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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org उडा उखेडावं अ० क्रि० 'उखेडवुं ' क्रियाका कर्मणिरूप; उखेड़ा जाना उगटणुं न० हलदी और तेल मिला उबटन जो वर-कन्याको लगाते हैं उगम पुं० उगना; उदय ( २ ) आरंभ; मूल उगमणुं वि० पूरबका; मशरिकी उगाढवं स० क्रि० उगाना उमामवं स० क्रि० मारनेके लिए उठाना; तानना [ ( २ ) बचत लाभ उगार पुं० उबार; बचाव; छुटकारा उगारवुं स०क्रि० उबारना; बचा लेना (२) बचत करना ['उगावो' उगारो पुं० देखिये 'उगार' ( २ ) देखिये उगावो पुं० उगना; फलना-फूलना (२) वर्षाकालमें उगनेवाले छोटे-छोटे पौधोंका समूह उघडraj स०क्रि० 'ऊघडवु' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; खुलवाना उधराई स्त्री० उगाही; लगान, क़र्ज़, कर इत्यादिकी वसूली उधराणियो पुं० तलबगार ; वसूलीका काम करनेवाला उघराणी स्त्री० उगाही ( २ ) तकाजा उघराणुं न० चंदा; फंड उघरात स्त्री० देखिये 'उघराई'. उघरातदार वि० वसूली करनेवाला; तलबगार उघरावबुं स०क्रि० उगाहना; तहसीलना उघलावबुं स० क्रि० 'ऊघलवु' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; वरयात्रा निकालना उघाड पुं० बादलोंका हट जाना; आकाशका खुलना (२) भाग्यका उदय; लाभ [ला. ] । [ -नी कळवो = (बादल आदिका हटकर ) धूप निकलना. ] उघाउपणुं वि० नंगे पैर चलनेवाला ३७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपखं उघाडबाएं वि० जो चोरको सुगम हो; खुला (२) न० भाग छूटनेका रास्ता; चोर-खिड़की किरना उघाडवास स्त्री० खोलना और बंद उघाडबुं स० क्रि० उघाड़ना; खोलना उघानुं वि० खुला; जो बँका, बंद या भिड़ा हुआ न हो (२) जिसने ओढ़ा, पहना न हो; नंग ( ( ३ ) साफ़; स्पष्ट ( ४ ) प्रकट; जाहिर ( ५ ) अरक्षित । [ -कर, पाडवं = खुला या प्रकट करना ( २ ) जाहिरमें बदनाम हो और सब निंदा करें ऐसा करना । -थवं, पढधुं = जाहिर होना; परदा खुलना ( २ ) बदनाम होना । उघाडे चोक, उघाडे छोगे, उघाडे बारणे = जाहिरमें; खुले आम ; खुले खजाने. } उधाडं पुगाडुं वि० नंगा ; नंगघडंग उचकामण न०, ( - णी) स्त्री० ढोनेकी मजदूरी; ढुलाई उचकाववुं स०क्रि० 'ऊचकबुं' क्रियाका प्रेरणार्थक रूप; उठवाना उचाट पुं० उचाट; फ़िक्र (२) अधीरता उच्चापत स्त्री० हड़प; अनुचित रीतिसे किसी चीजको उड़ाना उच्चाळी पुं० घरका माल असबाब । [ उचाळा भरवा = घर-बार खाली करके निकलना या भाग जाना; बोरिया- बँधना उठाना या संमेटना (२) चंपत होना; चलते बनना. ] उचेड स०क्रि० उधेड़ना; (छाल) ... उतारना उच्चक वि० मोल- तोल किये बिना ऐसे ही दिया हुआ, रखा हुआ या ठहराया हुआ उच्चरवं स० क्रि० बोलना For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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