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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सर जीतना । सर पुं० ब० व० (सूद गिननेमें) मूलधन और मुद्दतके महीनोंका गुणनफल सर वि० ताबे ; अधीन : मात; पराजित हारा हुआ । [ - कर -प = मात होना; अधीन होना. ] सर अ० 'अनुसार ; मुताबिक़ से इस 'अर्थ में संज्ञा या विशेषणके साथ आता है; उदा० 'कायदेसर, माफकसर (२) 'के लिए, के कारण' इस अर्थ में संज्ञाके साथ आता है; उदा० 'धंधासर, हेतुसर' सरकट न० बेंत या नरकट जैसा एक पौधा ; सरकंडा सरकणं वि० सरकीला; फिसलनवाला (२) न० सरकनेकी जगह; फिसलन सरकवूं अ० क्रि० सरकना; खिसकना ; फिसलना (२) चुपकेसे चल देना; खिसकना ; सटकना सरकस न० सर्कस सरकार पुं०; स्त्री० सरकार; राज्य; हुकूमत (२) बड़ोंका संबोधन; हुजूर; सरकार। [ – दरबारे चडवुं = मुक़दमा कचहरी में पेश करना; दावा दायर करना. ] सरकारधारो पुं०, सरकारभरणुं,सरकारभरत न० लगान; भूमिकर; पोत सरकारी वि० सरकारका; सरकारसंबंधी; सरकारी सरकियुं न० सरकीली गाँठ सरको पुं० सिरका सरलाई स्त्री०, सरखापणुं न० समानता; बराबरी सरखामणी, सरखावट स्त्री० तुलना; समानता (२) बराबरी; मुक़ाबला सरलाव स० क्रि० तुलना करना; मिलाकर जाँचना; मिलाना ४९४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सरनुं वि० समात; बराबर सदृश (२) सपाट; समतल ; जो ऊबड़-खाबड़ न हो ( ३ ) ढंगका ; व्यवस्थित; ठीक (४) उचित; योग्य; लायक़ ; उदा० 'मारा सरखं काम' (५) वाक्यमें संज्ञाके बाद आने पर 'तक' या 'भी' अर्थ सूचित करता है; उदा० 'आंगळी सरखी न उपाडी । [ सरली नजर = निष्पक्ष दृष्टि; समदृष्टि; एक आँख से सबको देखनेकी दृष्टि । नहि सरखं नहींवत् (२) जरा; तनिक; थोड़ा. ] सरलेसरतुं वि० बराबरका ; जोड़का ; समान; एकसा = सरगवो पुं० सहिजन; मुनगा; सौंजना सरघस न० जुलूस (समुदाय ) । [ -काढ = जुलूस निकालना.] सरजनहार पुं० देखिये 'सर्जनहार' सरजबुं स० क्रि० देखिये 'सर्जवं ' सरजोरी स्त्री० देखिये 'सिरजोरी' सरड अ० सुड़कनेसे होनेवाली आवाज सरडको पुं० सुड़कनेकी क्रिया, आवाज; सुड़क (२) चभड़-चभड़; तरल चीज़ खानेसे होनेवाली आवाज़ सरडी स्त्री०गिरगिट ( २ ) मादा गिरगिट सरडो पुं० गिरगिट सरणि (-णी) स्त्री० सरणी; सरणि; पगडंडी ( २ ) पद्धति; तरीक़ा; रीति; सरणी (३) सजावट ; व्यवस्थितता; सरणी सरत स्त्री० नज़र; दृष्टि (२) याददाश्त स्मरणशक्ति ( ३ ) ध्यान; खयाल; सुरत । [ -पहोंचवी = नजर या दृष्टि जाना (२) अक्ल काम करना । - रहेवी = ध्यान आना; का खयाल रहना; स्मरण होना; खयाल For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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