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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मलोदियु यामेट होना । -चाळं = पूरी पामाली करना; घर घालना.] नलोदियुं वि० विनाशकारी ; उच्छेदी (२) बाँझ; निःसंतान ( ३ ) न० निर्वंशका धन [ नखक्षत नलोरियुं न० नाखूनकी खरोंच ; नहला; नगणुं वि० एहसान - फ़रामोश; कृतघ्न नगद वि० नक़द ; नक्व ( रक़म ) (२) क़ीमती (३) ठोस; संगीन । [-धराक = मालदार व्यक्ति | नाणुं = वह जायदाद जिसकी कीमत कभी भी रोकड़में मिल सके ; नक़द . ] नगद नारायण पुं० नक़द रक़म ; रुपया (२) वि० घनी; मालदार ( ३ ) ( व्यंगमें) कंगाल ( आदमी ) नगद माल पुं० मलीदा जैसा तर भोज्य पदार्थ ; माल नगदी वि० देखिये 'नगद' नगरी स्त्री० नगरी; शहर (२) वि० नगरका ; शहरका नगदं वि० कृतघ्न (२) बेशर्म (३) निगुरा नगाई न० नगाड़ा; नक्कारा नगीन न० रत्न; नगीना [ पुरुष, विश नगीनो पुं० नगीना; रत्न (२) चतुर नगुणुं वि० देखिये 'नगणं' arite स्त्री० एक वृक्ष ; निर्गुडी; सिंदुवार नग्म वि० नग्न; मंगा (२) खुला; स्पष्ट (३) बेहया ; निर्लज्ज [ला. ] नवरोळ वि० बेहया ; चिकना पड़ा - (व्यक्ति); जड (२) बेफ़िक्र ; लापरवाह नचवधुं स०क्रि० 'नाचवुं' का प्रेरणार्थक; नचाना नाचत वि० निश्चिन्त; बेफ़िक्र मधूको पुं० देखिये 'नकूचों' म वि० अलग; जुदा २६९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नजीबु मछूटके अ० लाचार होकर नाचार नजदीक अ० नजदीक ; पासमें मजर स्त्री० नजर; भेंट | [-कर नजरके रूपमें कोई चीज भेंट करना. ] नजर स्त्री० नजर; दृष्टि (२) ध्यान (३) बुरी नजर लगना ; नजर [ला. ] । [-करवी = नजर करना; देखना (२) कृपा करना । -धालवी - चित्त देना; मन लगाना ( २ ) न्याय या नीतिकी भावना न रखना; नीयत बिगाड़ना । —-पालवी = देखिये 'नजर पहोंचवी' । - चोंटवी = नजर लगना (२) दिलमें बैठना ; ध्यानमें आना। -पडवी = दिखाई देना; देखना। -पहोंचवी : दिखाई देना; दीखना (२) अक्लका काम करना; सूझ-बूझ होना । -मां आव = पसन्द आना । —मां बालबुं = ध्यानमें रखना ( २ ) नुक़सान पहुँचानेकी ताकमें घूमना; घातमें रहना । -लागवी = नजर लगना. ] = नजरकेद स्त्री० नजरबन्दी; नजरकैद नजरचूक स्त्री० नज़रमेंसे छूटी हुई चूक या ग़लती नजरबंधी स्त्री० जादूसे लोगोंकी नजर बांधना ; नजरबन्दी; stoबंदी नजराणुं न०, ( - पो) पुं० नजराना; भेंट; नज़र... [ लगता नजराबुं अ० क्रि० नजराना नजर मजरियुं न० नज़र न लगे इसलिए किया जानेवाला काजलका चिह्न या तावीज आदि टोटका; डिठीना नजरोनजर अ० नज़रके सामने; प्रत्यक्ष नजीक अ० नज़दीक; पासमें [ थोड़ा मजीतुं वि० नाचीज; तुच्छ (२) बरा; For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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