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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मबाई मबाई स्त्री० हलके प्रकारके नाटकका एक भेदस्वांग (२) फजीहत; भद्द [ला. ] भवाet पुं० भद्द; फ़जीहत भवात्यो पुं० भाँड; भांड ( २ ) वह व्यक्ति जो बदनाम करे; माँड़ भविष्य वि आनेवाले कालका; भविष्य; भविष्यत् (२) न० मसीब; भाग्य (३) मृत व्यक्तिकी छोड़ी हुई दौलत; वरासत (४) भविष्यकाल; भविष्य । [सा = वरासतका - मृत व्यक्तिकी संपत्तिका उपभोग करना । बंधावनुं = उत्तराविकारीको दौलत दे देना.]-2 भविष्यकाळ पुं० आनेवाला काल; · भविष्य (२) क्रियाका एक काल; भविष्यकाल; भविष्य ; भविष्यत्काल भविष्यवाणी स्त्री० भविष्यवाणी भविष्यवेता पुं० भविष्य जाननेवाला; ज्योतिषी भवु म० मोह; भू; भीं । [ भवा चढावयां = क्रुद्ध होना; भौंह चढ़ाना.]:. भर्वयो पुं० देखिये 'भवायो ' ratna to प्रत्येक जन्ममें; जनम-जनम भश ( स ) को पुं० इच्छा; तीव्र लालसा भस अ० क्रि० भौकमा; भूकना (२) व्यर्थ बकना; भूँकना भतुं वि० जो हिलमिल जाये ; मिलनसार (२) कसा भी बिना ठिकानेका (३) बेलुका असंगत मन० देखिये 'भस्म' भळवं न० कि० विश्रित होता; मिलना (विता-गुरुता होना; समान "होना मिलना [(२) सपना ०क्रि० सिफ़ारिश करना मंग पुं० मंग; टूटना; खंडित होना ( २ ) तोड़ना; भंग ( ३ ) यांस ना (४) ३५६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भंडारी विघ्न बाधा; भंग (५) वचता टेढ़ापन, कुटिलता; भंग। [ - पेडवो = बाधा खड़ी होना; टूटना; बिगड़ जाना; भंग होना ( आनंद, हर्ष आदि) । - पाडवी = बाधा खड़ी करना; रोड़े अटकाना; (रंगमें) भंग करना; तोड़ना. ]: भंगटी स्त्री० देखिये 'भंगियण भंगान न० भंग; विघटन; खंडित होना (२) अनवर विरोध भंगार पुं० टूटे-फूटे बरतन वा दूसरी रद्दी चीजें भंगड़ - खंगड़ भंगियण स्त्री० भंगी जातिकी या भंगीकी स्त्री; भंगिन; मेहतरानी भंगियो पुं० भंगी; मेहतर भंगी पुं०. देखिये 'भंगियो' भंडक न० भौंहरा; तहखाना; भुइँहरा [प] (२) स्टीमर में तीसरे दर्जे के मुसाफिरोंके बैठने स्थानके इर्दगिर्वकी जगह भंडार पुं० ( अन्नका ) भंडार; कोठार (२) खजाना : कोश (३) जहाजके डेकके नीचेकी, जमह ( ४ ) दुकान; उदा० 'खादी भंडार ' भंडकियुं न० छोटा भौंहरा मा तहखाना भंडारपुं स० क्रि० भंडारमें रखना (२) छिपाना; गाड़ना ५ भंडारियुं न० दीवारमें बनी हुई छोटी ..आलमारी या किवाड़दार ताखा भंडरिया (२) गाडेके जीके हिस्सेमें फ्रेटीनुमा रचना (३) घरमें पीछेकी छोटी कोठरी, भंडारी:: For Private and Personal Use Only by • भंडारी पुं० भंडारी खजानची (२)भंडारका अध्यक्ष भंडारी; कोठारी (३) एक अल्ल (४) ताड़ी और शराब बनानेका, पेशा करनेवाली जातिका ति
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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