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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माफीपत्र ३८२ मारफतियो माफीपत्र पुं०; न० माफ़ी मांगनेवाली माया स्त्री० माया; प्रकृति; अविद्या या देनेवाली चिट्ठी या पत्र (२) कपट; माया; धोखा; इंद्रजाल माफो पुं० रथ; मुहाफ़ा (३) [ला.] ममता; माया; स्नेह (४) माबाप न० ब०व० मातापिता; मांबाप ममताका कोई भी विषय (५) धनया मातृ-पितृतुल्य व्यक्ति (२) किसी दौलत;माया। [काची माया = धोखा बातका आधार, उत्पत्तिस्थान या मूल- खा जाय ऐसा मनुष्य । पहोंचेली माया कारण [ला.]; उदा. 'आ खर्चनां = पक्का; किसीसे छला न जाय ऐसा माबाप बतावो' मनुष्य । -करवी=स्नेह करना;प्रीति माम स्त्री० माया; ममता (२)आश्चर्य; जोड़ना। -थवीराग, स्नेह होना। ताज्जुब (३). धैर्य ; दृढ़ता (४) टेक ; -राखवी=ममता, राग रखना.] ममत्त्व [लदार मायाममता स्त्री० दया; माया ; स्नह मामलतदार पुं० मामलतदार; तहसी मार पुं० मार;ताड़न;चोट (२) मौत;मार मामलो पुं० मामला ; परिस्थिति ; बात (३) मारामार; विपूलता; अधिकता (२) नाजुक समय ; अड़ी; संकटका [ला.)। [-खावो = मार खाना (२) समय । [-काबूमां आववो मामला घाटा सहना । -पडवो = मार मिलना --परिस्थिति काबूमें आना।-वीफरवो (२) नुक़सान पहुँचना । कामनो मार =मामला बिफरना, किसीके क़ाबूके चालवो = मारामार काम चलना। बाहर होना; बात हाथसे जाता.] मूढ मार, मूंगो मार = मीठी मार.] मामा पुं० ब० व० माँका भाई; मामा मारक' वि० मरकहा;हथछुट; मरखना (२)शत्रु; चोर [ला. 1 [-मळवा = मारकूट स्त्री० मारकुटाई; मारपीट चोर मिलना] मारकेट न० मार्केट ; मंडी मामामातीनुं करवं = सगे-संबंधियोंका मारको पुं० मारका; निशान ; छाप (२) पक्ष लेना या तरफ़दारी करना इफ़रात; विपुलता मामाजी, मामाससरा पुं० ब० व० पति मारखाउ वि० जो सदा मार खाये ; पिट्ट या पत्नीका मामा; ममिया ससुर मारग पुं० देखिये 'मार्ग' मामी स्त्री० मामाकी पत्नी; मामी मारझूड स्त्री० एक दूसरेको मारना और मामीजी, मामीसासु स्त्री० पति या ठोकना; मारकुटाई पत्नीकी मामी; ममिया सास मारदडी स्त्री० गेंदसे खेलनेका एक खेल; मामूल न० मामूल, रिवाज गेंदतड़ी [पीटना; मारपीट मामूली वि० मामूली ; साधारण मारपीट स्त्री० एक दूसरेका मारना और मामेरं न० देखिये 'मोसाळं' मारफत अ० द्वारा; ज़रिये; मारफ़त मामो पुं० माका भाई; मामा (२) शत्रु; (२)स्त्री० आढ़तिया या दलालके द्वारा चोर [ला.] काम करनेकी रीत (३) दलाली; आढ़त मायकांक (-ग)लुं वि० नामर्द; कायर मारफतियो पुं० दलाल; आढ़तिया; मायनो पुं० मानी; अर्थ (२) हेतु; इरादा अढ़तिया. For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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