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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४४० बदार बहुं न० बड़ा (उरदका) (२) 'परत के वणसाड स० क्रि० 'वणसवू' का प्रेरअर्थमें संख्यावाचक शब्दके साथ आता णार्थक ; विनाश करना; बिनसाना [प.] है; उदा० 'एकवडु; बेवडुं' वणाई स्त्री० बुननेकी मजदूरी; बुनाई बड़े अ० से (२) बुननेका ढंग; बुनावट; बुनाई बडे वि० बुजुर्ग ; बड़ा [लड़ाका वणाट पुं० बुनाई ; बुनावट । बढकण (-j), वढकालं वि० झगड़ालू; वणाटकाम न० बुननेका काम ; बुनाई वढवाड स्त्री० क़ज़िया; टंटा; लड़ाई वणिय(-ये) र (व') न० एक छोटा वढवाडियुं वि० देखिए 'वढकणुं' चौपाया जंतु; बिज्जू [फाड़ डालना बढवं अ०क्रि० तकरार करना ; झगड़ना; वतडवू स० क्रि० नाखूनसे खुजलाना या लड़ना (२) मारपीट करना; लड़ना वतन न० वतन ; मूल वासस्थान ; जन्म(३) सक्रि० डाँटना; फटकारना भूमि (२) सरकारकी ओरसे इनाममें वढा अ० क्रि० 'वढवू', 'वाढवू' का मिली ज़मीन; माफ़ी ज़मीन ; जागीर कर्मणि [प्रेरणार्थक (३) ज़मीन-जागीरकी उपज बढावयु सक्रि० 'वढवू', 'वाढवू 'का वतनदार वि० (२) पुं० जागीरदार वण (ण,) अ० बिना; बगैर बतरडवं स० क्रि० देखिए ‘वतडवू' वण (ण,) न० कपास (२) कपासका वतरणुं न० कलम (लकड़ीका लिबनेखेत या पौधा का टुकड़ा) वणकर पुं० बुनकर; जुलाहा बताडवं स० क्रि० देखिए 'विताडवं' वणकरी स्त्री० बुननेकी मज़दूरी; बुनाई वतावq स० क्रि० सताना; परेशान वणछो पुं० पेड़की छाया (नीचेके पौधे करना (२) छेड़ना (३) बताना पर पड़नेवाली) वती अ० से (२)वास्ते;-के स्थान पर; वणज पुं० बनिज; व्यापार ; धंधा (२) -के बदले स्त्री० माल; सौदा; व्यापारकी चीज़ वतुं न० हजामत वणजार स्त्री० बनजारेके बैलोंका झुंड; यते अ० से टाँड़ा (२)बनजारेका क़ाफ़िला; कारवाँ वतेसर वि० विस्तारवाला; लंबा-चौड़ा वणजारी स्त्री० बनजारन; बनजारी (२) न० बतंगड़; लंबी-चौड़ी (हॉकना) वणजारो पु० बनजारा [बुनाई वत्तुं वि० विशेष; अधिक ; ज्यादा वणतर न० बुनना (२) बुनावट; साफ़ वद (द,) अ० वदि ; कृष्णपक्षमें (२) वणवं स० क्रि० बटना (रस्सी) (२) स्त्री० अँधेरा पाख; बदी बुनना (कपड़ा) (३) बेलना (रोटी वदवू स० क्रि० बोलना (२) अ० कि० आदि) (४) सेंवई बटना (५)बीनना मंजूर, स्वीकृत होना (६) कामकाजमें लगाकर अनुभवी वदाड पुं० देखिये 'वायदो' बनाना; सधाना [ला.] बदाय वि० (२) स्त्री० देखिये विदाय' वणसवं अ० क्रि० बिगड़ना; खराब बदायगीरी स्त्री० देखिये 'विदायगीरी' होना (२) नष्ट होना; बिनसना [प.] ____ वदार पुं० देखिये ‘वायदो' For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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