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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बीकरी फरवो, स्ठवो = दुर्देव आना; बुरा हाल होना; दशा बिगड़ना.] बकरी स्त्री० पुत्री; बेटी बीक पुं० पुत्र; बेटा दीगर वि० (२) अ० देखिये 'दिगर' बीठ अ० प्रति; फ़ी; पीछे; उदा० 'जण दीठ' " २५४ 1 बीठं अ० क्रि० देखा [बीठानुं शेर नज्जरके सामने कुछ बने इसपर एतराज़ होना । पडवुं = इज्जत जाना (२) रुकना; बंद होना. ] वीदार पुं० ब० व० मुखाकृति; कांति दीघे राखवं = लगातार किये जाना; आँख मूंदकर किये जाना बीन न०; पुं० दीन; मज़हब (२) कोई भी धर्म बीडो पुं० तेंदुआ दीपमाळ स्त्री० मंदिरके आगे दीप जलानेके लिए बनाई हुई लाट या मीनार; दीपस्तंभ दीपaj स०क्रि० देखिये ' दीपाववुं ' दीपवं अ० क्रि० प्रकाशित होना; चमकना ( २ ) शोभा देना; फबना; खिलना [ करना aturaj स० क्रि० चमकाना; रोशन दवड पुं० दीपक; दीया [ मीनार दीवादांडी स्त्री० रोशनी - मीनार; दीपदीवान पुं० वज्रीर; मंत्री; दीवान ( २ ) 'राजसभा; कचहरी; दीवान (३) बड़ा कमरा ( ४ ) प्रकरण ; परिच्छेद (५) गजल-संग्रह; दीवान arrrrrrj न० दीवानखाना; बैठक दीवानगीरी स्त्री० दीवानका काम; वजीरी दीवानापj न० पागलपन; दीवानापन Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुव दीवानी वि० रुपये और जायदादके इन्साफ़ से संबंधित; दीवानी (२) स्त्री० दीवानका काम; वजारत ( ३ ) राज्यके महसूलका कामकाज ( ४ ) दीवानी अदालत ; दीवानी (५) दीवानी अदालतका मुक़दमा दीवानुं वि० दीवाना ; पागल वीवाबत्ती स्त्री० दीया - बत्ती दीवाल स्त्री० दीवार; भीत aharaan पुं० [स्त्री० दीयाबत्तीका समय; सायंकाल [ सलाई वीवासळी स्त्री० दियासलाई ; दीयादीवी स्त्री० दियट; दीवट; चिराग़दान बीवो पुं० दीया; दीवा; दिया; चिराग़ ; बत्ती । [ - ओलवाई जवो = कुलके या किसी समूह के अच्छे आदमीका मर जाना; कुप्पा लुढ़कना । - राज करवो, राणो करवो = दीया गुल करना; दीया ठंडा करना. ] बीस अ० क्रि० दिखाई देना; दीखना (२) मालूम होना; सूझना [ला. ] । [ दीसतुं रहेबुं = आँखोंके आगेसे दूर होना; टलना (तुच्छकारमें ) . ] दुकान स्त्री० दुकान; दूकान ब्योपारी दुकानदार पुं० दुकानदार; दुकाळ पुं० अकाल; काल; दुष्काल; कहत काळियुं वि० अकाल- पीड़ित दुखडुं न० दु:ख, दुखड़ा ( २ ) वारना; बलायें लेना [(लेना) दुखणां न० ब० व० वारने; बलायें दुखणं न० दुखना; कष्ट होना ( १ ) प्रसवके पहले पेटमें होनेवाली पीड़ा (३) वारना दुखबबुं स० क्रि० देखिये 'दुखाववु' For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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