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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पुस्तो पुस्तो पुं० पुश्ता; घुस्स; बाँध ( पानीकी रोकके लिए) पूगबुं अ० क्रि० पहुंचना पूछगाछ स्त्री० पूछताछ; पूछपाछ पूछडी स्त्री० पूंछ; दुम; पूँछड़ी पूछ न० पूँछ; पुच्छ । [पूछडमां पेसबुं = दुममें घुसा रहना; खुशामद करके किसीके अधीन होना; पूंछ पकड़कर चलना । —एकलं बाकी छे = जानवर जैसा निरा मूर्ख है। -छूटी जं = दस्त जारी होना; पेट चलना । - पकड = पीछे पड़ना; पीछा करना (२) जिद पकड़ना । - मळवूं ( कटाक्षमें ) = खिताब मिलना. ] पूछपरख, पुछपाछ स्त्री० देखिये 'पूछगाछ' पूछवं स०क्रि० पूछना; प्रश्न करना; जवाब तलब करना; दरियाफ़्त करना (२) खोजना; पता लगाना (३) सलाह लेना ( ४ ) गिनतीमें होना ; क़द्र करना; पूछना [ बार पूछना पूछापूछ (-छी) स्त्री० पूछापाछी; बारपूजबुं स० क्रि० पूजा करना; पूजना (ईश्वर, देवता आदिको) (२) भजना; सेवा, भक्ति करना पूजा स्त्री० पूजा; आराधना ; उपासना ; पूजन (२) पुजापा (३) मार पिटाई; पूजा [ला. ] पूजापो पुं० पुजापा; पूजनकी सामग्री पूजारण स्त्री० पूजा करनेवाली स्त्री पूजारी पुं० पुजारी पूजाववुं स० क्रि० 'पूजवुं' का प्रेरणार्थक रूप; पुजवाना पूजावं अ० क्रि० 'पूजवुं' का कर्मणि; पुजना; पूजा जाना ( २ ) सम्मानित होना; पुजना ३१० पूमड़ पूठ स्त्री० पूंठ; पीठ (२) चूतड़; नितंब (३) पीछा [ला.] । [ -करवी = देखनेवालेकी ओर पीठ करना (२) अवज्ञा करना; आज्ञा न मानना (३) पीठ दिखाना; हारकर भाग जाना । - देखाउबी = पीठ दिखाना; भाग खड़ा होना. ] -- पूळ अ० पीछे; पुठवार [प. ] पूठियं न० ( पहियेकी) पुट्ठी (२) चूतड़ । [ पूठियां फाटवां = डर लगना; घबड़ाना । पूठियां रंगावां = सख्त मार पड़ना; भुरकुस निकलना. ] पूर्वं न० द्विदलके ऊपरका छिलका (२) किताबकी जिल्द ( ३ ) किताब पर चढ़ाया हुआ काग़ज़ (४) चूतड़, पुट्ठा (५) गठन ; काठी (शरीर ) । [-बंधावं, बाझवु = शरीरका मज़बूत होना. ] पूठे अ० पीछे ; पीठकी ओर पूडलो, पूडो पुं० पुआ; पूड़ा (आटे या पीठीका) (२) छत्ता पूणी स्त्री० पूनी पुतळी स्त्री० ( आँखकी) पुतली; तारा पुतळी स्त्री० पुतली ( लकड़ी धातु आदिकी); गुड़िया ( कपडे की ) (२) खूबसूरत स्त्री पुतली Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पूतळं न० मूर्ति प्रतिमा । [ पुतळा जेवुं = जड; अचेतन; बुत जैसा. ] पूनम स्त्री० पूर्णिमा पूम स्त्री० रुई धुनते समय उड़नेवाले बारीक रोयें; वाततूल; इंद्रतुल (३) कपड़े परके रोयें; फुचड़ा पूमडी स्त्री० पौदेसे सटी हुई रुई महुँ न० रुईका अति छोटा गाला; फाहा; फोहा; फाया (२) रुईके गालेको ऊपर से थोड़ा बटकर बनाई हुई खड़ी For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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