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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाटीदार ३०० दस्ता।[-उपर धूळ नालवीशालामें भैसा।[पाडा मुंडवा-निठल्ला होकर जाना। -वाळवी = वीरान करना; निकम्मे काम करना.] उजाड़ देना.] पाडगे (पा') पुं० पहाड़ा पाटीदार पुं० जमींदार; पट्टीदार (२) पाडो पुं० पाड़ा; टोला; मुहल्ला 'पाटीदार' जातिका आदमी .. पागेश पुं० पड़ोस पाटीवाळो पुं० रेलकी सड़क पर काम पारोशण स्त्री० पड़ोसिन करनेवाले रेलके मजदूरोंकी टुकड़ीका पाडोशी पुं० पड़ोसी; हमसाया आदमी; 'गैंगमैन' पाण(ण,) स्त्री० चौथा भाग; पाव पाटु स्त्री०; न० लात (२) चौथा भाग सूचित करनेवाली खड़ी लकीर; पाई" पाटो पुं० पट्टीके जैसा कपड़ेका लंबा पाण न० सिंचाई (२)माड़ी; कलफ़ पतला टुकड़ा; पट्टी (२) (रेलकी) पाणियारी (पा') स्त्री० पनहारिन; पटरी (३) लीक (गाड़ी आदिकी) पनहारी (४) लोकरीति; रिवाज। [पाटा पापिया(पा') न० घरमें पानीके बरबांधवा= पट्टी पढ़ाना; बहकाना (२) तन रखनेकी जगह; पनसाल; घड़ाँची भ्रमित होना; कुछ न सूझना; होश पाणी न० पानी; जल; आब (२) जल ठिकाने न रहना । पाटे चढवं = व्यव जैसा कोई तरल पदार्थ; पानी (३) स्थित रूपसे चालू होना; जमना। -गोठवो = मेल मिलना; बनत होना. [ला.] धार; बाढ़ (४) तेज; आब; नूर (५) शूरवीरता; जीवट (६) पाठ पुं० पाठ; पठन (२) सबक़ ; पाठ टेक ; आबरू; पानी; मान-मर्यादा (७) (३) बोध; सीख (४)धार्मिक ग्रंथोंको मुलम्मा; कलई। [-उतार=सख्त नियमित रूपसे पढ़ना; पाठ परिश्रमके काममें लगाना (२) पानी पाठमाला (-ळा) स्त्री० क्रमिक पाठोंकी उतारना; बेइज्जती करना।-उत्तर पुस्तक; पाठावली. =ज्वार या बाढ़का पानी घटना; पाठव, स०कि० भेजना; पठाना [प.] पानी कम होना (२) बुझाई हुई पार्छ न० पीठपर होनेवाला फोड़ा तलवार आदिका असर नष्ट होना; पार्छ न० घीकुआरका पट्ठा मरना (३) पानी उतरना; बेइज्जती पाउ(पा') पुं० उपकार; एहसान। [ होना (४) खूब श्रम पड़ना; थक जाना चरमो-का एहसानमंद होना.] (५) (परका) सूजना । -बगवq= पार स०क्रि० गिराना (२) तैयार उकसाना; ललकार कर लड़नेको उद्यत करना; बनाना (सिक्का आदि) करना (२) हथियार या लोहेको पारावार पुं० पक्का बैर (भैसों जैसा) बुझाना। -जq = इज्जत बिगड़ना, पाठी स्त्री० भैसका मादा बच्चा; पड़िया जाना। ना रेलानी पेठे= छनभरमें; पाएं न० भैसका बच्चा; पड़वा : सपाटेसे। -नो परपोटो= क्षणभंगुर पागे पुं० भैसका नर बच्चा; पाड़ा; वस्तु; बुलबुला। -पग् = पानी For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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