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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चीर फासावट ३२२ फांसलो फाटतूबj वि.० देखिये 'फाटुंतूई फाळ स्त्री० छलाँग; चौकड़ी (२)धकफाड स्त्री० चीर-फाड़ (२.) फाँक ; टुकड़ा पक; खटका घड़क ।-पडवी-दिल फाडवं सक्रि० फाड़ना; चीरना;तोड़ना धड़कना; खटका होना। -भरवी फाडियुं न० छोटा पतला टुकड़ा; फांक = चौकड़ी भरना(२) साहस करना.] फातडो पुं० खोजा; हिजड़ा; हीजड़ा :- फाळ पुं० कपड़ेका लंबा टुकड़ा; धज्जी; फानस न दीया; बत्ती; लालटेन । [चरखी फायदाकारक वि० फ़ायदेमंद; मुफ़ीद फाळकी स्त्री० (सूत लपेटनेकी)फिरकी; फायदो पुं० फ़ायदा; लाभ ; प्राप्ति (२) फाळको पुं० फिरकी; परेता गुण ; अच्छा असर; फायदा। -पडवो । फाळवणी स्त्री०. बँटवारा; विभाजन = (दवाका) अच्छा असर होना.) फाळवदुं सक्रि० बाँटना; हिस्सा करना फारक(-1)वि० छुट्टा; मुक्त; कार्यसे फाळियुं न० साफ़ा ; मुंडासा निवृत्त ; फ़ारिग फाळो पुं० हिस्सा; भाग (२)बँटवारा; फारगती स्त्री० छुटकारा; मुक्ति; फ़ा- विभाजन (३) फंड; चंदा। [फाळे रखती (२)तलाक; विवाह-विच्छेद; पडतुं = जितना जिसके हिस्से में आवे; 'डायवोर्स' [कता;प्रचुरता [ला.] हिस्सेके अनुसार.] फाल पुं० फ़सल (२)अतिशयता; अधि- फांकडु(०) वि० देखिये 'फक्कड़' (२) फालतु वि० फुटकर; फुटकल (२) छैला; सजीला; रसिक फ़ाज़िल; फालतू फांको (०) पुं० अभिमान; मिजाज : फालवू अ० क्रि० खिलना; फैलना (२) फांट (०) स्त्री० कपड़ेका छोर. या पुष्ट होना; मुटाना; मोटा होना उसकी कामचलाऊ बनाई हुई झोली फालसुं न० फ़ालसा जैसी चीज़ फाल न० एक प्रकारका गीदड़; लोमड़ी फांटो(०) पुं० शाखा; भाग (२) कीना फाव स्त्री० किसी काममें हाथ बैठना; (३)तरंग; झोंक ; मनकी लहर रास आना - [होना फांद (०) स्त्री० तोंद (२) एक बेल; फावट स्त्री० देखिये 'फाव'; गवारा फांजी; काला विधारा । फाववं अ० क्रि० हाथ जमना; अनुकूल फांदो(०) पुं० फंदा; प्रपंच; मायाजाल होना; गवारा होना(२)सफल होना; फांफां(०) न० ब०व० खाली इधरमौक़ा मिलना; पासा पड़ना। [फावतुं उधर देखना; झाँकना; टापना (२) - आवq=रास आना; अनुकूल आना. मिथ्या प्रयत्न; बेकार कोशिश फासफूस स्त्री० निकम्मा, रद्दी माल; फांस (०) स्त्री० फाँस; पच्चड़; किरिच . कूड़ा-करकट (२)अड़चन; रुकावट ; भाँजी मारना फासफूसियुं वि० फुसफुसा; कमजोर [ला.]। [-काढवी-बाधा दूर करना; (चीज़); निकम्मा; जो कुछ उपयोग फाँस निकालना। -नाखवी, मारवी .. का न हो [फ़र्क ; फ़ासला पच्चड़ मारना; पच्चर अड़ाना.] फासलो पुं० (समय, अंतर आदिका) फांसलो(०) पुं० फंदा; जाल For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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