SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 460
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४५० बाई देना; घमंड चूर करना; ढीला, वागळू न० देखिये 'वागोल' नरम बना देना (३)धमकाना; डाँटना बाहोल स्त्री० ; न० गादुर; चमगादड़ (४) पीटना; मारना। -खावो = (२)जुगालीसे बना हुआ रस बेरोजगार रहना; मक्खियाँ मारना वागोलवं स० क्रि० जुगाली करना; पगु(२)काम न निबटनेसे देर होना; राना (२)[ला.] चबा-चबाकर खानेसे काम खटाईमें पड़ना(३) खाली, निर- देर लगाना र्थक पड़ा रहना; बेकार बैठे रहना।। बागोळ स्त्री०; न० देखिये 'वागोल' -छूटवो, सरवो = अपानवायुका निक- बागोळवू स० क्रि० देखिये 'वागोलवू' लना; हवा छूटना (२)[ला.] घबराना; वाग्ये अ० बजे छक्का छूटना; पसीना छूटना। वाघ पुं० बाघ ; शेर; व्याघ्र। [-नी -नी साये वढे एवं = हवासे लड़ने- बोडमां हाथ घालवो = जान पर वाला,झगड़ालू।-नीकळी जवो= थक खेलना; शेरके मुंहमें जाना। -नी जाना (२) मर जाना; दम निकलना। माशी = शेरकी खाला; बिल्ली। -वावो = असर होना, विचार या भा- -नुं माथु लावq = बड़े साहसका वनाओंका वेगसे फैलना, हवा चलना.] काम करना; जान पर खेलना। वाई स्त्री० मूर्छा रोग, हिस्टीरिया';बाई -मारवो = बड़ा पराक्रम करना.] वाउ स्त्री० बिवाई (२)वि० तरंगी; वाघनख पुं० बघनखा; बाघनख (एक अस्थिर [उपदेश; वाज़ हथियार; बच्चोंका गहना) (२)एक वाएज पुं० उपदेशक ; वाइज़ (२)स्त्री० गंधद्रव्य [द्वादशी वाक पुं० कस; सत्त्व (२) आटेकी वाघबारश (-स) स्त्री० कार्तिक कृष्णा चिकनाई [कार(२) प्रवीण वाधरण स्त्री० 'वाघरी' जातिकी या वाकेफ (गार) वि. वाक़िफ़; वाक़िफ़ __'वाघरी' की स्त्री (२) गंदी, फूहड़ वाखरो पुं० घरकी चीज़-वस्तु; घरबार __ स्त्री [ला.] वाखो पुं० देखिये 'वखो' (२) महामारी वाघरी पुं० ‘वाघरी' जातिका आदमी वागलं न० देखिये 'वागोल' (२) मैला, गंदा, असभ्य नीच व्यक्ति वागवं अ० क्रि० बाजेसे आवाज़ निक- वाघांबर न० बाघकी खाल ; बाघंबर लना; बजना(२)चोट लगना; लगना वाघोपुं० बाना; बागा,पहनावा(२)गठरी (३) (अमुक घंटोंका) समय होना; वाचन न० वाचन; पाठ; पढ़ाई (२) बजना। [वागते ढोले जq= डंकेकी पढ़नेका तर्ज़ ; पढ़ाई (३)विधानसभामें चोट जाना (२) बदनाम होना । वागतो बिलका चर्चा के लिए पेश होना;वाचन; घंट = बातूनी या शेखीखोर आदमी। पगलां वागवां = किसीके आनेकी वाचनमाळा स्त्री० पाठशालाके दरजोंमें आहट सुनाई देना; पास आनेमें होना। पढ़ाने के लिए तैयार की हुई किताबोंकी शम्ब बागवा = अखरनेवाली- लगती माला; पाठावली ।बूंदें; बौछार बातका असर होना; बोल अखरना.] वाछट स्त्री० हवासे उड़ी हुई बारिशकी रीडिंग' For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy