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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ठीक करना (३) अलग अलग तरीके से उपयोग करना (४) गोटी चलाना, चाळवं स० क्रि० छानना; चालना (२) खपरैलोंको ठीक करना फेरना (३) अच्छा-बुरा छाँटकर अलग करना; चुनना चाळा पुं०ब०व० नक़ल उतारना; स्वांग (२) नखरे; चोचला; हाव-भाव (३) नटखटी; शरारत । [ -पाडवा = किसीकी नक़ल उतारना. ] चाळाचसका पुं० ब० व० नाज-नखरे; हाव-भाव (२) आनाकानी ; टालमदूल चालीस वि० चालीस ; ४० चाळो पुं० नखरा; मटक (२) लक्षण; निशान; चिह्न चांउ करवुं, करी, बबुं हजम कर जाना; धोखा देकर या भय दिखाकर ...ले लेना; हड़पना; माल मारना चांगळं (०) न० चुल्लू; चार उँगलियोंकी अंजली चांच (०) स्त्री० चोंच (२) चोंचके जैसी नोकदार चीज ; नोक; उदा० 'पाघ. डीनी चांच' । [-बूंपवी, यूजवी, बूडवी= समझ में आना; अक्लका काम करना; कुछ करनेके लिए शक्तिमान होना. ] (०) पुं० पिस्सू पांचो (०) पुं० ती [ डकैत चांचियो (०) पुं० जहाजी डाकू; जलचांडाळ वि० (२) पुं० देखिये 'चंडाळ' चांद (०) पुं० चाँद ( २ ) पदक; बिल्ला चांदनी (०) स्त्री० चाँदनी ज्योत्स्ना (२) चंदोवा छत चांदर (०) न० तारोंकी धुंधली रोशनी (२) चाँदनी (३) छोटे छेदमेंसे आनेवाली रोशनीकी किरन १६९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 硎 चांदणुं (०) न० देखिये 'चादर' चांद (१) वि० सफ़ेद चित्तीदार (२) निरंकुश; मस्ताना [ला.] चांवलियो (०) पुं० चंदा ; चंदामामा चांदलो ( ० ) पुं० टीका । [ चांदले चोंटवं = = नसीब में लिखा जाना; पल्ले पड़ना . ] चांद (०) वि० सूटखट; शरारती (२) न० नटखटी; शरत 21 चांदी (०) स्त्री० चाँदी (धातु) । [ -जेवुं : बिलकुल उजला. ] = vit (०) स्त्री० एक संक्रामक रोग; उपदंश (२) जहांसे चमड़ी छिल गई हो या उभरी हो ऐसा छाला । [पडवी = छाला पड़ना. ] चांबुं (०) न० छेददार घाव व्रण उपदंश रोग ( २ ) घावका दाग़ ;) विकता (३) लांछन, दाग़ [ला. ] (४) छिंद्र; दोष [ गोल आकार चांदो (०) पुं० चाँद (२) उसके जैसा चांप (०) स्त्री० किसी भी यंत्र मा साधनको चलाने या बंद करनेकी कल; चाँप पेच (२) सिटकिनी ( ३ ) रोब; घाक [ला. ] ( ४ ) इशारा; चेतावनी (५) चिंता; फ़िक्र [-चढाववी : दाबनेके लिए कलका घोड़ा उठाना (२) उकसाना। -राजवी = दाब रखना; दबाव में रखना (२) चिता या फ़िक्र करना; सँभाल लेना. ] : ai (०) बि० सख्त : कडा ( २ ) जल्द असर करनेवाला # चांग (०) स० क्रि० चाँपना, दबाता (२) जलाना; झुलसाना ( ३ ) घूस देना [ला. ] ( ४ ) सना चांपुं (A) न०पके कटहलका बीजकोष कोया. For Private and Personal Use Only
SR No.020360
Book TitleGujarati Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGujarat Vidyapith
PublisherGujarat Vidyapith
Publication Year1992
Total Pages564
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationDictionary
File Size13 MB
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