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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वीसरा, वीसरा, अ० क्रि० . 'वीसरवू' का कर्मणि ; याद न रहना; भूलना वीसी स्त्री० बीसका समूह; बीसी (२) बुनाईमें तानेके तारोंकी एक प्रकारकी गिनती; वीशी बीळ स्त्री० ज्वार (भाटाका उलटा) वीखवू स० कि० देखिये 'पीखवू' वींचqसक्रि० मूंदना बंद करना,मीचना । वींछी पुं० बिच्छू (जंतु) वींछीडो पुं० बिच्छू (२) वृश्चिक राशि वींछु पुं० बिच्छू (जंतु) वौंछुडो पुं० देखिये 'वींछीडो' वींछुवा पुं० ब० व० देखिये 'वीछुवा' वीजणुं न० बढ़ईका औज़ार; रुखानी वौंजणो पुं० पंखा; व्यजन वीझणुं न० देखिये वीजणुं' वीसवं स० क्रि० तलवार, लाठी आदि हवामें जोरसे घुमाना वीटली स्त्री०, (-लो) पुं० स्त्रियोंका नाकका एक गहना; नथ वाटलो पुं० देखिये 'वींटो' वींटवं स० क्रि० लपेटना; लुंडियाना; पीडियाना (सूत, रस्सी आदि) वींटावं अ० क्रि० 'वींटवू' का कर्मणि; . लिपटना; लपेटा जाना। वींटाळवं स० क्रि० लपेटना; लँडि याना (सूत, रस्सी आदि) वीटी स्त्री० अँगूठी; मुंदरी वीटो पुं० लपेटा हुआ गोल पिंडा; बीडा (२) बिस्तरका बीडा वींढारQ स० क्रि० पालन करना; - पोसना (२) मुसीबत झेलकर भी साथमें रखना, ढोना वीच न० बेध; छेद (मोती आदिमें) वीवj न० रुखानी ग.हिं-३० बोंबई स० क्रि० बेधना; छेद करना; छेदना; बींधना (२) घाव करना; बेधना; गड़ाना; चुभाना । वींधाव, सक्रि० 'वींध'का प्रेरणार्थक वींषावं अ० क्रि० 'वींधवू' का कर्मणि; बिंधना; बेधा जाना चूठवं स० कि० बरसना; बरस पड़ना वृत्त न० वृत्त; आचरण; चाल-चलन (२) छंद; वृत्त (३) वर्तुलाकार क्षेत्र; वृत्त (४) समाचार; वृत्त (५) वृत्तांत; घटना; हक़ीक़त; वृत्त वृत्तपत्र न० अखबार; समाचारपत्र वृत्तविवेचक पुं० पत्रकार वृत्तविवेचन न० पत्रकारी; अखबारनवीसी; 'जर्नालिज्म' वृत्तांत पुं०; न० वृत्तांत; हाल; हक़ीक़त; वर्णन (२) खबर; समाचार वृत्ति स्त्री० मनमें उठनेवाला विचार; वृत्ति; चित्त-मनका व्यापार (२) रुख; मनकी अवस्था; मनोभाव; वृत्ति (३) स्वभाव; प्रकृति (४)आचरण; बरताव (५)व्याख्या; कारिका; वृत्ति (६) रचनाशैली (कोशिकी आदि); वृत्ति(७)वृत्ति; पेशा (८) जीविका; वृत्ति (९)शब्द-शक्ति (अभिधा आदि) [व्या.] [(२)बुजुर्ग; बड़ा; वृद्ध वृद्ध वि० वृद्ध; बड़ी उमरका; बूढ़ा वेउ पुं० एक बेल वेकरो पुं० कंकड़ मिली हुई बड़ी रेत वेकळो पुं० छोटा नाला या झरना वेकर स्त्री० बालू; रेत वेखल(-) वि. जिसे स्वमान न हो; 'खी-खी' आवाज़ करके हँस पड़नेवाला (२) निर्लज्ज; बेहया; (३) खल; अशिष्ट For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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