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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४०८ पड़ना; रंग उतरना, उड़ जाना (२) रंग सकि० रंग चढ़ाना (मेष, दीवार धोते समय रंगउतरनेसे दूसरे कपड़ेको आदि पर); रंगमें डुबोना (कपा); रंग लगना। -करपोरंग देना; रंगना। [रंगी नाखg = मारपीटकर रंगना (२) विजयी होना (३) यश लहू-लुहान करना.] या ख्याति प्राप्त करना। -मांसबो रंगशाला(-ळा) स्त्री० रंगशाला; = रंग खेलना, डालना, फेंकना। नाटयशाला (२) रंगनेका कारखाना -फरवो, बदलावो रंग फीका पड़ रंगाई स्त्री० रंगनेकी मजदूरी; रंगाई जाना; रंग उतरना। -मचाववो रंग (२) रंगनेकी कला या चतुराई; रंगाई मचाना;रंग रचाना। मारवो, लगार- रंगाट पुं० रंगनेका काम और कला; (-) वोरंगना।-मां आवq=रंगमें रंगाई रंगना; रंगमें आना। -रामवोशान रंगाटी स्त्री. रंगनेका काम या कला रखना; कमाल करना। -लागवो%D (२) रंगरेज (३) रंगनेका कारखाना रंगी हुई चीजके स्पर्शसे रंग लगना रंगामण न०, (-जी) स्त्री. रंगनेकी (२)-के असरमें आना; -के रंगमें ___ मजदूरी; रंगाई दलना (३)-का चसका लगना.] रंगारो पुं० रंगरेज; रंगसाज रंगत वि० रेंगा हुआ; रंगीन (२) रंगी वि० रंगी; रंगीन; रंगका शौकीन · सुशोभित (३)स्त्री० रोनक खबसूरती; (२) रंगयुक्त; रंगवाला; उदा. उदा. 'आ कपडानी रंगत सारी नयी' 'विविधरंगी' (३)स्त्री० एक प्रकारको (४) आनंद; मजा; रंगत लाल मिट्टी; हिरमजी रंगद्वेष पु० जातिद्वेष; अन्य रंगके रंगीन वि० रंगा हुआ; रंगीन लोगोंके प्रति भेदभाव रंगीलं वि० रंगीला; आनंदी; रसिक रंगपंचमी स्त्री. वसंतपंचमी (२) सुंदर; खूबसूरत; रंगीला रंगपाणी न० मादक पेय; नशा; अमल रंगोळी स्त्री. जमीन पर रंग देकर रंगबेरंगी वि. रंगबिरंग बनाये हुए बेल-बूटे; चौकमें आटे रंगभेव पुं० अलग रंगके लोगोंके प्रति आदिकी लकीरोंसे बनाया हुआ. चित्र भेदभाव; जातिभेद रंच वि० रंच; थोड़ा रंगभेर अ० हर्षके साय; आनंदसे रंजाड पुं०;स्त्री०बिगाड़; नुकसान (२) रंगरसियुं वि० रंगरसिया; विलासी ऊधम; तूफ़ान; शरारत (३) हैरानी; रंगरूट पुं० रंगस्ट; नया सिपाही दुःख ; क्लेश; संताप रंगरूप न० आकार; सूरत-शक्ल; रंग रंजार स० क्रि० संताना; दुःख देना रूप; देखाव रंगपो पुं० रंडापा; वैधव्य रंगरेज पुं० कपड़ा रंगनेवाला; रंगरेज रंगवं अ० क्रि० 'रांडवु'का कर्मणि रंगरोगान न० रंग और रोगन (माविकी रंडी स्त्री. नाचने-गानेका व्यवसाय रोनक) [में); मसखरा;मांड करनेवाली स्त्री; रंडी (२) वेश्या; रंगलो पुं० विदूषक (नाटक या भवाई' रंग (३) ताशका एक पत्ता; बेगम For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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