SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आदि २३ आफरीन आदि वि० आदि; आदिका (२) मुख्य; - आपघात पुं० खुदकुशी; आत्महत्या प्रधान (३) वगैरह; इत्यादि (४) आपण स० (सामान्यतः पद्यमें) मैं या पुं० प्रारंभ; शुरू (५) मूल कारण हम और तुम या आप; अपन [प.] (६) पहला पद [ग.] आपणं स० अपना (२) हमारा । आदिमजाति स्त्री० आदिमजाति आपणे स० देखिये 'आपण' (२) मैं; आदिवासी वि० आदिवासी उदा० 'भाई, आपणे एमां मानता नथी' आq न० अदरक (३) तुम ; आप [कठिनाईके दिन आध वि० आधा आपत्काळ पुं० आपत्काल; मुसीबत - आषण, आधरण न० अदहन आपत्ति स्त्री० आपत्ति(२)दुःख मुश्किल आषार पुं० आधार; टेक (२)सहारा; आपद, आपदा स्त्री० आपद्; आपदा आलंबन (३) सबूत; प्रमाण (४) आपभोग पुं० स्वार्थत्याग ‘फल्क्रम' [प. वि.] [ग्रंथ आपमतलबियुं, आपमतलबी वि० आधारग्रंथ पुं० प्रमाणभूत या प्रमाणरूप मतलबी; खुदग़र्ज़; स्वार्थी आधाशीशी स्त्री० आधासीसी आपमतियुं, आपमतीलुं वि० अपनी ही आधीन वि० अधीन; मातहत बुद्धिके अनुसार चलनेवाला; खुदराय आधेड वि० अधेड़; ढलती उम्रका आपमुखत्यार वि० खुदमुख्तार; स्वतंत्र आनंदवं अ० क्रि० खुश होना आपमेळे अ० अपने-आप; खुद-ब-खुद आनंदी वि० आनंदी; खुशमिजाज आपरखु वि० अपना ही खयाल रखनेआनाकानी स्त्री०आनाकानी आगापीछा वाला (२)स्वार्थी आनावारी स्त्री० कनकूत; दानाबंदी आपले स्त्री० लेना-देना; आदान-प्रदान आनी स्त्री० इकन्नी (२) सोलहवाँ आपवडाई स्त्री० आत्मश्लाघा; खुदभाग [ला.] नुमाई आप न०आपा; अपना स्वरूप(२)खुदी; आपवीती स्त्री०आपबीती(२)आत्मकथा अहंता (३)स्वशरीर(४) स० आप; आपवं स० क्रि० देना (२) सौंपना 'तुम' का आदरार्थक रूप (५)खुद; आपे अ० आप ही आप; स्वतः; मन स्वयं (समासमें) अपना __ ही मन [बुजुर्ग [ला.] आपआपणुं वि० अपना-अपना; आप- आपो पुं० पिता (२) वृद्ध मनुष्य; आपआपमां अ० आपस-आपसमें; अंदर आपोआप अ० खुद-ब-खुद ; स्वयं ; आप ही अंदर स्वोपार्जित धन ही आप (२) स्वाभाविक रीतिसे आपकमाई स्त्री० खुदकी कमाई; आफणीए अ० [प.] अपने-आप (२) आपकर्मी वि० अपने ही पुरुषार्थ पर यकायक आधार रखनेवाला; स्वावलंबी आफत स्त्री० आफ़त आपखुद वि० खुदराय; स्वेच्छाचारी; आफर, अ० क्रि० अफरना निरंकुश चार आफरीन अ० क़ुरबान, फ़िदा, खुश-खुश आपखुवी स्त्री० खुदमुख्तारी; स्वेच्छा- हुआ हो ऐसे; बलि गया हो ऐसे (२) For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy