्थान न० छोटा राज्य; रियासत साख स्त्री० डालका पका हुआ फल; (२) उपनिवेश; 'कोलोनी' टपका (आम) संस्थानवासी वि०(२)पुं० उपनिवेशमें साख स्त्री० चौखटके आधार पर बसनेवाला, उपनिवेशवासी, उपनिवेशी लगनेवाली दो खड़ी लकड़ियाँ; साह संहरवू स० क्रि० एकत्र करना; संग्रह (२) [ला.] आँगन; चौक करना; संहरण (२)लोटा लेना (मंत्रसे साखप(-पा)डोशी पुं० हमसाया,पड़ोसी बाण आदि); संहरण (३)नाश, संहार साखी स्त्री० दो चरणोंका एक प्रकारका करना; संहारना [प.] दोहा या पद, साखी (२) गज़ल, लावनी साइकल स्त्री० साइकिल'; बाइसिकिल या गरबीमें आनेवाली स्वर आलापकर साईस पुं० साईस गायी जानेवाली छोटी पंक्तियाँ साकटम वि० सारे कुनबेको-सपरिवार साग पुं० सागौन; सागवन दिया हुआ (न्योता) सागमटुं वि० देखिये 'साकटम For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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