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१५८ श कोनेदार टुकड़ा; कतला (२) चकलं न० मुहल्लेके बागेकी खुली जगह, पकता (चमड़ी परका निशान) चौक (२) चौमुहानी; चौराहा; चौक पशामक पुं० चकमक (२) स्त्री चिन- चकलो पुं० चौक या उसमें लगनेवाला गारी (३)चमक ससक (४)तकरार; बाजार सगड़ा [ला.] । कारवी तकरार पकलो पुं० नर चिड़िया; चिड़ा होना; बखेड़ा होना.] [गोल-गोल बकवी स्त्री० चकवाकी; चकई पारकर न० घूमते चक्रकी तरह कबो पुं० चक्रवाक; चकवा बकरी स्त्री. चकफेरी; गोल-गोल चकळव(-वि)कळ वि० (२) अ.
घूमना; चक्कर खाना (२) घुमड़ी; आकुल-व्याकुल; हक्का-बक्का . सिरका घुमाव (३) चकई; गोला- चकाचक अ० चकाचक; तृप्त होकर कारमें धूमनेवाली चकती (४) गोल- चकाम(-) न० चकत्ता गोल फिरे ऐसा एक खिलौना; फिरकी; बकास सक्रि० छान-बीन करना चकई।[-रनाम्बी-भरमाना; भुला- चकित वि० चकित; दंग बेमें गलना] खेलनेका एक खेल चकोत न०,(-रो) पुं० एक तरहका बकरती भारती स्त्री० वृस बनाकर बड़ा नीबू; चकोतरा। पकरईन चक्र चाफ (२)शून्यसिफ़र चकोर वि० चालाक; सतर्क; चंट बकर ममर ब० वूमते चक्रकी तरह (२) पुं० न० चकोर (पक्षी) बकर बकर ब० चक्कर आनेसे मूछित पाकर वि० घनचक्कर; पागल; बौड़म (२) चक्रकी तरह इधर-उधर घूमना (२) न० चक्का; पहिया (३) दौरा पौर मुड़ना; चकराना
लगाना; घूमना (४) घेरा; जमघट; चकरायो पुं० चक्कर; घेरा (२) गोलाकार (५) (जेलमें) गोलाकारमें परिषि; फैलाव (३) चक्रव्यूह; मकानोंकी कतार (६)घुमड़ी; सिरका चकाबूह। [-सावो चकरावामा पर घुमाव; गश; चक्कर (७) गोला= लंबा चक्कर काटते हुए जाना; कारमें घूमना; चक्कर खाना। चकाबूहमें पड़ना.]
[-आवां सिरका चक्कर खाना (२) बकरी वि० गोलाकार; गोल; उदा. गश खाना। -मां पर = फंसना; 'चकरी पापडी' (२) स्त्री० सिरका उलझना (२) खटाईमें पड़ना (३) धुमाव; घुमड़ी; चक्कर
घाटा होना; उदा. 'सो रूपियाना पकली स्त्री० चिड़िया; गोरैया (२) चक्करमा आवी गयो'.] (नलकी) टोंटी; पानीकी कल [ला.] चक्की स्त्री० चक्की (२) घानी (३) पानीका नल। -मानी ने चक्कु न० देखिये 'चाकु' फरको मोटो-छोटे मुंह बड़ी बात; चक्रम पुं० पागल, बौड़म मनुष्य बूतेके बाहरकी बात.
बकवृद्धि वि. चक्रवृद्धि; जो सूद-दरसूद चकलं न० चिड़िया; पखेरू; उदा. लगाया जाये 'चकना बहु साई बाय
बना स० क्रि० पखाना
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