SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 395
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माछि ३८५. मान्, जोहना; बार-बार याद करना; प्रतीक्षा बैठक ऊँची चौकी; तस्त (२)गाडीकी करना (३) अकिंचन बनना; कामकाज- धुरीके ऊपरका तख्ता; मचान रहित होना,खालो बैठना।-मालवी% मांची (0) स्त्री० खाट (२)मचिया; विरक्त बनना, साधु बनना। -फेरवबी चौकी जैसा आसन = देखिये 'माळा जपवी'। -लेबी= मांचो(0) पुं० देखिये 'मांचडो'(२) देखिये 'माळा झालवी'.] चारपाई। [-भूकवो= पलंगको लात माळियुं न० मंजिल ; मकानका दरजा मारकर खड़ा होना; बीमारीसे स्वस्थ (२)असबाब रखनेके लिए छप्परके नीचे होना.] बनाया हुआ छोटा मचान; टाँड़; पाटा मांजर(०) स्त्री० तुलसी आदिकी सींकों माळी पुं० माली; बाग़बान (२)फूल पर लगे हुए छोटे घने फूल ; मंजरी बेचनेवाला (२) सुखतला (जूतेका) (३)मुर्गे के सिर परकी चोटी; कलगी माळो पुं० घोंसला; नीड (२) बहुत मांजरं (०)वि० कंजी आँखोंवाला; कंजा कुटुंब रह सकें ऐसा चार-पांच मंजिला मांजवं(०)सक्रि० मांजना [मांझा मकान (३)खेतका मचान; मंच मांजो (०)पुं० पतंगकी मांझा दो हुई डोर; माकड (०) पुं० खटमल मांड(0) अ० ज्यों-त्यों करके; मुश्किलसे मांकडी(०) स्त्री० वानरी;बंदरी;मर्कटो मांडगी (०) स्त्री० छत या मंजिलकी (२)चक्कीके ऊपरवाले पाटमें पहनाई ऊंचाई (२)सजावट हुई लकड़ी; मानी (३) मथानीके डंडेमें मांड मांड (०) अ० ज्यों-त्यों; किसी लगी कटावदार खोरिया जो मयनी पर तरह; बहुत मुश्किलसे; मरते-जीते जमकर बैठ जाती है(४)मवेशीके गरांव मांडवाळ (०)स्त्री० निर्णय ; समझौता के फंदेमें पहनाई जानेवाली लकड़ीकी फैसला; निबटारा . गुल्ली (५) हलके ऊपरकी वह आड़ी मांडवी स्त्री० घरके सामनेकी ऊंची बैखूटी जिसे पकड़कर हलवाहा जोर देता ठक (२)ओसारा;सायबान; बरामदा है (६) नीले रंगकी भैंस (७) चमड़ीका (३)नवरात्रमें बहुत दिये रखनेके लिए एक रोग (८) घोड़ीकी एक जाति बनाई गई बड़ी दीवट जैसी रचना (४) (९)मकड़ी; लूता जकात लेनेकी जगह; चुंगीघर (५) मांकडोकूकडी (०) स्त्री० एक जंतु; बाजार; चौक (६)मूंगफली . . लूता (इसके पेशाबसे फफोले उठते हैं) मारवं(०) स० कि० शूरू करना (२) मांक (०) न० लाल मुंहका बंदर; मर्कट लिखना; नोट करना (३) सजाना; माको(०)पुं० लाल मुंहका बंदर; मर्कट तरतीबसे रखना (४) योजना करना; मांकण (०) पुं० खटमल स्थापित करना। [मांगी. वाळवं = मांस (०) स्त्री० देखिये 'माखी' फैसल करना; निवटारा करना (२) मांगवं(०) स० क्रि० देखिये 'मागवं' पावना छोड़ देना, जाने देना (३)बंद्र मांवडो(०) पुं० मचान (२)मंच; ऊँची रखना; मुल्तवी रखना. गु. हिं-२५ For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy