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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बेरजो बेरियं न० दो बैलोंका गाड़ा (२) बत्तीस मनकी नाप (कच्ची) बेडी स्त्री० बेड़ी; जंजीर (२)बंधन; जंजाल प्रतिबंध;बेड़ी [ला.] (३)पावका रूपेका गहना; कड़ा; बेड़ा (४) दो। उँगलियोंमें पहननेकी जड़ी हुई अंगूठी बेई (बे') न० घड़ा और हंडा बेडो पुं० बेड़ा; जहाज़ । [-पार करयो, यवो = बेड़ा पार होना.] बेडोळ (बॅ) वि० बेडौल ; भद्दा बेढब वि० भद्दा; बेडौल (२)बेअदब ; असभ्य (३) बेढंगा; अव्यवस्थित ; बिना पद्धतिका (४) प्राप्तिरहित बेढंग(-) (ब) वि० बेढंगा; कुढंगा; बेसिलसिला बेत (बॅ) पुं० युक्ति; तरकीब; योजना; चाल (२) इरादा; मनसूबा (३) बेत; बेंत।[-रचवो=युक्ति रचना; चाल । चलना.] बेतमा () वि० बेपरवाह बेतरफी (बें) वि० दोनों ओरका; दुतरफ़ा बेताळा (बॅ) न० ब०व० बयालीस सालकी उम्र में आँख में धुंधली आना या उस समय पहनी जानेवाली ऐनक बेतालीस वि० बयालीस; ४२ बेदरकार (बॅ) वि० बेपरवाह; बेफ़िक्र बेदरकारी (बॅ)स्त्री० बेपरवाही;बेफ़िक्री बेदस्तूर (बॅ) वि० दस्तूर या रिवाजसे उलटा [बेदाना बेदाणा (बॅ) पुं० ब०व० एक औषधि; बेदिल (वें) वि० बेदिल ; नाखुश; उदास बेदिली स्त्री० नाखुशी (२) अनबन बेई (बॅ) न० अंडा; बैजा बेपरक (बॅ) अ० बेधड़क; निर्भय होकर बेबार() वि० दोनों ओर धारवाला; दोधारा (२) गोल-गोल; अस्पष्ट; द्विअर्थक बेपारी तरवार(बॅ) प्रतिद्वंद्वी और इस्तेमाल करनेवाले दोनोंको नुकसान पहुँचानेवाली चीज़ : बेध्यान (बें) वि० जिसका ध्यान न हो; ग़ाफ़िल; व्यग्र; असावधान बेनमून (बॅ) वि० अजोड़; सर्वोत्तम; वेजोड़ [विपद बेपगुं(-गाळं) (बॅ) वि० दो पैरवाला; बेफाक(-ट) (बॅ) वि० खुला; निर्लज्ज; बेहद ; बेहिसाब (२) अ. खुले आम; सरे बाजार (३) बेतहाशा; सरपट बेफाम (बॅ) वि० बेखबर; असावधान; गाफ़िल (२) जिसका ध्यान न हो बेफिकर (-) (बें)वि०बेफ़िक्र; बेपरवा बेफिकराई (बें) स्त्री०बेफ़िक्री; बेपरवाई बेबाक (बॅ) वि० बेबाक़ ; चुकता (२) निडर; बेबाक बेबाकळू (बॅ) वि० व्याकुल; हक्का बक्का; घबड़ाया हुआ बेबोल (बॅ) पुं० ब० व० कुछ कहना, निवेदन करना। [-कहेवा = कुछ कहना (२)नसीहत देना; सीख देना.] बेबोलु (बैं) वि० झूठा; मुकर जानेवाला बेभत्तुं(-) () वि० दो तरहका; द्विविध (२)मिलावटवाला । बेभरभु () वि० बेस्वाद बेभान (३) वि० अचेत; बेसुध ; बेहोश बेमालूम (बें) वि० बेमालूम; अज्ञात (२)अ० गुप्त रूपसे [माला बेरसो (बॅ) पुं० रुद्राक्षके बड़े मनकोंकी बेरजो पुं० गंवाबिरोज़ा . For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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