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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पथनपावडी - बालवो, बावो = का फ़ैशन होना । - भरावो = मिज़ाज होना; घमंड होना; मिजाज सातवें आसमान पर होना . ] पवनपावडी स्त्री० वह जादूकी खड़ाऊं जिससे आसमान में उड़ा जा सके पवाडो पुं० पॅवाड़ा; वीरगाथा पवात, पवायत स्त्री० सूत या कपड़े में • लगाया जानेवाला कलफ़ ; माँड़ी (२) खेत आदिकी सिंचाई पवाली स्त्री० छोटा जाम; प्याली (२) पानी आदि भरनेका एक ऊँचे किनारोंका पात्र पवालुं न० प्याला; गिलास ; जाम (२) बड़ा नलाकार बरतन (३) अनाज नापनेका छोटा पात्र; पायली पवैयो पुं० हिजड़ा; हीजड़ा; जनखा पश्चिम वि० पश्चिमी; मग़रिबी; पच्छिमका (२) पीछेका पिछला (३) स्त्री० मग़रिब पश्चिम ( ४ ) न० योरप, अमरिका वग़ैरह पश्चिमी प्रदेश । [ -मां सूर्य ऊगवो = अनहोनी होना; पत्थर पर दूब जमना ; आसमानके तारे तोड़ना.] पस स्त्री० अंजलि ; अंजलिपुट; ओख पसरवुं अ० क्रि० पसरना; फैलना पसली स्त्री० आधी अंजलि ; पसर ; ओख (२) हथेलीका बनाया हुआ गड्ढा जिसमें आचमनका जल रहे; अंजलि (३) वह उपहार जो भाई बहनको देता है; भ्रातृदत्त (४) अँगूठी पसन्द वि० पसंद; मनोनुकूल (२) चुना हुआ; पसंद; स्वीकृत पसंदगी स्त्री० पसंद; रुचि पसायतुं न० बख्शिशके रूपमें मिली हुई ज़मीन; भूंडरी २९५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पसार वि० पार किया हुआ (२) पास ( जाँच में) [ (२) प्रवेश ; पैठ पसार पुं० फैलाव; पसारा प्रचार पसारखं स० क्रि० पसारना (२) लंबाना पसारो पुं० पसारा ; प्रसार; विस्तार पसीनो पुं० देखिये 'परसेवो' पस्तानुं न० रवानगी (अन्य गाँव जानेको) (२) प्रस्थान ( यात्राके पहले शुभ मुहूर्तमें किसीके घर वस्त्रादि रख आना) पस्तावुं अ० क्रि० पछताना पस्तावो पुं० पछतावा; पश्चाताप पस्ती स्त्री०निकम्मे काग़ज़ ; रद्दी पहाड पुं० पहाड़; पर्वत । [ जेवुं = पहाड़ जैसा बड़ा, दृढ़, अचल या मजबूत; पहाड़.] पहाडी वि०पहाड़ी; पहाड़का (२) मजबूत; कद्दावर [ला.] (३) स्त्री० छोटा पहाड़, पहाड़ी ( ४ ) गिरिमाला (५) एक रागिनी; पहाड़ी पहाण पुं० पाषाण; पत्थर [ खसरा पहाणीपत्रक न० पटवारीकी बही; पहाणो पुं० देखिये 'पहाण ' पहेरण (पू) न० कुरता पहेरनुं (पू) स० क्रि० पहनना पहेरवेश पुं० कपड़े पहननेका ढंग या त; पहनावा (२) पोशाक; पहनावा पहेरामणी स्त्री० कन्याके बापकी ओरसे वरको और उसके रिश्तेदारोंको दी जानेवाली भेंट ; मिलनी पहेराबनुं स०क्रि० 'परतुं' का प्रेरणार्थक; --पहनाना (२) गले मढ़ना (माल आदि) पहेरेगीर (1) पुं० पहरेवार; पहरी पहेरी (पू) पुं० पहरा देख-रेख ; जाब्ता; चौकी; निगरानी (२) संभाळ; हवाला पहेल (व्हॅ) स्त्री ० पहल: आरंभ; अगुआई For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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